अपनी सगी माँ को घर में ही

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jul 9, 2017.

  1. 007

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    //8coins.ru हेल्लो दोस्तों, Kamukta मैं कुंदन आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
    मैं कई दिनों से रात में रोज अपनी माँ को चुदते हुए देख रहा था। मैं २० साल का जवान मर्द हो गया था और मेरी ३६ साल की बड़ी खूबसूरत औरत थी। उसका जिस्म भरा हुआ था और फिगर 38 32 38 का था। मेरी माँ को सेक्स करना और चुदवाना बहुत पसंद था। मेरे पापा की जब कैंसर से मौत हो गयी थी तो माँ ने पास के शराबी को अपना दोस्त बना लिया था। वो रोज रात में मेरे घर आता है, शराब पीता था, खाना खाता था और मेरी माँ की चूत कसके मारता था। रोज माँ के कमरे से "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी... ऊँ-ऊँ.ऊँ.." की आवाजे आती थी। मुझे ये चुदाई वाली बाते बहुत देर में मालुम हुई। कई बार मेरी माँ का आशिक उसे गाल पर चांटे मार मारकर उसकी चूत मारता था, कभी दीवाल के सहारे खड़ा करके पीछे से माँ की चूत में लंड डालकर चोदता था। कभी तो वो माँ को गोद में बिठाकर चोदता था। धीरे धीरे ये बात सारे मोहल्ले में फ़ैल गयी थी और मेरी बदनामी होने लगी थी।
    "तेरी माँ के तो ऐश है। तेरे बाप के ना होने के बाद भी खूब रात में चुदती है और मोटा लंड खाती है!!" मेरे दोस्त मुझसे कहने लगी। मुझे बहुत शर्म आती थी। मैंने माँ से कहा की ऐसा कोई काम ना करे जिससे समाज में बदनामी हो, पर माँ ने मेरी एक बात नही सुनी। रात में १० बजे तो पडोस वाला आदमी मेरे घर आ जाता था। शराब पीने के बाद वो माँ को बाहों में भरकर चुम्मा लेने लगा जाता था। फिर उसके होठ पीने लगा जाता था। फिर धीरे धीरे मेरी माँ की साड़ी उतार देता था। ब्लाउस और पेटीकोट खोलकर माँ के दोनों पैर खोलकर अपना १२" का लौड़ा माँ की चूत में डाल देता था और फिर चुदाई शुरू कर देता था। वो माँ को नंगा करके २ घंटे नॉन स्टॉप चोदता था फिर माँ उनकी चूत में गिरा देता था। फिर माँ से घंटो अपना लंड चुसाया करता था।
    ६ महीने तक यही सिलसिला चला। मेरी माँ अब एक रंडी राड़ आवारा औरत की तरह बर्ताव करने लगी थी। उसकी शर्म ह्या मर चुकी थी। माँ ने उस पड़ोस वाले मर्द से चुदने के लिए सारे व्यावहार खत्म कर दिए थे। क्यूंकि पास पड़ोस वाली औरतों ने माँ से सब बोलचाल बंद कर दी थी। जब ६ महीने तक माँ उसका लौड़ा खाती रही और कसके चुदवाती रही तो एक दिन मुझे गुस्सा आ गया। रात में जैसे ही वो मेरा माँ का आशिक आया मैंने एक डंडे से उसे मारना शुरू कर दिया और उसका सिर फट गया। वो अपनी जान बचा कर किसी तरह से भागा। पर मुझे अपनी माँ को भी सबक सिखाना जरूरी था। मैंने डंडे से माँ को खूब मारा। फिर चांटे मार मारकर अपनी माँ के गाल फुला दिए। तभी मारपीट के दौरान मेरी माँ का ब्लाउस फट गया और उनके गोरे गोरे मम्मे मुझे दिख गये। माँ कभी भी ब्रा नही पहनती थी सिर्फ ब्लाउस पहनती थी।
    अब मेरा अपनी सगी माँ को चोदने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने उनका हाथ पकड़कर उनको कमरे में ले गया। मैं बहुत गुस्सा था। क्यूंकि मेरी माँ की वजह से मेरी पुरे मोहल्ले में बहुत बदनामी हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए। मैं नंगा हो गया था। फिर मैंने माँ के साड़ी, ब्लाउस और पेटीकोट का हाथ से खीचकर फाड़ दिया और उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया।
    "छिनाल! तुझे लंड खाना बहुत पसंद है ना। आज मैंने तुजे खूब लंड खिलाऊंगा!!" मैंने कहा और उसे ५ ६ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर मार दिए। फिर मैंने ८ १० लाते उसे मार पी। मैं गुस्से से जल और उबल रहा था। मेरी माँ की वजह से लोग आज हमारे पूरे खानदान पर कलंक लगाने लग गये थे। इसलिए मैं बहुत जादा क्रोधित था। अब माँ अब मेरे सामने नंगी हो गयी थी। वो बहुत खूबसूरत और गोरी माँ थी। अगर मेरी माँ इस तरह रात में नंगी होकर सड़क पर चली जाती तो उसका गैंगरेप हो गया होता। सब लोग उसे कसके चोद लेते।
    मैंने अपनी माँ की बाल से पकड़ लिया और उसके गाल पर किस करने लगा। वो मुझसे डर रही थी। काँप रही थी क्यूंकि मैंने उसे आधे घंटे से पीट रहा था। फिर मैंने माँ को बिस्तर पर धकेल दिया। वो लड़खड़ाकर बिस्तर पर गिर पड़ी। मैंने भी उसके पास चला गया था। मैंने उसे २ चांटे और मार दिए। उसके बावजूद भी वो अपनी गलती नही मार रही थी। फिर मैंने अपनी सगी अल्टर और चुदकक्ड के रसीले होठ चूसना शुरू कर दिया। मेरी माँ का जिस्म भरा हुआ था। वो चोदने लायक मस्त माल लग रही थी। माँ की चूचियां 38" की बहुत ही खूबसूरत थी। क्या सफ़ेद सफ़ेद संगमरमर जैसे मम्मे थे। कोई मुर्दा भी अगर माँ को देख लेता तो उसका लंड खड़ा हो जाता और वो माँ को चोद लेता। दोस्तों मेरी माँ इतनी मस्त आइटम थी। आज मैं माँ को कसके चोदने वाला था क्यूंकि वो बहुत हरमपन दिखा रही थी। उसे रात में चाहे खाना ना मिले पर लंड जरुर मिल जाए वो इस तरह से छिनाल और रंडी बन गयी थी। ये सब गुस्सा दिलाने वाली बाते मुझे बार बार याद आ रही थी और मेरा खून का पारा बढ़ जाता था।
    मैं बड़ी देर तक माँ के रसीले और गुलाबी होठो को चूसता रहा। फिर मैंने उस रंडी के दूध पीने लगा। 38" के दूध कितने बड़े बड़े होते है आप लोगो को तो पता ही होगा। मैं हाथ से माँ के मम्मो को दबा रहा था। वो "..उंह उंह उंह हूँ.. हूँ. हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई..." बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मैंने अपने हाथो से उसकी रसीली चूचियों को मींज रहा था। वो कसकसा रही थी और तडप रही थी। फिर मैं उसकी काली काली निपल्स को अपने ऊँगली से पकड़कर घुमाने लगा। वो अपनी गांड उठाने लगी।
    "रंडी आज मैं तुजे इतना चोदूंगा की तेरी सारी चुदास आज खत्म हो जाएगा। दुबारा तू बाहरी मर्द से लौड़ा नही मांगेगी!!" मैने कहा। उसके बाद मैं जोर जोर से अपनी सगी चुदक्कड़ माँ के दूध को खूब कस कसके दबा रहा था। वो उसकी रंडी की जान निकाले दे रहा था क्यूंकि वो बहुत बड़ी अल्टर थी और सेक्स और चुदाई करना उसकी कमजोरी थी। मैं माँ पर लेट गया और उसके रसीले होठ फिर से चूसने लगा। वो मुझसे डरी हुई थी और काँप रही थी। फिर मैं उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा। और जोर जोर से दांत उसने गड़ाने लगा। वो "आऊ...आऊ..हमममम अहह्ह्ह्हह.सी सी सी सी..हा हा हा.." बोल बोलकर चीख रही थी। मैं उसकी चूचियों को मुंह से काट रहा था। वो तडप रही थी और सिसकियाँ ले रही थी। फिर २ ३ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर जड़ दिए। और फिर से उसके मैं दूध पीने लगा। फिर मैंने रात में १ घंटे तक उसकी चूचियां को मजे लेकर पिया। कुछ देर में मेरी माँ चुदने को तैयार हो गयी थी।
    उसकी चूचियों का आकार अब और जादा बढ़ गया था। उसकी रसीली चूचियां अब और भी जादा टाईट और कड़ी लग रही थी। मैंने अपनी माँ की दोनों टाँगे खोल दी और उसकी रसीली चूत चाटने लगा। ना जाने कितने मर्दों ने मेरी माँ को चोदा था। कितने मोटे मोटे लंड उसकी चूत से खाए थे। आज मैं उसी चूत को जीभ लगाकर चाट रहा था। मैं किसी चूत के प्यासे कुत्ते की तरह अपनी माँ की गुलाबी चूत को पी रहा था। उसकी बुर बहुत गुलाबी और लाल लाल थी। मैं १५ मिनट तक अपनी माँ की चूत की पीया और भरपूर मजा लिया। उसके बाद मैंने अपना मोटा था १०" का लौड़ा हाथ में ले लिया और जल्दी जल्दी फेटने लगा। दोस्तों कुछ देर में मेरा लंड खूब टाईट हो गया। फिर मैं अपने लौड़े से माँ के चेहरे को मारने लगा। मैं कस कसके उसे गाल पर लंड से मार रहा था जैसे स्कूल में छोटे बच्चों की पिटाई डंडे से की जाती है। ऐसा ही लग रहा था।
    मैं काफी देर तक अपने १०" के लौड़े से माँ के चेहरे को पीटा और मारा। फिर मैंने उसके मुंह में लंड खोस दिया।
    "ले राड़ आज जी भरकर चूस ले!!" मैंने कहा और जबरन अपना लौड़ा माँ के मुंह में डाल दिया। आज वो अल्टर बहुत सीधी बन रही थी। पर धीरे धीरे वो मेरा लंड चूसने लगी। आज मैं अपनी चुदासी माँ को चोदने जा रहा था। जिससे वो कभी भविष्य में किसी आस पास के मर्द से ना चुदवाए और जब उसे लौड़े की तलब लगे तो सिर्फ मुझसे ही चुदवाए। मैंने माँ के बाल वहशी अंदाज में पकड़ लिए और जल्दी जल्दी उसका मुंह चोदने लगा। मेरा लंड ३ इंच मोटा था। जैसे ही मैं इसे माँ के मुंह में घुसेड़ता था माँ को साँस आना बंद हो जाती थी। वो तड़पने लग जाती थी। मुझे अच्छा लग रहा था। जी तो कर रहा था की उसका गला दबाकर उसे जान से मार दूँ वरना वो जिन्दा रहेगी तो फिर से पड़ोस के मर्दों को बुलाकर चुदवा लेगी। पर मैं अपनी हसीन माँ को कसके चोदना भी चाहता था। इसलिए मैंने उसे नही मारा। और बड़ी बदतमीजी से उसके बाल पकड़कर मैं जल्दी जल्दी उसका मुंह अपने लौड़े से चोदने लगा।
    मेरी माँ बड़ी चालू आइटम थी। बार बार कह रही थी की वो दुबारा ऐसा काण्ड नही करेगी पर कुछ ही दिन में वो फिर से किसी न किसी मर्द को बुलवाकर चुदवा लेती थी। मैंने अपनी सेक्सी चुदक्कड़ माँ के सिर को पकड़ लिया और बहुत जल्दी जल्दी अपने लौड़े पर धकेलने लगा। अपने आप उसका मुंह जल्दी जल्दी चुदने लगा।
    "बेटा!! मुझे छोड़ दो, मैं दुबारा ऐसा काम नही करूंगी। अब मैं किसी मर्द को रात में घर पर नही बुलाऊंगी और ना ही चुदवाउंगी!!" वो बार बार कह रही थी। पर ये सब उसका एक नाटक था। हर बार वो कुछ ही दिन में बदल जाती थी और किसी न किसी मर्द को घर में बुला लेती थी और अपनी चूत चुदवा लेती थी। पर मैंने उसकी कोई बात नही सुनी और बार बार मैंने उसके मुंह में अपना सांप जैसा लंड डाल देता था और अपनी सगी अल्टर माँ से चुसवा रहा था। बड़ी देर तक ये चलता रहा। फिर मैंने जल्दी से उसके गोरे गोरे पैर खोल दिए और अपना लंड मैंने उसकी चूत के छेद पर लगा दिया और अंदर डाल दिया और जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा। आज मैं अपनी माँ की चूत को बेदर्दी से पेल रहा था। जिस चूत से मेरा जन्म हुआ था मैं उसी बुर को आज फाड़ रहा था। मेरी माँ को सेक्स का नशा एक बार फिर से चढ़ गया था। वो जल्दी जल्दी मुझसे चुदाने लगी और "आई...आई..आई. अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा." की आवाजे वो निकाल रही थी।
    मैं जल्दी जल्दी उसे बजाने लगा। मेरी माँ आज अपने बेटे से ही चुद रही थी। आज उसे जरुर मजा आ रहा होगा। मैं हचक हचक के गहरे धक्के उसकी चूत में मार रहा था। मेरी छिनाल अल्टर माँ मजे लेकर चुद रही थी। मैंने उसके होठ को फिर से चूसने लगा। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और जल्दी जल्दी अपनी आवारा सगी माँ की चूत में अपने लौड़े से साईकिल चलाने लगा। लगा की मैं किसी खेत को जोत रहा था। कुछ देर बाद मेरी माँ जल्दी जल्दी अपनी सेक्सी पतली कमर उछाल रही थी। उसका चेहरा बता रहा था की उसे बहुत मजा मिल रहा था। वो बार बार अपने मुंह से गर्म हवा निकाल रही थी। मेरी कमर गोल गोल नाच रही थी और माँ की चूत मार रही थी। मैं अब भी उसकी चूची की निपल्स को अंगूठे से घुमा रहा था। माँ "..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी।
    "ले आज मेरा लंड जी भरकर खा ले!!" मैंने अपनी लंड की प्यासी माँ से कहा और उसे जल्दी जल्दी लेने लगा। कुछ देर में मेरी माँ बिलकुल मस्त हो गयी थी। उसकी गर्म गर्म आवाजे, सिस्कारियां मुझे और जादा उतेज्जित कर रही थी। मेरी माँ चुदवाते हुए बहुत ही सुंदर सेक्सी माल लग रही थी। उसका जिस्म तो अब और जादा गोरा और सफ़ेद लग रहा था। मैं जल्दी जल्दी माँ की चूत में साइकिल चला रहा था। उसका जिस्म मेरे लौड़े की गमक पर हिल रहा था और झूम रहा था। मैं बिना रुके नॉन स्टॉप अपनी अल्टर माँ को चोद रहा था। उसकी चूत से जैसे पॉपकॉर्न चट चट की आवाज के साथ फूट रहे थे। उसकी दोनों ३८" की विशालकाय चूचियां भी जल्दी जल्दी हिल रही थी। दोस्तों मेरे लंड की गोलियां तो सेक्स की उतेज्जना में बहुत बड़ी बड़ी हो गयी थी।
    मैं माँ की चूत को गहराई तक लेकर चोद रहा था। उसे किसी बाजारू रंडी की तरह जल्दी जल्दी मैं पेल रहा था। वो "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" की आवाज निकाल रही थी। बड़ी देर मैंने अपनी माँ की चूत का बाजा बजाया और फिर उसकी बुर में ही मैंने पानी छोड़ दिया। मेरी माँ अब हांफ रही थी। वो कुछ देर आराम करना चाहती थी। पर आज मैं बहुत गुस्सा था। आज मैंने उसे एक सबक देना चाहता था की बाहर के मर्दों को वो घर में ना बुलाए। इसलिए तुरंत मैंने अपनी माँ को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड चाटने लगा। वो डर रही थी। कुछ देर में मैंने उसकी गांड में अपनी २ ऊँगली खोस दी और जल्दी जल्दी ऊँगली घुमाने लगा। मेरी चुदक्कड़ माँ को बहुत दर्द हो रहा था। पर मैं नही रुका और जल्दी जल्दी उसकी गांड में ऊँगली करना रहा। फिर मैंने अपना 8" लंड डालकर २ घंटे उसकी गांड चोदी। मेरी माँ रोने लगी पर मैं नही रुका। मैं उसकी गांड में लंड डालकर २ घंटे तक बजाता रहा। उसके बाद मैंने अपना माल गिरा दिया। दोस्तों अब मेरी माँ सुधर गयी है। जब भी उसे सेक्स की तलब लगती है मुझे मुझसे बुलाकर चुदा लेती है पर घर के बाहर शरीफ औरत की तरह पेस आती है। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
     
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