एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 39

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Apr 27, 2016.

  1. 007

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    This story is part 40 of 60 in the series

    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 39
    "कब बने दोस्त तुम दोनो."
    "कुछ दिन पहले ट्रेन में मिला था वो मुझसे जब मैं बुवा के घर से आ रही थी."

    "अच्छा इतनी जल्दी वो फ्रेंड भी बन गया तेरा. इतनी आज़ादी दे रखी है मैने तुझे और तू फ़ायदा उठा रही है."

    रीमा कुछ नही बोल पाई.

    "चल दफ़ा हो जा मेरी नज़रो के सामने से. जल्दी तेरी शादी करके तुझे यहा से दफ़ा कर दूँगा. अगले हफ्ते तुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले."

    "भैया अभी तो मैं पढ़ रही हूँ."

    "हाँ देख रहा हूँ की कितना पढ़ रही है. चल जा अपने कमरे में. एक ,दो महीने के अंदर ही शादी करवा दूँगा तुम्हारी."

    रीमा सुबक्ते हुवे अपने कमरे में आ गयी और गिर गयी बिस्तर पर. दिल घबरा रहा था उष्का शादी के नाम से.

    ............................

    रोहित भी पिंकी के साथ लेकर घर की तरफ चल दिया.

    रास्ते में पिंकी ने रोहित को बताया की कैसे साएको उसे जंगल में ले गया था.

    "सुबह सुबह सड़क शुनशान थी. अचानक हमारी कार के आगे उसने अपनी कार लगा दी और हमें रुकने पर मजबूर कर दिया. नकाब पहन रखा था उसने. ड्राइवर को गोली मर दी उसने और मुझे कुछ सूँघा कर वाहा जंगल ले गया."

    "इशईलिए मैं तुझे यहा से दूर भेज रहा था. कोई बात नही जो हुवा शो हुवा. मैं कल खुद छोड कर .आऊगा देल्ही. अब अकेला नही भेजूँगा तुझे. " रोहित ने कहा.

    अगले दिन सुबह 8 बजे रोहित पिंकी को लेकर देल्ही चल दिया. आने, जाने की टॅक्सी बुक कर ली थी उसने.

    ...........................

    प़ड़्‍मिनी के चाचा चाची सुबह सिवियर ही निकल दिए देल्ही के लिए. प़ड़्‍मिनी के चाचा का देल्ही में किड्नी का ऑपरेशन होना था जीशके लिए उन्हे वाहा पहुँचना ज़रूरी था. हेमंत को भी उनके साथ ही जाना था. करिटिकल सिचुयेशन थी, ऑपरेशन में डिले नही कर सकते थे. वो बोल रहे थे प़ड़्‍मिनी को भी साथ चलने के लिए और उनके साथ ही रहने के लिए. मगर उसने मना कर दिया, "मैं इसे घर को छोड कर नही जवँगी. मम्मी पापा की यादें हैं यहा. और वैसे भी भागने से फ़ायदा क्या है. मौत अगर लिखी है तो कही भी आ सकती है."

    सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और प़ड़्‍मिनी उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही प़ड़्‍मिनी वापिस मूडी घर में जाने के लिए राजू ने प़ड़्‍मिनी को आवाज़ दी, "प़ड़्‍मिनी जी!"

    प़ड़्‍मिनी रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. राजू उष्की तरफ तरफ रहा था. राजू उसके पास पहुँच कर बोला, "कैसी हैं आप अब?"

    "जींदा हूँ"

    "समझ नही आता की क्या करूँ आपके लिए."

    "तुम्हे कुछ करने की ज़रूरात नही है." प़ड़्‍मिनी ने कहा और अपने घर में घुस्स कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, "तुमने कौन सा कसर छोड़ी है मुझे परेशान करने की."

    राजू खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. "मैं भी पागल हूँ. जब पता है की वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों.और परेशान कराता हूँ उन्हे." राजू वापिस जीप में आकर बैठ गया कुपचाप.

    ................................

    सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया मोहित आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.

    "कहा मिलना है, इसे बड़े मे तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाऊ क्या उसे लेने." मोहित ने सोचा.

    "नही..नही..कही नगमा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी."

    जैसा की मोहित ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.

    मोहित को बाएक पर आते देख उसके होंठो पर मुश्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.

    मोहित ने उशकेव सामने बाएक रोकी और बोला, "क्या हुवा पहले मुश्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्राब्लम है क्या पूजा."

    "हाँ वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाऊ तुम्हारे साथ."

    "ओह.इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो."

    "कॉलेज में एक इंपॉर्टेंट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जवँगी."

    "गुड, आओ बैठ जाओ, छोड देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं." मोहित ने कहा.

    "नही मैं चली जवँगी.तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे."

    "हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छोड़े बिना कही नही जाउंगा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे."

    "अतचा.वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल."

    "अतचा बैठो तो"

    पूजा बैठ गयी और जैसे ही मोहित बाएक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टीका दिया उसके कंधे पर.

    "सर में दर्द हो रहा है ?" मोहित ने पूछा.

    "हाँ, तुम्हे कैसे पता."

    "क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक"

    "मोहित, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना की मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ."

    "पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शंसान गया था प़ड़्‍मिनी के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कटाल किया साएको ने उनका."

    "आख़िर ये साएको पकड़ा क्यों नही जा रहा मोहित."

    "बहुत चालाक है ये साएको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. "

    "हाँ वो तो है.

    बताओ बताओ में कॉलेज आ गया. मोहित ने बाएक रोक दी दरवाजा के बाहर और पूजा उतार गयी बाएक से.

    "पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. शुन्सान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना."

    "तुम्हारे लिए क्यों."

    "क्योंकि मेरी जींदगी हो तुम."

    "हटो जाओ तुम." पूजा शर्मा गयी.

    "अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जींदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं."

    "अतचा.जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है."

    "ओह हाँ तुम निकलो. बाये. ताक़ि केर."

    पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और मोहित अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.
    जब वो ऑफीस पहुँचा तो उसके कमरे के बाहर एक खूबशुरआत लेडी बैठी थी कुर्सी पर.

    "आप का परिचाय."

    "मेरा नाम दीपिका है. मुझे आपके बॉस ने आपसे मिलने को कहा है. मैं गौरव मेहरा की बीवी हूँ."

    "ओह हाँ याद आया. प्लीज़ कम इन." मोहित ने कहा.

    मोहित कमरे में घुस्स गया. पीछे पीछे दीपिका भी आ गयी.

    मोहित के बैठते ही वो उसके सामने बैठ गयी. दीपिका ने जीन्स और टॉप पहना हुवा था. टॉप कुछ इसे तरह का था की उसके बूब्स को वो बहुत अतचे से बाहर की हवा दे रहा था . ना चाहते हुवे भी मोहित की निगाह चली गयी उसके बूब्स पर. बस निपल्स छुपे हुवे थे अंदर वरना तो सब कुछ बाहर ही था .

    "ठरकी लगती है ये एक नंबर की. जानबूझ कर दीखा रही है अपना समान. सुबह सुबह इशे ही आना था ऑफीस."

    "आपके बॉस ने आपको बता ही दिया होगा सब कुछ." दीपिका ने कहा.

    "जी हाँ बता दिया है. तो आपको लगता है की आपके पती के किशी लड़की के साथ नज़ायज़ संबंध हैं और आपको सबूत चाहिए ताकि आप तलाक़ के लिए कोर्ट में जा सकें. इस डेठ राइट."

    "इसे आब्सोल्यूट्ली."

    "ठीक है आज से ही काम शुरू हो जाएगा."

    "टोटल कितनी पेमेंट करनी होगी मुझे."

    "उसके बड़े मे आप बॉस से बात कर लीजिए. मैं वो मॅटर्स हॅंडल नही कराता." मोहित ने कहा.

    "थॅंक यू वेरी मच. मुझे जल्द से जल्द कुछ सबूत चाहिए. मैं उस वहासी के साथ नही रही सकती. आप मेरे कपड़े देख रहे हैं. बहुत रिवीलिंग हैं ना."

    मोहित के समझ में नही आया की वो क्या कहना चाहती है. "क्या मतलब .."

    "मेरा पती मुझे रिवीलिंग कपड़े पहनाता है. उसे अच्छा लगता है जब दुनिया मुझे ऐसे कपड़ो में देखती है. ये टॉप जो आप देख रहे हैं कल ही लाकर दिया उन्होने. उनकी चाय्स के अनुसार कपड़े पहन-ने होते हैं मुझे."

    "ओह..वेरी बाद."

    "आपको ये सब बताया क्योंकि आप मेरी चाहती को देख रहे थे और शायद मुझे ग़लत समझ रहे थे. मेरे पास कोई भी चारा नही होता है ये कपड़े पहन-ने के शिवा. मुझे उनसे तलाक़ चाहिए और बिना सबूत के तलाक़ मिलेगा नही. उनके काई औरातो से संबंध हैं लेकिन अधिकतर वो कामिनी के साथ रहते हैं. आप इन्वेस्टिगेशन करेंगे तो सब जान जाएँगे. मैं चलती हूँ." दीपिका उठ कर चली गयी.

    मोहित तो देखता ही रही गया उसे. बहुत ही अजीब सा कुछ कहा था उसने. "क्या ऐसा हो सकता है शायद हो भी सकता है. एक से बढ़कर एक नमूने हैं दुनिया में."

    मोहित अपने सीकरेट इंत्रुएमेंट्स लेकर निकल पड़ा. एक तो बड़ा कॅमरा था उसके पास जो की विज़िबल था. एक सीकरेट कॅमरा उष्की पेन में भी था जो की किशी को दीखता नही था .

    मोहित ने इंक्वाइरी की तो पता चला की दीपिका सही कह रही थी. गौरव मेहरा आमिर था और खूब पैसे वाला था. बहुत सारे शॉंक पाल रखे थे उसने. उष्का ज़्यादा तर कामिनी से ही मिलना जुलना रहता था. मोहित ने कामिनी का अड्रेस पता किया और पहुँच गया उसके घर. वो एक बड़े से फ्लॅट में अकेली रहती थी. फ्लॅट उसे गौरव मेहरा ने ही लेकर दिया था. मोहित उसके घर पहुँचा. दरवाजे पर कान लगा कर देखा तो पाया की अंदर से कुछ आवाज़े आ रही हैं. आवाज़े कुछ इसे तरह की थी जीश तरह की काम-करीड़ा के वक्त निकलती हैं

    लॉक खोलने में तो मोहित माहिर था ही. खोल कर घुस्स गया चुपचाप अंदर.

    "आअहह चूस ये लंड. अतचे से चूस."

    मोहित उस बेडरूम की तरफ बढ़ा जहा से आवाज़ आ रही थी. कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था. क्योंकि मैं दरवाजा बंद था इश्लीए बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गये थे शायद वो लोग.

    मोहित ने झाँक कर देखा तो दंग रही गया. अंदर कामिनी के साथ गौरव मेहरा नही बल्कि उष्का छोटा भाई संजीव मेहरा था. दीपिका मोहित को परिवार के लोगो की फोटो दे गयी थी इश्लीए उसने संजीव को पहचान लिया था.

    "भैया की रखैल को चोदने का मज़ा ही कुछ और है." संजीव ने कहा.

    मोहित वाहा से जाने ही वाला था की उसे कुछ हलचल शुनाई दी अपने पीछे. उसने मूड कर देखा तो पाया की एक लड़की बिल्कुल नंगी उष्की तरफ तरफ रही है.

    उसने इशारो में पूछा, "कौन हो तुम."

    मोहित थोड़ा घबरा गया फिर उस लड़की के पास आया और बोला, "कामिनी जी से मिलने आया था पर वो अभी बिज़ी है. बाद में .आऊगा."

    "मैं तो बिज़ी नही हूँ. मुझे बता दीजिए."

    "आप कौन हैं."

    "मेरा नाम कुमकुम है." उस लड़की ने कहा और मोहित का लिंग पकड़ लिया.

    "देखिए मैं इसे काम के लिए नही आया था."

    "कोई बात नही आ गये हैं तो ये काम भी हो जाए."

    "जी नही माफ़ कीजिए." मोहित उसे झटका दे कर वाहा से बाहर आ गया.

    "अफ क्या मुसीबत है. इन्वेस्टिगेशन करनी कितनी मुश्किल होती है ." मोहित वाहा से झटपट निकल लिया.

    कुमकुम उस बेडरूम में घुस्स गयी जिसमे कामिनी और कुमकुम थे.

    "कुमकुम तू कहा घूम रही है. चल कामिनी के साथ मिल कर तू भी शककर."

    "तुम्हारे भैया को पता चल गया ना तो हमारा खून शककर लेंगे वो." कुमकुम ने मुश्कूराते हुवे कहा.

    "भैया तो अपनी दुनिया में खोए रहते हैं आजकल. उन्हे कुछ पता नही चलेगा."

    कुमकुम पास आ गयी और कामिनी के पास बैठ कर वो संजीव की बॉल्स को सक करने लगी. कामिनी उसके लिंग को चूस रही थी और कुमकुम उष्की बॉल्स को.

    "आअहह गुड डबल धमाका" संजीव ने कहा

    कुछ देर तक वो यू ही शककरते रहे.

    "पहले कौन डलवाएगा." संजीव ने पूछा.

    "हम दोनो तैयार हैं. तुम ही तैय करो किशके अंदर डालना है." कामिनी ने हंसते हुवे कहा.

    संजीव ने कामिनी को बिस्तर पर पटका और चढ़ गया उसके ऊपर. एक झटके में उसने पूरा लंड उष्की चुत में डाल दिया.

    "आअहह" कामिनी कराह उठी.

    "तुम भी पास में लेट जाओ. एक साथ दोनो की लूँगा" संजीव ने कहा.

    कुमकुम लेट गयी कामिनी के बाजू में. कुछ देर संजीव कामिनी के अंदर धक्के मराता रहा. फिर उसने अचानक लंड निकाला बाहर और कुमकुम के ऊपर चढ़ गया और उष्की चुत में लंड घुस्सा दिया.

    "आअहह इसे.ऊओह संजीव." कुमकुम कराह उठी.

    संजीव का एक हाथ कामिनी के उनहारो को मसल रहा था और एक हाथ कुमकुम के उभारो को मसल रहा था. पर कुमकुम की चुत में लंड पूरी रफ़्तार से घूम रहा था.




    कुछ देर कुमकुम की चुत का आनंद लेने के बाद संजीव वापिस कामिनी पर चढ़ गया और पूरी रफ़्तार से फक्किंग करने लगा. जल्दी ही वो ढेर हो गया कामिनी के ऊपर. कामिनी भी बह गयी उसके साथ ही.

    "मेरा क्या होगा अब. तुम दोनो का तो ऑर्गॅज़म हो गया. मेरे ऑर्गॅज़म का क्या."

    "बस अभी थोड़ी देर में तैयार हो जाउंगा."

    मोहित भाग कर अपनी बाएक स्टार्ट करने लगा तो उसने देखा की फ्लॅट के बाहर एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आकर रुकी है. उसमे से गौरव मेहरा निकला और सीधा कामिनी के फ्लॅट की तरफ बढ़ा.

    "कुछ गड़बड़ होने वाली है इसे फ्लॅट में आज." मोहित ने मन ही मन सोचा.

    गौरव मेहरा के पास मास्टर की थी फ्लॅट की. लॉक खोल कर सीधा बेडरूम में आ गया. जब वो वाहा पहुँचा तो संजीव के साथ कामिनी और कुमकुम आँखे मीचे पड़ी थी.

    "बहुत बढ़िया." गौरव मेहरा ने कहा.

    "गौरव ." कामिनी और कुमकुम दोनो ने एक साथ कहा.

    गौरव ने बंदूक तन दी कामिनी की तरफ.

    "गौरव प्लीज़..मेरी बात.."

    आगे कुछ नही बोल पाई कामिनी क्योंकि गोली उसके सर में लगी सीधी. गजब का निशाना था गौरव का.

    "भैया प्लीज़." संजीव गिड़गिदाया.

    गौरव ने कामिनी को चुत करने के बाद कुमकुम पर बंदूक तन दी.

    "नही गौरव मेरी बात.."

    गोली उसके भी सर के आर-पार हो गयी.

    "चल निकल यहा से वरना तुझे भी मर डालूँगा." गौरव ने कहा.

    संवीव ने फ़ौरन कपड़े पहने और चुपचाप वाहा से निकल गया. गौरव भी फ्लॅट को लॉक करके वाहा से निकल गया.

    मोहित संजीव और गौरव के जाने के बाद चुपचाप फ्लॅट में घुस्सा. जब वो बेडरूम में पहुँचा तो दंग रही गया.

    "ओह माई गोद. दोनो को मर दिया उसने. अपने भाई को क्यों नही मारा." मोहित ने कहा.

    मोहित ने ज़्यादा देर वाहा रुकना ठीक नही समझा और फ़ौरन वाहा से निकल गया. उसने ये बात फ़ौरन रोहित को फोन करके बताई.

    "दोनो लड़कियों को गोली मर दी उसने. ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है उसके पास."

    "ह्म मुझे पता है की ब्लॅक स्कॉर्पियो है उसके पास. मैं अभी देल्ही पहुँचा हूँ. अपनी बहन को यहा छोड़ने आया था. आ कर देखता हूँ की क्या माजरा है."

    रोहित देल्ही से लौट-ते ही उस फ्लॅट पर गया. मगर उसे वाहा कोई लाश नही मिली. मोहित भी उसके साथ ही था.

    "सर मैने अपनी आँखो से देखी थी दोनो लड़कियों की लाश"

    "इश्का मतलब गायब कर दी उसने डेड बॉडीस. इसे घतना के बाद ये गौरव मेहरा प्राइम सस्पेक्ट बन गया है."

    "बिल्कुल सर. और उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है." मोहित ने रोहित को दीपिका की कही बाते भी बता दी.

    "ये सब शन के तो ये गौरव मेहरा ही साएको लगता है."
    रोहित को कटाल का कोई नामो निशान तक नही मिला था उस फ्लॅट में.

    "मोहित, तुम्हारे पास गौरव मेहरा और उसके भाई की फोटो है ना?"

    "जी हाँ हैं."

    "एक-एक कॉपी मुझे दे दो. प़ड़्‍मिनी से सिंाकत करवा लेता हूँ. ये दोनो भाई किसी साएको से कम नही हैं."

    मोहित ने स्नॅप्स रोहित को दे दी.

    "गौरव मेहरा से बाद में मिलूँगा पहले ये स्नॅप्स प़ड़्‍मिनी को दीखा कर आता हूँ."

    "आस यू विश" मोहित ने कहा.

    रोहित वो स्नॅप्स ले कर सीधा प़ड़्‍मिनी के घर पहुँच गया. उसने वो स्नॅप्स राजू को थमा दी और बोला,"ये स्नॅप्स प़ड़्‍मिनी को दीखाओ और पूछो की क्या इनमे से कोई साएको है."

    "सर वो अभी बहुत परेशान है. किशी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."

    "मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. प़ड़्‍मिनी से रिकवेस्ट करो वो मन जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हाँ या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."

    राजू स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. राजू को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुवे. मगर उसने खड़का ही दिया.

    "क्या है अब?" प़ड़्‍मिनी ने पूछा

    "रोहित सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साएको हो." राजू ने स्नॅप्स प़ड़्‍मिनी की तरफ बढ़ाते हुवे कहा.

    प़ड़्‍मिनी ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुवे. रोहित दूर से प़ड़्‍मिनी के रियेक्शन को अब्ज़र्व कर रहा था. प़ड़्‍मिनी को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत प़ड़्‍मिनी के पास आया और बोला, क्या हुवा प़ड़्‍मिनी, क्या यही साएको है"

    "मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उष्का चेहरा भूल चुकी हूँ."

    "क्या . .ऐसा कैसे हो सकता है."

    "मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उष्का चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब ढुंदला ढुंदला हो गया है."

    "ओह नो प़ड़्‍मिनी .अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुश्किल हो जाएगा." रोहित ने कहा.

    "मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है.बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इसे बात का की वो साएको मुझे भी मर दे आकर टांकी मुझे इसे जींदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.

    रोहित और राजू एक दूसरे को देखते रही गये.

    "अब क्या होगा सर"

    "प़ड़्‍मिनी ट्राउमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साएको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."

    वो दोनो बाते कर ही रहे थे की एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.

    मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. रोहित और राजू उसके पास आ गये. रोहित ने पूछा, "किश से मिलना है आपको."

    "मुझे प़ड़्‍मिनी से मिलना है."

    "क्यों मिलना है?"

    "शी इस माई वाइफ. आपको बतने की ज़रूरात नही है की क्यों मिलना है."

    "क्या ." राजू और रोहित एक साथ बोले.

    राजू और रोहित दोनो ही शॉक्ड हो गये प़ड़्‍मिनी के हज़्बंद को देख कर.
    वो देखते रहे और वो घर की तरफ तरफ गया.

    "एक मिनिट.तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम प़ड़्‍मिनिन के पती हो." रोहित ने पूछा.

    "प़ड़्‍मिनी बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो."

    "ह्म ठीक है.आओ." रोहित ने कहा.

    सुरेश रोहित और राजू के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.

    रोहित ने बेल बजाई.

    "अब क्या है. मुझे परेशान क्यों..." प़ड़्‍मिनी बोलते बोलते रुक गयी.

    "कैसी हो प़ड़्‍मिनी." सुरेश ने कहा.

    प़ड़्‍मिनी ने कोई जवाब नही दिया.

    "प़ड़्‍मिनी क्या ये तुम्हारा पती है." रोहित ने प़ड़्‍मिनी से पूछा.

    "पती नही है.पती था. चले जाओ यहा से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है." प़ड़्‍मिनी ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.

    "प़ड़्‍मिनी रूको." सुरेश छील्लाया और दरवाजा पीतने लगा.

    "बहुत खूब. प़ड़्‍मिनी के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद प़ड़्‍मिनी की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है."

    "बकवास मत करो.मैं अपनी पत्नी से प्यार कराता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे."

    "सुलझा लेना मगर अभी यहा से दफ़ा हो जाओ. प़ड़्‍मिनी की सुरक्षा के लिए पुलिस लगी हुई है यहा. यहा कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर."

    "मेरा नाम सुरेश है. मैं कोई राइडर नही हूँ ."

    " पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहा आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. प़ड़्‍मिनी के प्राति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुवे है. प़ड़्‍मिनी की दौलत मिल रही है आपको.इसे प्यार के नाटक के बदले.हर्ज़ ही क्या हैं क्यों .."

    "मैं तुम्हारी बकवास शन-ने नही आया हूँ यहा. मिल लूँगा मैं बाद में प़ड़्‍मिनी से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अदाओ."

    "सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहा से वरना तुम्हे साएको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा." राजू ने कहा.

    "देख लूँगा तुम दोनो को मैं." सुरेश पाँव पटक कर चला गया.

    "राजू तुम यहा पूरा ध्यान रखना. जब तक साएको पकड़ा नही जाता हमें प़ड़्‍मिनी की सुरक्षा में कोई कमी नही रखनी."

    रोहित चल दिया वाहा से थाने की तरफ अपनी जीप ले कर.

    "ये पिंकी का फोन क्यों नही मिल रहा." रोहित ने कहा.

    रोहित ने एक बार फिर से ट्राइ किया. इसे बार फोन मिल गया.

    "हेलो पिंकी.कैसी हो तुम."

    "ठीक हूँ भैया."

    "देखो.देल्ही में माहॉल ठीक नही है आजकल. ज़्यादा इधर-उधर मत घूमना. घर पर ही रहना."

    "जी भैया मैं घर पर ही रहूंगी. आप अपना ख्याल रखना."

    पिंकी को फोन करने के बाद रोहित ने रीमा को फोन मिलाया.

    "ही जानेमन कैसी हो. अब तुम्हारे भैया को पता चल गया है. अब कैसे रेल बनावँगा मैं तुम्हारी. ."

    फोन के दूसरी तरफ रीमा नही चौहान था. ये शुंते ही पागल हो गया वो

    "साले कामीने.कुत्ते.रख फोन. आ रहा हूँ अभी थाने मैं. आज तुझे जींदा नही छोड़ूँगा. ."

    रोहित के तो हाथ से फोन ही चुत गया. बात ही कुछ ऐसी थी

    "अब थाने जाना ठीक नही होगा. प्राइवेट बाते शन ली कामीने ने. चल कर इसे गौरव मेहरा की खबर लेता हूँ."

    रोहित गौरव मेहरा के घर की तरफ चल दिया.

    गौरव मेहरा के घर पहुँच कर उसने बेल बजाई.

    एक नौकर ने दरवाजा खोला.

    "इसे?"

    "गौरव मेहरा है घर पे."

    "जी हाँ हैं है."

    "बुलाओ उसे. कहो की इनस्पेक्टर रोहित आया है. कुछ पूचेटाछ करनी है उस से." रोहित ने कहा.

    "आपने अपायंटमेंट ली है क्या."

    "क्या बकवास कर रहे हो. मैं इनस्पेक्टर हूँ. उस से मिलने के लिए मुझे अपायंटमेंट की कोई ज़रूरात नही है. उस से कहो की चुपचाप आ जाए मुझसे मिलने वरना घसीट कर ले जाउंगा उसे यहा से."

    नौकर चला गया वाहा से. कुछ देर बाद गौरव मेहरा आया. उसके चेहरे पर गुस्सा था.

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना मेरी इज़ाज़त के यहा तक आने की."

    "ज़्यादा बकवास मत कर. ये बता की कामिनी और कुमकुम कहा हैं."

    "कौन कामिनी और कौन कुमकुम.मैं इन्हे नही जानता."

    "अतचा.जब थाने में ले जा कर गान्ड पे डंडे मारूँगा ना तो सब याद आ जाएगा तुझे."
    गौरव मेहरा ने तुरंत पिस्टल तन दी रोहित पर और फायर किया उसके सर पर. लेकिन रोहित पहले से तैयार था इसे बात के लिए. झुक गया नीचे फ़ौरन और दबोच लिया गौरव मेहरा को और पिस्टल रख दी उसके सर पर.

    "बाकी की बाते तो होती रहेंगी. फिलहाल तुझे पुलिस वाले पर गोली चलाने के जुर्म में गिरफ्तार कराता हूँ मैं."

    रोहित गौरव मेहरा को गिरफ्तार करके थाने ले आया.

    "इनस्पेक्टर बहुत बड़ी भूल कर रहे हो तुम. तुम्हे बर्बाद कर दूँगा मैं."

    "अपनी चिंता कर तू, मेरी चिंता छोड दे. और हाँ तैयार करले अपनी गान्ड को. डंडा ले कर आ रहा हूँ मैं. मर-मर कर लाल कर दूँगा."

    "तुझे ऐसी मौत दूँगा की तू याद रखेगा."

    "याद तो तू रखेगा मुझे.चल अंदर." रोहित ने गौरव मेहरा को सलाखों के पीछे ढकैयल दिया और ताला लगा दिया.

    "20 मिनिट हैं तुम्हारे पास. याद करलो की कामिनी और कुमकुम कौन हैं और उन्हे मर कर कहा गायब किया है तुमने. 20 मिनिट में याद नही कर पाए अगर तो फिर मुझे मत बोलना बाद में की क्यों डंडे मर रहे हो गान्ड पे." रोहित ये बोल कर चला गया वाहा से.

    गौरव मेहरा दाँत भींच कर रही गया.

    रोहित अपने कॅबिन कें आ गया. जैसी ही वो कुर्सी पर बैठा भोलू भागता हुवा कॅबिन में आया.

    "सर अभी-अभी चौहान सर आए थे. आपको पूछ रहे थे. बहुत गुस्से में लग रहे थे वो."

    "ह्म.अब तो नही हैं ना वो यहा."

    "नही तभी चले गये थे."

    "गुड.चोदा चौहान को चौहान को देख लेंगे बाद में. तुम फिलहाल अपने रेकॉर्ड्स में चेक करो. इसे गौरव मेहरा का ज़रूर कोई पुलिस रेकॉर्ड होगा."

    "जी सर अभी चेक कराता हूँ."

    भोलू ये बोल कर वाहा से निकला ही था की एक लेडी कमरे में घुस्स गयी.
    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 39

    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Sex Story
     
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