एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 50

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Apr 27, 2016.

  1. 007

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    This story is part 50 of 60 in the series

    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 50
    रोहित के जाने के बाद राजू ने कॉन्स्टेबल्स और गन्मन को तैनात कर दिया. बाहर अतचे से सभी को सतर्कता का आदेश दे कर राजू वापिस प़ड़्‍मिनी के पास आया और बोला, "अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं आपके साथ ही रहना चाहूँगा"

    "नही तुम मेरे साथ नही रही सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है."

    "पर मैं आपको अब अकेला नही छोड सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साएको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है."

    "कैसी गड़बड़?"

    "देखिए ना उसने सभी को मर दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उसके कंट्रोल में था.फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरब्णाक गेम लगती है उष्की जो की हम समझ नही पा रहे."

    "डराव मत मुझे."

    "देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा.यही अंदर."

    "तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?"

    "आपकी कसम कहा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है."

    "ठीक है फिर.मैं मम्मी-दादी के कमरे में शो जाती हूँ तुम उस कमरे में शो जाओ."

    "नही ये नही चलेगा."

    "तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम"

    राजू ने प़ड़्‍मिनी को बाहों में भर लिया और बोला, "बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से."

    "हाँ पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे डर लगता है."

    "किश बात का डर?"

    "चोदा तुम नही समझोगे."

    "ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में शो जाओ मैं चादर बीचा कर उसके बाहर लेट जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है."

    "पर तुम ज़मीन पर कैसे शो पाओगे."

    "आपके लिए कही भी शो जाउंगा. और वैसे भी मुझे जागना है. दिमाग़ की दही कर दी है इसे साएको ने. सब को मर कर घर में घुस्सा और बिना किशी हंगामे के चुपचाप चला गया. इसे पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी.आप निश्चिंत हो कर शो जाओ."

    "ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी शोन की कोशिश कराती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है."

    "हाँ आप शो जाओ.लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ." राजू ने प़ड़्‍मिनी के होंठो को जकड़ लिया अपने होंठो के बीच.

    प़ड़्‍मिनी ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.

    "बस अब जाऊ.हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा."

    "क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इसे सब के लिए." राजू ने कहा.

    "रहने दो प्यार मैं भी कराती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो."

    प़ड़्‍मिनी ने राजू को एक चादर और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, "यहा नींद ना आए तो उस बेडरूम में शो जाना जाकर."

    "जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लॉरी शुना कर शूला दूँगा आपको."

    "पता है मुझे तुम क्या शुनाओगे.गुड नाइट." प़ड़्‍मिनी बेडरूम में घुस्स गयी.

    राजू चादर बीचा कर लेट गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.

    "क्या चाहता है ये साएको.हर बार कुछ अलग सा कराता है. इसे बार क्या गेम है इश्कि. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए."

    राजू के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उष्की आँखो से. उष्की आँखो के सामने सब कुछ हुवा था. इश्लीए उसके दिमाग़ का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.

    "वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पुलिस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उसके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी.वेरी स्ट्रेंज." राजू ने सोचा.

    नींद प़ड़्‍मिनी की आँखो से भी कोसो दूर थी. साएको का ख़ौफ़ उसके दिलो दिमाग़ को घेरे हुवे था.अचानक उसे ख्याल आया, "मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो राजू को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी."

    कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, "तुम जगह रहे हो."

    "आपके बिना नींद कैसे आएगी."

    "रहने दो.मैं ये कहने आई थी की दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फार्स पर नींद नही आएगी."

    राजू उठा और प़ड़्‍मिनी के पास आ कर उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, "गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहा. सच तो ये है की हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी." राजू ने कहा

    "ऐसा कुछ नही है.मुझे तो इसे साएको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?"

    "तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप."

    "हाँ बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं" प़ड़्‍मिनी ने हंसते हुवे कहा.

    "अतचा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी."

    प़ड़्‍मिनी ने राजू के मूह पर हाथ रखा, "चुप रहो.मज़ाक कर रही थी मैं."

    राजू ने प़ड़्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, "आओ ना साथ लेट कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रही कर ये पल हसीन बना दें."

    "नही राजू मुझे नींद आ रही है.जाने दो"

    "झूठ.प्यार में साथ रहना चाहिए ना की अलग-अलग. नींद आएगी तो यही शो जाना"

    "राजू मज़ाक नही है ये कोई.चोदा." प़ड़्‍मिनी ने गुस्से में कहा.

    "आप को साथ रहने को बोल रहा हूँ.कोई सुहाग्रात मनाने को नही बोल रहा. जाओ जाना है तो.मुझे तो नींद नही आ रही." राजू ने प़ड़्‍मिनी का हाथ छोड दिया.

    राजू फार्स पर पड़ी चादर पर आ कर लेट गया प़ड़्‍मिनी खड़ी-खड़ी देखती रही. अजीब सी स्थिति में फँस गयी थी वो. राजू की नाराज़ भी नही देख सकती थी और उसके पास भी नही जा सकती थी.

    "कैसे लेट जाऊ इशके पास जाकर.इश्का भरोसा तो कोई है नही." प़ड़्‍मिनी ने सोचा.

    राजू आँखो पर बाजू रख कर पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे की बहुत नाराज़ है प़ड़्‍मिनी से. प़ड़्‍मिनी खड़े-खड़े उसे देख रही थी. अजीब कसमाकाश में थी वो. ना वो राजू को नाराज़ छोड कर वापिस बेडरूम में जा सकती थी और ना राजू के पास जा कर लेट सकती थी. कुछ सोच कर वो आगे बढ़ी और राजू के पास आकर बैठ गयी और धीरे से बोली, "नाराज़ हो गये मुझसे?"

    राजू ने कोई जवाब नही दिया. चुपचाप पड़ा रहा.

    "बात नही करोगे मुझसे." प़ड़्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

    "ओह आप.आप कब आई. मुझे तो नींद आ गयी थी." राजू ने कहा.

    "नाराज़ हो गये मुझसे?"

    राजू अचानक उठा और प़ड़्‍मिनी को बिस्तर पर लेता कर चढ़ गया उसके ऊपर.

    "आपसे नाराज़ हो कर कहा जाउंगा. मुझे पता था की आप ज़रूर आएँगी."

    "मैं बात करने आई हूँ ना की ये सब करने.हटो." प़ड़्‍मिनी चटपटाते हुवे बोली.

    राजू ने बिना कुछ कहे प़ड़्‍मिनी की गर्दन पर अपने गरम-गरम होंठ टीका दिए. प़ड़्‍मिनी के शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी. वो बोली, "हाथ जाओ राजू.प्लीज़."

    मगर राजू प़ड़्‍मिनी की गर्दन को यहा वाहा चूमता रहा. प़ड़्‍मिनी छटपटाती रही उसके नीचे.

    अचानक वो रुक गया और अपने होंठ हटा लिए प़ड़्‍मिनी की गर्दन से.

    "क्या बात है. आपके हर अंग में कामुक रस है. मृज्नेयनी सी आँखें हैं आपकी और मृज्नेयनी सी ही गर्दन है. मज़ा आ गया"

    "अब हतने का कास्ट करोगे?"

    राजू हँसने लगा और बोला, "बिल्कुल नही.आज थोड़ा आगे बढ़ेंगे प्यार में."

    "क्या मतलब?"

    राजू ने प़ड़्‍मिनी के उभारो को थाम लिया दोनो हाथो से. प़ड़्‍मिनी के पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

    "राजू.ये क्या कर रहे हो.हटो." प़ड़्‍मिनी ने राजू के हाथ दूर झटक दिए.

    "छू लेने दीजिए ना.प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही."

    "अब तो ये सब मज़ाक ही बन चुका है. तुम मेरे शरीर से खेल रहे हो और कुछ नही. शक होता है मुझे की ये प्यार है तुम्हारा या हवस."

    "लव इस प्यूरेस्ट फॉर्म ऑफ लस्ट.ई गेस. जब प्यार हो गया आपको मुझसे तो खुद को बंधनों में क्यों जकड़ रखा है आपने. आज़ाद कीजिए खुद को और मेरे साथ प्यार के हसीन सफ़र पर चलिए. यकीन डीलाता हूँ आपको की आप निराश नही होंगी."

    राजू ने फिर से प़ड़्‍मिनी के उभारों को थाम लिया और उन्हे ज़ोर से दबाते हुवे बोला, "माफ़ कीजिएगा मुझे पर मैं अपनी प्रेमिका से दूर नही रही सकता. वो भी तब जब वो मुझे बहुत प्यार कराती है."

    अपने उभारों पर राजू के हाथों का कसाव पड़ने से प़ड़्‍मिनी सिहर उठी. उष्की साँसे तेज हो गयी और टांगे काँपने लगी. हिम्मत जुटा कर वो बोली, "राजू ई हटे यू."

    "मज़ाक कर रही हैं आप है ना."

    "मज़ाक नही है ये. ये प्यार नफ़रात में बदल जाएगा अगर तुम नही रुके तो."

    राजू ने प़ड़्‍मिनी के उभारों को छोड दिया और प़ड़्‍मिनी के ऊपर से हाथ कर उसके बाजे में लेट गया, "आपकी नफ़रात मंजूर नही है. प्यार में दूरी सह लूँगा."

    "मेरी कुछ मर्यादें हैं. मैं ऐसा सोच भी नही सकती जैसा तुम मेरे साथ कर रहे हो. प्यार हुवा है हमें शादी नही जो की कुछ भी कर लोगे तुम."

    "मुझे तो शक है की शादी के बाद भी हम नझडीक आ पाएँगे या नही. आप कुछ भी नही करने देंगी मुझे."

    राजू करवट ले कर लेट गया.

    "लो अब नाराज़ हो गये. अपने आप शैठानी करते हो और नाराज़ भी खुद ही हो जाते हो. ये बहुत बढ़िया है. " प़ड़्‍मिनी ने कहा राजू के नझडीक आ कर उस से लिपट गयी.

    "हाथ जाओ तुम अब मैं दूर ही रहूँगा तुमसे. मुझे कुछ नही चाहिए तुमसे. ना अब ना शादी के बाद."

    "प्यार कराती हूँ टुंडसे कोई मज़ाक नही. क्यों हटु मैं. हाँ मैं इतना आगे नही तरफ सकती जितना तुम चाहते हो पर दूर मैं भी नही रही सकती तुमसे."

    "हाहहहाहा..ऐसा जोक आज तक नही शुना मैने. मेरे पेट में दर्द हो जाएगा हंसते-हंसते दुबारा मत शुणना ऐसा जोक."

    "मैं मज़ाक नही कर रही.काश तुम मुझे समझ पाते." प़ड़्‍मिनी ने भावुक अंदाज में कहा.

    राजू तुरंत प़ड़्‍मिनी की तरफ मुड़ा और देखा की प़ड़्‍मिनी सबक रही है.

    "अरे इन मृज्नेयनी आँखों में ये आँसू क्यों भर लिए. प्यार में छोटी मोटी लड़ाई तो चलती रहती है."

    "चलती होंगी पर मुझसे तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त नही होती. मुझसे नाराज़ मत हुवा करो." सारी दुनिया की मासूमियत झलक रही थी प़ड़्‍मिनी की इसे बात में.

    राजू ने बाहों में भर लिया प़ड़्‍मिनी को और उसके माथे को चूम कर बोला, "बस चुप हो जाओ. मैं भी क्या करूँ मैं ऐसा ही हूँ. कंट्रोल नही होता मुझसे. ग़लत मत समझो मुझे. मेरी हर बात में प्यार है. बस प्यार. और ये प्यार जींदगी भर रहेगा."

    दोनो एक दूसरे की बाहों में खो गये. इसे कदर डूब गये एक दूसरे में की साएको को बिल्कुल भूल ही गये. कब नींद आ गयी दोनो को पता ही नही चला.
    सुबह 8 बजे जब दूध वाले ने बेल बजाई तब प़ड़्‍मिनी की आँख खुली. वो पेट के बाल पड़ी थी और राजू उसके उभारों पर हाथ और टाँगो पर टाँग डाले पड़ा था.

    प़ड़्‍मिनी ने धीरे से राजू का हाथ अपने उभारों से हटाया, "बदमाश कही का नींद में भी चैन नही इशे."

    मगर राजू की आँख खुल गयी और वो बोला, "क्या हुवा?"

    "सुबह हो गयी है"

    "अरे हम दोनो साथ शो गये थे.मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा."

    "दूध वाला है शायद. हटो मुझे जाने दो."

    "ऐसी नींद कभी नही आई जींदगी में. आने वाली जींदगी बहुत हसीन नज़र आ रही है मुझे. थॅंक यू प़ड़्‍मिनी मेरी जींदगी में आने के लिए."

    प़ड़्‍मिनी शर्मा गयी ये शन कर और बोली, "बस.बस रहने दो प्यार हो चुका है अब. फ्लर्ट की ज़रूरात नही है तुम्हे."

    "आपसे कभी फ्लर्ट नही किया. बस प्यार किया है."

    "तुम सच में पागल हो."

    "आपके प्यार में पागल हहहे."

    प़ड़्‍मिनी उठ कर चली गयी दूध लेने और राजू आँखे बंद करके वापिस हसीन ख़यालों में खो गया.

    ...........................

    रोहित रात भर साएको की तलाश में शहर में भटकने के बाद घर चला गया था. घर जा कर बिस्तर पर गिराते ही उसे बहुत गहरी नींद आ गयी थी.

    सुबह 10 बजे उठा वो और तैयार हो कर 11 बजे हॉस्पिटल चल दिया. जब वो हॉस्पिटल पहुँचा तो स्प साहिब को डिसचार्ज किया जा रहा था. मगर शालिनी को अभी 1 दिन और हॉस्पिटल में रहना था. स्प साहिब को सी ऑफ करने के बाद वो आस्प साहिबा से मिलने पहुँचा.

    जब रोहित कमरे में घुसा तो देखा की चौहान शालिनी से बात कर रहा था. शालिनी ने रोहित को देखा मगर इग्नोर करके चौहान से बाते कराती रही.

    "ओह मिस्टर रोहित पांडे आए हैं. अतचा मेडम मैं चलता हूँ." चौहान रोहित की तरफ हंसटा हुवा बाहर चला गया.

    रोहित दूर खड़ा सब देखता रहा. वही खड़ा-खड़ा बोला, "मेडम कैसी हैं आप."

    "ठीक हूँ.जींदा हूँ.अभी तुम जाओ बाद में बात करेंगे." शालिनी ने बेरूख़ी से कहा.
    "तो चौहान अपनी गेम खेल गया. तभी हंस रहा था मेरी तरफ. कोई बात नही मेडम.प्यार पहली बार दूर नही हुवा मुझसे. अब तो आदत सी है इन बातों की. ख़ूस्स रहें आप हमेशा." रोहित भारी मन से बाहर आ गया. उष्की आँखे नाम थी

    पूरा दिन किशी काम में मन नही लगा रोहित का. बस अपनी जीप ले कर शहर में यहा वाहा घूमता रहा. दुबारा हॉस्पिटल नही गया वो. शाम को कोई 5 बजे थाने पहुँचा तो चौहान से वाहा भी सामना हो गया.

    "मिस्टर रोहित पांडे कहा थे आप. कब से ढुंड. रहा हूँ आपको."

    "फोन नो है शायद आपके पास मेरा."

    " वो सब चोदा ये बताओ की तुम सस्पेंड होने के बाद कहा चले गये थे."

    "क्यों आपको क्या लेना देना."

    "क्योंकि आपको वापिस वही जाना पड़ेस्गा आप सस्पेंड हो गये हैं हहेहहे."

    रोहित की आँखे फटी की फटी रही गयी ये शन कर.

    "क्या बकवास कर रहे हो. क्या आस्प साहिबा ने आपको नही बताया. आप तो बहुत मिलते जुलते हैं आजकल उनसे."

    रोहित दाँत भींच कर रही गया. मन तो कर रहा था की मूह तौड दे चौहान का मगर चुप रहा.

    चौहान ने उसे सस्पेन्षन ऑर्डर थमाया और बोला, "ये लो और दफ़ा हो जाओ यहा से. और इसे बार वापिस आने की सोचना भी मत क्योंकि मैं ऐसा कभी नही होने दूँगा."

    "ग्रेट बस अब यही होना बाकी था. मेडम को पता था इसे बड़े मे पर बताया नही मुझे. सब कुछ कितना अतचा हो रहा है."

    रोहित अपनी पिस्टल बेल्ट थाने में जमा करवा कर पैदल ही निकल पड़ा थाने से. पीछे से भोलू ने आवाज़ दी, "सर रुकिये मैं आपको अपने स्कूटर से छोड देता हूँ."




    "नही रहने दो भोलू. जींदगी सड़को पर ही बीताई है ज़्यादातर धक्के खाते हुवे. आतची बात है.कुछ पूरेानी यादें ताज़ा हो जाएँगी. वैसे मेरी जगह किशको दिया जा रहा है ये साएको का केस.
    "

    "सर सिकेण्दर नाम है उनका. पूरा नाम नही पता मुझे. कल सुबह जाय्न कर लेंगे यहा. शुना है की काफ़ी शिफरिस लगवा रहे थे वो यहा आने के लिए. इसे केस पर तो ख़ास नज़र थी उनकी."

    "ह्म.ओके मैं चलता हूँ."

    रोहित थाने से बाहर आ गया और सोच में पड़ गया, "कल प़ड़्‍मिनी के घर अटॅक किया साएको ने. फिर बस एक पैंटिंग रखब कर चला गया. अब मेरा सस्पेन्षन हो गया. ये केस सिकेण्दर को मिल गया. सब कुछ जुड़ा हुवा है या फिर इत्तेफ़ाक है. कही सब कुछ साएको के मायाजाल का हिस्सा तो नही. और ये सिकेण्दर क्यों ज़ोर लगा रहा था यहा आने के लिए. ज़रूर कुछ गड़बड़ है. खैर अब मैं क्या कर सकता हूँ. मेडम नाराज़ हो गयी. नौकरी भी चली गयी. जींदगी भी क्या कुछ नही दीखती हमें."

    रोहित मुरझाया हुवा चेहरा ले कर आगे बढ़ा जा रहा था. रही-रही कर शालिनी का चेहरा उष्की आँखो के सामने घूम रहा था.

    "एक और प्यार मेरे इज़हार करने से पहले ही ख़त्म हो गया. प़ड़्‍मिनी ने भी ठुकरा दिया था मेरा प्यार बिना मेरी बात शुणे. मेडम ने भी वही किया. लगता है किशमत में किशी का प्यार है ही नही."

    अचानक रोहित का फोन बजा और उष्का ध्यान टूटा.

    "किशका फोन है?" रोहित ने फोन जेब से निकालते हुवे सोचा.

    फोन मोहित का था.

    "हेलो.हाँ मोहित हाउ अरे यू."

    "मैं ठीक हूँ सर. आप शुनाए. राजू ने मुझे बताया की साएको ने प़ड़्‍मिनी के घर अटॅक किया कल रात."

    "ये राजू कौन है?" रोहित ने पूछा.

    "सर राजवीर को हम राजू कहते हैं."

    "ओह.हाँ साएको पूरी प्लॅनिंग से आया था मगर बिना कुछ किए चला गया. पुलिस वालो को मर कर घर में घुस्सा और एक पैंटिंग रख कर चला गया. प़ड़्‍मिनी तक पहुँचने की कोशिश ही नही की उसने. जबकि सब कुछ उसके कंट्रोल में था. मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा. ये एक मायाजाल है जीशमें हम सब उलझ चुके हैं."

    "सर मायाजाल ठीक नाम दिया आपने इशे. सब कुछ उलझा हुवा है."

    "भाई मेरी नौकरी चली गयी है. मुझे सर मत कहो. अब मैं इनस्पेक्टर नही हूँ. मुझे रोहित कहो..अतचा लगेगा मुझे."

    "नौकरी चली गयी.पर कैसे?"

    "सस्पेंड हो गया हूँ मैं."

    "पर किश बात के लिए?"

    "यहा किशी बात की ज़रूरात नही होती. अगर बात पूछने जाएँगे तो कोई भी उल जलूल बात बोल देंगे."

    "किशणे किया सस्पेंड आपका, क्या आस्प साहिबा ने?"

    "नही इग साहिब ने सस्पेंड किया है. मेडम का कोई रोल नही है इसमें."

    "फिर अब आप क्या करोगे."

    "घर जा रहा हूँ फिलहाल. आगे का कुछ नही पता."

    "रोहित अगर बुरा ना मानो तो मेरे साथ आ जाओ. हम मिलकर कोई ना कोई सुराग ढुंड. ही लेंगे साएको का."

    "यार क्या काहु तुम्हे. मैं खुद यही सोच रहा था की तुम्हारे साथ मिल कर इसे साएको की खोज जारी रखूँगा. मगर मोहित हमें कुछ हथियारों की ज़रूरात होगी. खाली हाथ साएको के पीछे घूमना ख़तरे से खाली नही. मेरी पिस्टल तो मैने जमा करवा दी है."

    "मेरे पास तो देसी कटता है एक. वही रखता हूँ साथ."

    "उस से बात नही बनेगी. मैं कुछ कराता हूँ. पुलिस की नौकरी का एक्सपीरियेन्स कब काम आएगा. मैं तुम्हे 9 बजे अपने घर मिलूँगा. वही आ जाना. बैठ कर आगे का डिसकस करते हैं."

    "रोहित हमें ये जान-ना है को कर्नल के घर में कौन रही रहा था. मुझे लगता है की सब तार अब उशी घर से जुड़े हैं."

    "हाँ तुम ठीक कह रहे हो. अभी तक कर्नल के रिलेटिव्स के यहा से भी कुछ पता नही चला. शायद वाहा की लोकल पुलिस कोई इंटेरेस्ट नही ले रही."

    "कोई बात नही हम खुद भी जा सकते हैं वाहा पूचेटाछ करने."

    "हाँ ठीक है.तुम शाम को घर आना बाकी बातें वही होंगी."

    रोहित ने फोन काट दिया. जैसे ही उसने फोन जेब में रखा एक कार रुकी उसके सामने आकर. उसमे से मिनी निकली बाहर और बोली, "क्या हुवा इनस्पेक्टर साहिब.आज पैदल कहा घूम रहे हैं."

    "मैं अब इनस्पेक्टर नही हूँ.मेरा सस्पेन्षन हो गया है."

    "क्या? पर क्यों."

    "आपने बदनाम जो कर दिया था मीडीया में हमें."

    "देखिए पुलिस पर दबाव बना रही थी मैं और कुछ नही. नतिंग पर्सनल अगेन्स्ट यू."

    "जानता हूँ.यही तो आपका काम है."

    "उस दिन के लिए सॉरी. ज़्यादा तेज तो नही लगी थी आपको."

    "कोई बात नही मैं वो सब भूल चुका हूँ. मिनी तुम भी काफ़ी समय से इसे केस को फॉलो कर रही हो. क्या एक काम कर सकती हो."

    "हाँ बोलो."

    "पुलिस से तो निकल गया हूँ पर इसे केस को सॉल्व करके रहूँगा मैं. हम एक टीम बना रहे हैं.क्या तुम शामिल होना चाहोगी. बहुत हेल्प मिलेगी हमें."

    "ऑफ कोर्स मैं साथ हूँ तुम्हारे. बताओ क्या करना है."

    "आज रात ठीक 9 बजे मेरे घर पहुँच जाना. और तुम्हारे पास अब तक की जो भी जानकारी हो लेती आना."

    "ओके आ जवँगी मैं ठीक 9 बजे."

    मिनी कार में बैठ कर चली गयी.

    "मिस्टर साएको बेशकमेरी नौकरी चली गयी मगर तुम्हारी तलाश अभी बाकी है. छोड़ूँगा नही तुम्हे मैं." रोहित ने मन ही मन सोचा.

    ............

    शालिनी हॉस्पिटल के कमरे में उदास पड़ी थी. सुबह उसने रोहित को इग्नोर किया था और ठीक से बात भी नही की थी. लेकिन जबसे उसे रोहित के सस्पेन्षन का पता चला था तब से बार-बार दरवाजे की और देखती थी. कुछ भी आहट होती थी तो आँखो में उम्मीद लेकर दरवाजे की और देखती थी की कही रोहित तो नही.

    "रोहित बहुत बुरा लग रहा है मुझे. तुम्हे बात किए बिना ही भगा दिया यहा से. पता नही क्या हो गया था मुझे. चौहान ने जो कुछ बताया तुम्हारे और उष्की बहन के बड़े मे वो सब शन कर बहुत बुरा लगा. तुमने मुझे कुछ क्यों नही बताया जबकि मैने तुमसे पूछा भी था. अतचा नही लगा ये सब शन कर." शालिनी मन ही मन सोच रही थी.

    शालिनी ने फोन उठाया और रोहित को फोन मिलाया. मगर नेटवर्क बिज़ी होने के कारण फोन मिल नही पाया. रोहित ने भी शालिनी का फोन ट्राइ किया मगर एक बार भी नंबर नही मिला.अक्सर वक्त पड़ने पर कम्यूनिकेशन नही हो पाता. ऐसा ही कुछ शालिनी और रोहित के साथ हो रहा था.

    "कही मेडम ने मेरे नंबर पर डाइवर्ट तो नही लगा दिया." रोहित ने सोचा.

    ...............

    रात ठीक 9 बजे रोहित के घर साएको को ट्रॅक करने के लिए टीम तैयार हो रही थी. राजू भी आ गया था वाहा प़ड़्‍मिनी को लेकर. एक तरह से एक स्पेशल टास्क फोर्स तैयार हो रही थी.
    रोहित ने सभी का सावागत किया घर पर.
    "हम यहा एक ख़ास मकसद से एक्कथा हुवे हैं. जैसा की हम जानते हैं की शहर में साएको ने ख़ौफ़ मचा रखा है. हम सभी का कभी ना कभी सामना हो चुका है साएको से. इश्लीए ये हमारी मोरल ड्यूटी बनती है की उसे पकड़ने की हर संभव कोशिश करें." रोहित ने कहा.

    "मेरा कभी सामना नही हुवा साएको से" मिनी ने कहा.

    "ओह मुझे लगा रिपोर्टर होने के नाते तुम भी कही ना कही टकरा गयी होहि साएको से. लेकिन एक बात शन लीजिए. साएको बिना नकाब के रोज हम सभी के सामने घूम रहा है. वो नकाब इश्लीए लगाता है अब क्योंकि वो समाज में अपनी इज़्ज़त खोने से डराता है. मिनी तुम शायद साएको से ज़रूर मिली होगी पर तुम्हे ये नही पता की वो साएको है."

    "ह्म इंट्रेस्टिंग." मिनी ने कहा.

    "सर कल रात उसने बहुत अजीब किया प़ड़्‍मिनी के घर पर. उष्की क्या एक्सप्लनेशन है.वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने नही आएगा घर पर.?" राजू ने कहा

    "ईसी गूती को सुलझाने के लिए हम यहा एक्कथा हुवे हैं. चलिए हम सब मिल कर सोचते हैं की उसने ऐसा क्यों किया होगा."

    "उसे अपने विक्टिम में ख़ौफ़ फैलाने में मज़ा आता है. हो सकता है वो बस ये काम करने गया हो कल रात प़ड़्‍मिनी के घर." मिनी ने कहा.

    "लेकिन इशके लिए उसने बहुत बड़ा ख़तरा मोल लिया. कारण ज़रूर कोई बड़ा होना चाहिए." रोहित ने कहा.

    "हो सकता है की वो पुलिस से डर से भाग गया हो?" मोहित ने कहा.

    "पर पुलिस बहुत देर से पहुँची थी. वो बहुत देर तक ऊपर घूमता रहा था." राजू ने कहा.

    "जो पैंटिंग वो लाया था वो भी कोई फ्रेश पैंटिंग नही थी. इश्लीए ये भी नही कह सकते की वो पैंटिंग बना रहा था ऊपर." रोहित ने कहा.

    "रोहित तुम सही कह रहे थे. ये ज़रूर्ब कोई मायाजाल है साएको का. उसने ऐसा क्यों किया ये सिर्फ़ वही बता सकता है." मोहित ने कहा.

    "मायाजाल तो है पर मुझे यकीन है की हम सब मिल कर इशे सुलझा सकते हैं." रोहित ने कहा.

    प़ड़्‍मिनी चुपचाप बैठी सब शन रही थी. रोहित ने उष्की तरफ देखा और बोला, "प़ड़्‍मिनी तुम भी कुछ बोलो.हम सब यहा एक मकसद से एक्कथा हुवे हैं. इसे से पहले की साएको हमारी आर्ट बना दे हमें उष्की आर्ट बनानी होगी. ये हम तभी कर पाएँगे जब हम उसे ढुंड. लेंगे."

    "रोहित मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया है. मैने उसे देखा था और देख कर भूल गयी. अगर उष्का चेहरा याद होता तो कुछ कर भी पती.अब क्या करूँ कुछ समझ में नही आता."

    "कोई बात नही प़ड़्‍मिनी.तुम हमारे साथ हो यहा यही बड़ी बात है हमारे लिए. कुछ भी ध्यान आए तो शेयर ज़रूर करना." रोहित ने कहा

    "हाँ शुरू." प़ड़्‍मिनी ने कहा.

    "हमारा प्लान ऑफ एक्शन क्या है?" राजू ने कहा.

    "हमें कर्नल के घर के रहाशया से परदा उठाना है. पता करना है की वाहा कौन रही रहा था. ये काम मैं और मोहित करेंगे." रोहित ने कहा.

    "मेरे लिए क्या हुकुम है." मिनी ने पूछा.

    "तुम कुछ भी इन्फर्मेशन नही लाई साएको के बड़े मे." रोहित ने कहा.

    "जितना तुम्हे पता है उतना ही मुझे पता है. ज़्यादा कुछ मैं भी नही जानती." मिनी ने कहा.

    "लेकिन अब हमें सब कुछ जान-ना है इसे बड़े मे. सभी एक दूसरे का नंबर ले लेते हैं. कोई भी नयी जानकारी मिलेगी किशी को तो तुरंत एक दूसरे से कॉंटॅक्ट करेंगे. और राजू तुम हर वक्त सतर्क रहना. साएको फिर से आएगा वाहा."

    "रोहित क्यों ना प़ड़्‍मिनी के घर के आस-पास ही हम भी एक कमरा ले लें. साएको प़ड़्‍मिनी के पीछे है. वो वही आएगा दुबारा. हम वही उसे ट्रॅप कर सकते हैं."

    "हाँ ठीक कह रहे हो. कल ही ये काम कर देंगे. दिन में हम चाहे कही भी रहें पर रात को प़ड़्‍मिनी के घर के आस-पास रहना ज़रूरी है." रोहित ने कहा.

    बाते करते करते 10:30 हो गये. सभी अपने अपने घर चल दिए. रोहित राजू और प़ड़्‍मिनी के साथ अपनी कार ले कर चल दिया. उसे हॉस्पिटल जाना था शालिनी से मिलने के लिए. रास्ते में रोहित हॉस्पिटल की तरफ मूड गया और राजू प़ड़्‍मिनी के घर की तरफ. रोहित चाहता था की उन्हे घर तक छोड कर आए मगर राजू ने मना कर दिया, "सर मैं संभाल लूँगा. आप चिंता मत करो."

    "साएको ने सबके दिमाग़ हीला कर रखे हुवे हैं." राजू ने कहा.

    "हाँ.उसे समझना बहुत मुश्किल काम है."

    अचानक राजू ने एक जगह जीप रोक दी.

    "क्या हुवा?"

    "यहा से मेरा घर काफ़ी नझडीक है.क्या चलॉगी वाहा?" राजू ने कहा

    "कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना."

    "ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए." राजू ने हंसते हुवे कहा.

    "अब क्या करूँ.चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा."

    "ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है." राजू ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.

    कोई 10 मिनिट में ही राजू अपने घर पहुँच गया.

    "घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टाय्लेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी." राजू ने ताला खोलते हुवे कहा.

    "बस-बस ठाना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है."

    "हाँ पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे." राजू ने कुण्डी खोलते हुवे कहा.

    "आईए अंदर और इसे घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए." राजू ने कहा.

    प़ड़्‍मिनी अंदर आई तो हैरान रही गयी, "ऑम्ग ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है."

    "काई दीनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक कराता हूँ. सारी रात यही बीतनी है हमें"

    "क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे."

    "क्या ये आपका घर नही."

    "नही वो बात नही है पर."

    "ओह हाँ ये आपकी हसियत के अनुसार नही है.हैं ना"

    "ऐसा नही है राजू.मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इसे कमरे में कैसे रहेंगे."

    "क्यों कल रात हम एक साथ नही शोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए." राजू ने कहा.

    प़ड़्‍मिनी ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, "तुमसे इतना प्यार कराती हूँ की तुम्हारी कोई भी बात ताली नही जाती. उशी चीज़ का तुम फ़ायदा उठा रहे हो."

    कुछ देर प़ड़्‍मिनी राजू को काम करते हुवे देखती रही फिर खुद भी उसके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.

    "पसीने-पसीने हो गयी मैं तो.नहाना पड़ेगा अब."

    "हाँ नहा लीजिए.यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है."

    "ठीक है फिर मुझे कोई टोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ."

    राजू ने एक टोलिया थमा दिया प़ड़्‍मिनी को और बोला, "वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी."

    "क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. इंतेज़ार करो यही चुपचाप.बदमाश कही के." प़ड़्‍मिनी टोलिया ले कर बाथरूम में घुस्स गयी.

    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Story- 50

    एक खौफनाक रात - Hindi Thriller Sex Story
     
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