दिवाली के अवसर पर घर में हुई सामूहिक चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Oct 19, 2017.

  1. 007

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    Diwali Sex Story : हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
    मेरा नाम आयुषी पांडेय है। मैं बंगलौर में रहती हूँ। मेरी उम्र अभी 23 साल की हैं। मैं देखने में झकास माल लगती हूँ। खूबसूरत लड़को को देखकर मेरा मन चुदने को करने लगता हैं। मुझे सेक्स करने में बहुत मजा आता है। बड़े और मोटे लंड से खेलना बहुत ही अच्छा लगता है। मेरे कबूतर जैसे दोनों मम्मे बहुत ही सॉफ्ट हैं। मैं बाथरूम में उनके साथ खूब खेल कर मजा लेती हूँ। रात को जब तक अपनी चूत से माल नही निकलवा लेती तब तक मुझे नींद ही नही आती है। अपने माल को पीकर मुझे बहुत ही अच्छी नींद आती है। रात को अपने बूब्स दबाकर खूब मुठ मारती हूँ। कई बार तो मैंने लड़को के घर पर बुलाकर अपना दूध पिलाया है। दोस्तों मै अब मै अपनी कहानी पर आती हूँ।
    हमारे परिवार के सारे लोग जॉब करते है। मैं ही अभी जॉब करती हूँ। मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरी बुआ है। मेरा एक बड़ा भाई भी है। मम्मी, पापा और दादा जी ही रहते हैं। बडे भाई की शादी हो चुकी है तो वो भी रहती हैं। मेरे भाई का नाम चीकू है। उसकी उम्र 30 साल की है। अभी जल्दी ही नई नवेली दुल्हन पाई है। भाभी भी मुझसे कुछ कम नहीं है। जब से वो घर में आई हैं। भैया दिन रात उन्ही के मजे लेते रहते है। हम लोग अपने परिवार के साथ खुश रहते थे। बियर पीना हम लोगो के घर में आम बात है। पीकर घर के सारे लोग की वो खुद ही सब कुछ भूल जाते हैं। शादी से पहले एक बार भैया खूब बियर पीकर घर पर आये। नशे में उन्हें कुछ पता ही नहीं था। मैं लेटी हुई थी। रानी रानी करते हुए मेरे पास आकर लेट गए। कुछ देर बाद जब मेरी नींद खुली तो मैने बियर की खुशबू को महसूस किया। मै सारा मामला तुरंत ही समझ गई।
    मैंने खुद को अलग करने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरे ऊपर अपना पैर रख कर वो दबाये हुए थे। मै भाग न सकी। वो मुझे जबरदस्ती किस करने लगे। किस करते ही मैं गर्म होने लगी। मेरी चूंचियो को पीकर खूब मजा लिया। मुझे भी मजा आ रहा था लेकिन फिर भी छुड़ाने का नाटक कर रही थीं। आखिरकार मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को फाड़ ही डाला। मुझे बहुत ही मजा आया। लेकिन उसे कुछ नहीं पता था। रात भर मेरे ऊपर ही अपना पैर रख कर लेटा रहा। सुबह होते ही उसने पूछा- "मै यहाँ कैसे आ गया"
    मैं समझ गई रात की उतर चुकी हैं। लेकिन इसे कुछ याद नही हैं। मैंने भी कुछ नहीं बताया। वो चला गया। वो अब अक्सर ये वाली हरकत करता रहता था। मुझे भी किसी किसी रात को मुठ नहीं मारना पड़ता था। वो मेरी चुदाई करके मुझे भरपूर आनंद दे देता था। लेकिन जब से शादी हुई तब से मुझे हमेशा मुठ मार कर ही काम चलाना पड़ता था। कुछ दिन बाद दीपावली आने वाली थी। हमेशा हम लोग दूसरों के घर जाते थे लेकिन इस बार पापा के दोस्त मेरे घर आने वाले थे। अब वो दिन आ ही गया। जब पापा के दोस्त ने मेरी चूत पर अपना टार्च जलाया। दीपावली के दिन पापा के कई सारे दोस्त आये हुए थे। अब लोग रात में चले गए। लेकिन उन में से एक लोग अपनी बीबी के साथ रुक गए। और एक लोग की शादी ही नहीं हुई थीं। तो अकेले ही रुक गए। हमने खूब मजा किया। रात काफी हो गईं। सभी लोगो ने पैग पर पैग बनाकर खूब पिया। मुझे छोड़कर घर के सारे लोगो ने खूब पिया। रात काफी हो गई। सारे लोग नशे में धुत्त थे। मुझे सभी लोग चिपका रहे थे। रात के लगभग 1 बज रहे थे। सभी लोगो ने पत्त्ते खेलने बैठ गए। पापा के दोस्त की पत्नी पापा से चिपक चिपक कर मजे ले रहीं थी।
    मै पापा को पहली बार इतने रंगीन मिजाज में देख रही थी। उधर मम्मी भी पापा के दोस्त से चिपक रही थी जिनकी अभी तक शादी ही नही हुई थी। वो मम्मी को हो अपनी बीबी की तरह प्यार कर रहे थे। मुझे आज सब गोलमाल लग रहा था। मुझे समझ में ही नही आ रहा था ये सब आज हो क्या रहा है। तभी पापा के दोस्त कहने लगे- "बहुत दिनों बाद ऐसा हो रहा है। आज मुझे सब पहले वाला याद आ रहा हैं"
    मै समझ गई। पहले भी ये खेल खेल चुके है ये लोग। मैं भी पापा की गोद में बैठ कर सब देखने लगी। पापा का लंड मेरी गांड में चुभ रहा था। उनका लंड खड़ा था। उन्होंने कहा- "सबको पुराना वाला नियम याद है" सभी लोगो ने- "हाँ बोल दिया" मुझे तो समझ ही नही आ रहा था। कौन सा नियम है। बैठ कर मैं भी देखने लगी। मुझे भी बड़ा आनंद आ रहा था। सभी लोगो में पत्ते बांटे गए। मै भी देखने लगी। सबसे कम पत्ते आयी हुई आंटी बना पाई। सब हँसने लगे। इतने में वो उठी और अपने एक एक करके सारे कपडे उतारने लगी। मै समझ गई। जो हारेगा वो अपने कपडे उतारेगा। जो सबसे ज्यादा पत्ते बनायेगा वो उसका मजा लेगा। पापा का सबसे ज्यादा बना हुआ था। वो आंटी के पास गए। और कपडे निकालने में मदद करने लगे। आंटी एक दम से नंगी होकर ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। पापा हाथ लगाकर उनका भरपूर मजा ले रहे थे। सभी लोग देख देख कर गरम हो रहे थे। लेकिन उसके बाद सबकुछ धीरे धीरे बदलने लगा। पापा ने जैसे ही अपने कपडे निकाल कर नंगे होकर किस करने लगे। सारे लोग देख कर अपने अपने कपडे निकाल कर मजा लेने के लिए एक दुसरे पर हावी होने लगे। पापा आंटी के साथ सेक्स का आनंद लेने के लिए उत्तेजित हो रहे थे। उनके होठो को चूस चूस कर चूंचियो को दबा रहे थे। वो पापा को कसकर दबाकर पकडे हुई थी। मम्मी भी गर्म हो रही थी। वो भी अपना रंग दिखाने लगी। उन्होंने भी अपने कपडे उतार कर अंग प्रदर्शन करने लगी। अंकल जी तो मम्मी को ही पकड़ कर चूमने लगे।
    एक लोग अब भी बच रहे थे। पहले तो वो बुआ की तरफ गए। लेकिन वो पीकर सो चुकी थी तो मुझे जागता देख कर मेरी तरफ ही आ गए। मुझे पकड़ कर किस करने लगे। सब लोग एक दुसरे को चूमने में मस्त थे। मैंने कहा- "थोड़ा भी शर्म करो अंकल मै आपकी बेटी जैसी हूँ"
    वो कहने लगे- "आज के दिन हम लोगो का सब कुछ चलता है। तू चुप रह जो मैं करूँ करने दे"
    मै- "क्या करने वाले हैं आप मेरे साथ"
    अंकल- "जो सभी लोग कर रहे है"
    उधर पापा आंटी का काम लगाए हुए था। मम्मी अंकल से चुदवाने को राजी थी। मेरा भी मन जोर जोर से चुदने का हो रहा था। अंकल जी मुझे पकड़ कर किस ही कर रहे थे। पापा ने आंटी की चुदाई शुरू कर दी। आंटी चिल्ला चिल्ला कर चुदवा रही थीं। मम्मी अपनी चूत को चटवा रही थीं। चूत चटाई करवाते देख कर मेरी चूत में भी कीड़े काटने लगें। आज पहली बार मैं साक्षात् ब्लू फिल्म की तरह सब कुछ देख रहीं थीं। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। पापा अपना लंड सटा सट अंदर बाहर कर रहे थे। मम्मी अंकल का लंड चूस रही थी। मुठ मार कर आगे पीछे करके खूब मजा ले रही थी। चूत की खुजली मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी। अंकल भी मेरी चूंचियो को दबाने लगे। पापा के सामने मुझे ये सब करने में शर्म आ रही थी। मै अपना सर नीचे किये खड़ी होकर बूब्स दबवा रही थीं। पापा आंटी को कुतिया बना कर चोद रहे थे। पापा ने मेरी तरफ देखा। मैंने सोचा जब इनको शर्म नही आ रही है तो मैं क्यूं शर्म करू। वो आंटी की गांड में अपना लंड पेल रहे थे। मम्मी भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैंने भी अंकल का विरोध करना बंद कर दिया। पापा के दोस्त कुँवारे अंकल भी चूत के बड़े प्यासे लग रहे थे। उनकी हवस बढ़ती ही जा रही थी। वो मुझे चिपका कर मेरे होंठो को किस कर रहे थे। आज पहली बार में सबके सामने किसी को किस कर रही थी।
    वो मेरी नाजुक नरम होंठो को चूस चूस कर आनंद ले रहे थे। गुलाब की पंखुड़ियों जैसी मेरी होंठ को काट कर उसका रस जमाकर पी रहे थे। मै भी उनका साथ दे रही थीं। मेरी चूंचियो को मसल कर खूब मजा ले रहे थे। मै भी उनके लंड पर अपना हाथ रख कर खूब जोर से दबा देती। सब लोगो ने मिलकर चुदाई का माहौल बना दिया। मै भी सबकी तरह गर्म हो रही थी। अचानक पापा ने जोर जोर से आवाज करके अपने गन्ने से सारा रस आंटी की गांड पर गिरा दिया। आंटी भी खूब अच्छे से हौले हौले रस को उंगलियों में लगाकर चाट रही थीं। उसके बाद दोनों लोग वही लेट कर चिपक कर नंगे ही सो गए। मैं भी उस दिन खूब ही सेक्सी कपडे पहने हुई थीं। मैंने उस दिन काले रंग का गाउन पहन रखा था। मेरी ब्रा और पैंटी साफ़ साफ़ दिख रही थी। मैं जितना भी लाइट के पास जाती मेरी गाउन चमकने लगती थी। मै और भी हॉट लगने लगी थीं। अंकल मेरी गाउन को निकाल कर मेरी चूंचियो के ब्रा सहित दर्शन करने लगे। वो देखते ही अपनी जीभ लपलपाने लगें। मेरी ब्रा पर वो झपट्टा मार कर टूट पड़े। उसे निकालकर मेरे कबूतर जैसे मम्मो के साथ खेलने लगे। उसे उछाल उछाल कर उड़ाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे बहुत ही मजा आने लगा।
    मम्मी भी गांड मटका मटका कर चुदवा रही थी। वो पूरा लंड अपनी चूत में लेकर अंदर बाहर कर रही थी। घच्च घच्च की आवाज से पूरा हाल भरा हुआ था। पापा और आंटी टांगो में टांग फसाये सो रहे थे। मम्मी की जबरदस्त चुदाई हो रही थी। मम्मी जोर जोर से "ओह्ह माँ..ओह्ह माँ.उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ.."की आवाज के साथ चुद रही थी। इधर अंकल मेरा काम लगाए हुए थे। वो भी जोर जोर से मेरी चूंचियो को दबाकर निप्पल को चूस रहे थे। उसे काटते ही मैं जोर से सिसकारी निकालने लगी। मेरी मुह से "..अई..अई....अई...अई.. इसस्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." की आवाज निकाल दी। धीरे धीरे मेरी नाभि को चूमते हुये नीचे की तरफ बढ़ रहे थे। किस करते करते मेरी चूत के ऊपर पैंटी पर को चूमने लगे। मैंने उनका सर अपनी चूत में दबा लिया।
    उधर मम्मी भी जोर जोर से उचक उचक कर चुदाई करवा के अंकल का माल निकलवा रही थी। वो अपना सारा माल मम्मी की चूत में ही गिरा दिए। उनकी चूत से लंड निकालते ही टप टप करके सारा माल नीचे फर्श पर गिर रहा था। मम्मी जीभ लगाकर सारा माल चाट रही थी। अंकल भी वही लेट कर सो गये। मम्मी माल चाटकर अंदर घर में जाकर अपने रूम में बिस्तर पर सो गईं। मै भी अब चुदने को तड़पने लगी। मेरी पैंटी को निकाल कर उन्होंने मुझे नंगा कर दिया। मेरी दोनों टांगो को खोलकर मेरी गोरी रसभरी चिकनी चूत के दर्शन किया। देखते ही उनसे रहा नहीं गया। वो मेरी चूत पर अपना मुह लगाकर पीने लगे। सारा रस पीने के बाद उन्होंने मेरी चूत को और भी फुला दिया। मेरी चूत लाल लाल हो गईं। उन्होंने चूत के दाने को मुह से पकड़कर दांतो से काटने लगे। दाने को काटते ही मैं जोर से "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" की आवाज निकाल देती थी। बार बार ऐसा करके मुझे बहुत ही गर्म कर दिया। मै भी जोर जोर से अपनी चूत में उनका सर दबा रही थी।


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    वो अपना सारा कपड़ा निकालने लगे। कपड़ा निकालते ही उनका खड़ा खंभे जैसा लंड मुझे दिखने लगा। मैंने झट से पकड़ कर उनका लंड चूसने लगीं। जी करता था मैं उसे काट कर खा जाऊं। कुछ देर तक चूस कर मैं लेट गई। उन्होंने मेरी टांगों को अच्छे से फैलाकर टांगों के बीच अपना लंड करके जोर जोर से चूत में रगड़ने लगे। मै चुदने को बहुत ही ज्यादा तड़प रही थी। जैसे ही उन्होंने मेरी चूत के छेद पर लंड सटा कर धक्का मारा। मेरी चूत को जैसे जन्नत मिल गईं हो। उनका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। मै जोर जोर से "..मम्मी.मम्मी...सी सी सी सी.. हा हा हा ...ऊऊऊ ..ऊँ. .ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ.." की आवाज निकाल दी। वो फिर से धक्का मारने के लिए तैयार थे। इस बार अपना पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। मेरी चूत को फाड़कर ही उन्होंने आराम लिया। अब वो मेरी चूत में अपना लंड़ पूरा अंदर बाहर कर के चोद रहे थे। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मै भी चूत उठा उठा कर चुदवा रही थीं। मेरी चूत की माँ चुद गई। उन्होंने मेरी दोनों टांगो को उठा कर जोर जोर से अपना लंड डाल रहे थे।
    मेरी चूत बहुत ही दर्द कर रही थी। मैं "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी... ऊँ-ऊँ.ऊँ.." की आवाज निकाल कर चुदवाने में मस्त थी। खूब चुदाई के बाद उन्होंने मेरी पोजीशन बदली। मुझे नए स्टाइल में चोदने के लिए मुझे उठा दिया। मुझे अपनी गोद में लेकर लंड को चूत में डाल कर उछाल उछाल कर चोदने लगें। मेरी चूत को चोद कर उसका सत्यानाश कर डाला। मेरी चूत दप दप करके खुलती और बन्द हो रही थी। इतने में उन्होंने मुझे नीचे उतारा। मुझे कुटिया बनाकर अपना लंड मेरी गांड में डालने लगें। मेरी चूत तो फट गई। अब गांड के फटने की बारी थी। उन्होंने धक्का मार कर अपने लंड का टोपा घुसा दिया। बहुत तेज से गांड में दर्द होने लगा।

    मै बहुत ही जोर जोर से "आआआअह्हह्हह. ..ईईईईईईई..ओह्ह्ह्..अई. .अई..अई.. .अई..मम्मी.." की आवाज निकाल दी। सब लोग पीकर सो रहे थे। मेरी गांड की चुदाई कुछ ही देर कर सके। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत में फिर से लंड घुसाकर उसका भरता बनाने लगें। मेरी चूत को बहुत ही जोर जोर से चोदने लगें। कमर को पकड़ कर चूत में जड़ तक अपना लंड घुसा कर चोदने लगे। मै तो झड़ गई। उनकी स्पीड से भी पता चलने लगा। वो भी झड़ने वाले हैं । रेलगाड़ी की स्पीड बढ़ गई। अब जोर की चुदाई का फल मिलने वाला था। उन्होंने मेरी चूत में से अपना लंड निकाल कर सारा माल मेरी मुह में गिरा दिया। मुझे उनका माल बहुत ही पसंद आया। सारा माल मै एक ही घुट में पी गईं। वो भी सबकी तरह मेरे ऊपर ही लेट गये। रात भर वो मेरी चूत में लंड डाल कर लेटे रहे। अब जब भी आते है वो मेरी चुदाई करते हैं। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।

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