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//8coins.ru आखिरकार मेरी मेहनत रंग लायी - 1
Akhirkar meri mehnat rang laayi 1:
hindi sex stories
हेल्लो दोस्तों, कैसे हूँ आप सब लोग ? आशा है की आप सब लोग मस्त होगे और सेक्स के मजे ले रहे होंगे | मेरा नाम पवन है और मैं चेन्नई में रहता हूँ | वैसे तो मैं झारखण्ड से हूँ लेकिन जॉब यहाँ लगी इसीलिए पिछले 5 सालों से मैं यहीं रह रहा हूँ | दिखने में मेरा कद 5 फुट और 6 इंच है और बॉडी हाइट के हिसाब से फिट है | रंग गोरा और ड्रेसिंग सेंस मुझे और अच्छा दिखने में मदद करता है | मैं पेशे से एक इंजिनियर हूँ और यहीं चेन्नई में ही एक बड़ी कंपनी में काम करता हूँ | ये तो हुआ मेरा परिचय, चलिए अब बाकी की कहानी शुरू करता हूँ |
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मेरे पास वाले ऑफिस में एक लड़की काम करती थी जिसका मुझे नाम तो नही पता लेकिन पहली ही नज़र में मुझे उससे प्यार हो गया था | आज भी याद है मुझे वो दिन.. वो लहराते बाल, वो प्यारी सी आँखें, वो सांवला सलोना बदन.. क्या खुबसूरत नजारा था | मुझे अच्छे से याद है मैं उस टाइम सिगरेट पि रहा था क्यूंकि ब्रेक का टाइम था | वो वहीँ पास की कैंटीन पर चाय पीने आई थी | वो साउथ इंडियन लग रही थी | उसने जैसे ही कैंटीन वाले से चाय मांगी, उसकी सुरीली आवाज़ सुनकर मेरा दिन और जोर से धड़कने लगा था | दोस्तों, उसकी आवाज़ बहुत ही मीठी थी | उस टाइम कहीं से भी उसके लिए मेरे मन में कोई गलत भावना नही थी इसीलिए अभी मैं उसके फिगर के बारे में नही बताऊंगा | चलिए अब दोनों पात्रों का परिचय हो गया | अब आता हूँ मेन मुद्दे पर |
मैंने मन ही मन सोच लिया था की उस लडकी को पा क्र रहूँगा | वजह काफी हद तक ये भी थी की लड़कियां तो मैंने बहुत चोदी थीं लेकिन कभी किसी से ऐसे पहली नज़र में प्यार नही हुआ था | अब जब की मुझे पहली ही नज़र में प्यार हो चूका था, वो भी बिना कुछ जाने, तो भला कैसे ऐसे इन्सान को खुद से दूर जाने दूं | मैंने उस कैंटीन वाले से दोस्ती की | वो कैंटीन वाला तमिल था इसीलिए भाषा की दिक्कत हुई लेकिन कहते हैं न की जब दिल में जूनून हो तो सब हो जाता है | वैसे ही कुछ हुआ | मेरे काफी कोशिश करने के बाद मेरी उस कैंटीन वाले से जान पहचान हो गयी | मैंने उसको एक दिन बोला की वो उस लडकी के बारे में पता लगा दे | वो पहले तो मना करने लगा लेकिन फिर मैंने दोस्ती का वास्ता दिया तो मान गया | थोड़े दिन बाद उसने मुझे बताया की उस लड़की का नाम इंदु है और वो भी एक तमिल है | उससे बाद की बात जो मुझे पता चली वो और हैरान कर देने वाली थी | कैंटीन वाले ने बताया की इंदु पास वाली कंपनी में सीनियर मेनेजर है और एक ऍम बी ए है वो भी आई आई एम् अहमदाबाद से | ये सुन कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी | मुझे कुछ हद तक वो 2 स्टेट्स वाली कहानी याद आ गयी लेकिन उस कहानी में दोनों बराबर के लेवल के थे और यहाँ कुछ भी बराबर लेवल का नही था | कहाँ वो ऍम बी ए, कहाँ मैं बस बी टेक था | कहाँ वो सीनियर मेनेजर, कहाँ मैं बस एक इंजिनियर | भाषा की दिक्कत अलग ही | मैं तो निराश सा हो गया |
पता नही कहाँ से मुझमे हिम्मत आ गयी और मैंने उस कैंटीन वाले से बोला "और रिलेशनशिप स्टेटस?" | कैंटीन वाला बोला उसके लिए टाइम लगेगा पता करने में | मैंने बोला भाई जितना टाइम लेना है ले, लेकिन मुझे कन्फर्म न्यूज़ ही चाहिए | वो मान गया | मैं इधर सोचना शुरू कर चूका था की मुझे करना क्या है और कैसे | मुझे कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन कोई चारा भी नही था इसीलिए कुछ न कुछ तो हल निकालना जरूरी था | मैंने सोचा की जब फैसला ले ही लिया है तो अब जो भी करना पड़े, करूंगा उसे पाने के लिए | मैंने उसकी कंपनी में पता किया तो एक जूनियर इंजिनियर की पोस्ट खाली थी | मैंने अप्लाई कर दिया | मुझे अच्छे से मालुम था की वहां मेरी पोस्ट बढने की बजे कम होगी, सैलरी भी काफी कम हो जाएगी, इज्जत भी कम | पता नही क्यूँ मुझे इन सब बातों से डर नही लगा उस टाइम | मैंने इंटरव्यू दिया और सेलेक्ट भी हो गया | जोइनिंग डेट की वेट ही कर रहा था की एक दिन अचानक से मुझे इंदु फिर से दिख गयी | मैंने देखा की वो चमचमाती हुई ऑडी कार से निचे उतर रही थी | इतना पैसा, इतनी अच्छी पोस्ट पर होने के बावजूद उसके चेहरे पर गुरुर नाम की चीज नही थी | आत्मविश्वास जरुर था लेकिन उसमे और गुरुर में अंतर है दोस्तों | उसकी ये अदायें देखकर तो जैसे मैंने पीछे मुडकर न देखने की कसम खा ली और सोच लिया की इसे किसी भी हालत में अपनी बना कर ही रहूँगा |
इंतजार ख़त्म हुआ और मेरी जोइनिंग हो गयी उसकी कंपनी में | मेरी और उसकी पोस्ट में अभी 4 पोस्ट का अन्तर था इसीलिए रोज मुलकात होना तो मुमकिन नही था फिर भी मैं हर रोज चुपके से उसे एक नज़र देख लिया करता था | अगर वो केबिन में बैठी दिख जाती तो दिल को सुकून सा मिल जाता था और अगर नही दिखती थी तो दिल बेचैन सा रहता था | मुझे उस वक़्त पता लग रहा था की सच में प्यार किस चिड़िया का नाम है | खैर, मैंने मेहनत से काम किया और 3 महीने में ही मुझे प्रमोशन और बेस्ट अचीवर का अवार्ड भी मिला | इस मौके पर उसी ने मुझे अवार्ड दिया था और साथ ही प्रमोशन लेटर भी | वो मुझे एक कर्मचारी की तरह ही बर्ताव कर रही थी | उसे क्या पता था की आज वो जिसे अवार्ड दे रही थी कल वो उसी की होकर रह जाएगी | अच्छी बात ये हुई की अब मेरी और उसकी मुलाकातें थोडा अक्सर होने लगीं |
एक दिन की बात है, मैं ऑफिस में थोडा लेट नाईट तक काम कर रहा था | उसने ऑफिस से निकलते हुए मुझे देखा तो बोली तुम्हे घर नही जाना ? मैंने बोला चला जाऊंगा, बस थोडा सा काम बचा है उसको निपटा लूं | वो बोली किस साइड रहते हो ? मैंने बता दिया | वो बोली एक काम करो, काम कल कर लेना, चलो मैं भी उधर ही जा रही हूँ तुम्हे ड्राप करते हुए चली जाउंगी | मैंने थोडा नकली मना किया और फिर मान भी गया | मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद किया और बैग लेकर इंदु के साथ आ गया | इंदु के कार निकाली और मुझको भी बैठने को कहा | मैं बैठ गया | आज ज़िन्दगी में पहली बार मैं ऑडी जैसी महँगी कार में बैठा था लेकिन मेरा असल मकसद था उस कार की मालकिन इंदु को पाना, चाहे कार के बिना ही सही | खैर, इंदु कार चलाने लगी | अचानक से इंदु के घर से एक कॉल आई और उसे पता चला की उसकी दादी जो अभी अमेरिका में रहती हैं, की डेथ हो गयी है और उनका शवदाह वहीँ कर दिया गया है | इंदु रो पड़ी | वो रोते रोते कार चला रही थी | मैंने उससे कार को साइड में लगाने को बोला | उसने कार साइड में लगा दी | मैंने अब उसका हाथ पकड़ा और अपने हाथ में लाकर बड़े अदब से बोला की इंदु जी, आप रोइए मत, मैं आपका दर्द समझ सकता हूँ क्यूंकि मेरी दादी की मौत भी 2 साल पहले ही हुई है लेकिन अब हम क्या क्र सकते हैं भगवन की मर्जी के आगे | इंदु वैसे शायद मेरा ऐसे हाथ पकड़ना नही बर्दाश्त करती लेकिन वो दुखी थी इसीलिए उसने कुछ नही कहा | मैंने उसको पानी पिलाया और उसका सर खुद से मैंने अपने कंधे पर रख लिया | मेरे ऐसा करते ही वो फफक पड़ी | मैंने उसे चुप करवाने की कोशिश में अपना मुंह उसके मुंह के पास लाया ताकि मैं उससे कुछ कह सकूं लेकिन शायद हम दोनों को ही पता नही चला की कब ऐसे में हमने किस करना शुरू कर दिया | किस काफी देर तक चली और धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दुसरे के शरीर पर फिरने लगे | मैंने इंदु को बोला की यहाँ कोई देख लेगा | वो बोली हाँ, और वैसे तुम्हारी बीवी भी इंतजार कर रही होगी | मैंने बोला की मैं सिंगल हूँ | उससे पहले तो विश्वास नही हुआ लेकिन फिर उसके विश्वास किया और अब हम दोनों ने उसके फ्लैट पर जाने का फैसला लिया |
दोस्तों, आगे की कहानी अगले भाग में | मजा ऐसे ही आता रहेगा आप लोगों को |
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मेरे पास वाले ऑफिस में एक लड़की काम करती थी जिसका मुझे नाम तो नही पता लेकिन पहली ही नज़र में मुझे उससे प्यार हो गया था | आज भी याद है मुझे वो दिन.. वो लहराते बाल, वो प्यारी सी आँखें, वो सांवला सलोना बदन.. क्या खुबसूरत नजारा था | मुझे अच्छे से याद है मैं उस टाइम सिगरेट पि रहा था क्यूंकि ब्रेक का टाइम था | वो वहीँ पास की कैंटीन पर चाय पीने आई थी | वो साउथ इंडियन लग रही थी | उसने जैसे ही कैंटीन वाले से चाय मांगी, उसकी सुरीली आवाज़ सुनकर मेरा दिन और जोर से धड़कने लगा था | दोस्तों, उसकी आवाज़ बहुत ही मीठी थी | उस टाइम कहीं से भी उसके लिए मेरे मन में कोई गलत भावना नही थी इसीलिए अभी मैं उसके फिगर के बारे में नही बताऊंगा | चलिए अब दोनों पात्रों का परिचय हो गया | अब आता हूँ मेन मुद्दे पर |
मैंने मन ही मन सोच लिया था की उस लडकी को पा क्र रहूँगा | वजह काफी हद तक ये भी थी की लड़कियां तो मैंने बहुत चोदी थीं लेकिन कभी किसी से ऐसे पहली नज़र में प्यार नही हुआ था | अब जब की मुझे पहली ही नज़र में प्यार हो चूका था, वो भी बिना कुछ जाने, तो भला कैसे ऐसे इन्सान को खुद से दूर जाने दूं | मैंने उस कैंटीन वाले से दोस्ती की | वो कैंटीन वाला तमिल था इसीलिए भाषा की दिक्कत हुई लेकिन कहते हैं न की जब दिल में जूनून हो तो सब हो जाता है | वैसे ही कुछ हुआ | मेरे काफी कोशिश करने के बाद मेरी उस कैंटीन वाले से जान पहचान हो गयी | मैंने उसको एक दिन बोला की वो उस लडकी के बारे में पता लगा दे | वो पहले तो मना करने लगा लेकिन फिर मैंने दोस्ती का वास्ता दिया तो मान गया | थोड़े दिन बाद उसने मुझे बताया की उस लड़की का नाम इंदु है और वो भी एक तमिल है | उससे बाद की बात जो मुझे पता चली वो और हैरान कर देने वाली थी | कैंटीन वाले ने बताया की इंदु पास वाली कंपनी में सीनियर मेनेजर है और एक ऍम बी ए है वो भी आई आई एम् अहमदाबाद से | ये सुन कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी | मुझे कुछ हद तक वो 2 स्टेट्स वाली कहानी याद आ गयी लेकिन उस कहानी में दोनों बराबर के लेवल के थे और यहाँ कुछ भी बराबर लेवल का नही था | कहाँ वो ऍम बी ए, कहाँ मैं बस बी टेक था | कहाँ वो सीनियर मेनेजर, कहाँ मैं बस एक इंजिनियर | भाषा की दिक्कत अलग ही | मैं तो निराश सा हो गया |
पता नही कहाँ से मुझमे हिम्मत आ गयी और मैंने उस कैंटीन वाले से बोला "और रिलेशनशिप स्टेटस?" | कैंटीन वाला बोला उसके लिए टाइम लगेगा पता करने में | मैंने बोला भाई जितना टाइम लेना है ले, लेकिन मुझे कन्फर्म न्यूज़ ही चाहिए | वो मान गया | मैं इधर सोचना शुरू कर चूका था की मुझे करना क्या है और कैसे | मुझे कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन कोई चारा भी नही था इसीलिए कुछ न कुछ तो हल निकालना जरूरी था | मैंने सोचा की जब फैसला ले ही लिया है तो अब जो भी करना पड़े, करूंगा उसे पाने के लिए | मैंने उसकी कंपनी में पता किया तो एक जूनियर इंजिनियर की पोस्ट खाली थी | मैंने अप्लाई कर दिया | मुझे अच्छे से मालुम था की वहां मेरी पोस्ट बढने की बजे कम होगी, सैलरी भी काफी कम हो जाएगी, इज्जत भी कम | पता नही क्यूँ मुझे इन सब बातों से डर नही लगा उस टाइम | मैंने इंटरव्यू दिया और सेलेक्ट भी हो गया | जोइनिंग डेट की वेट ही कर रहा था की एक दिन अचानक से मुझे इंदु फिर से दिख गयी | मैंने देखा की वो चमचमाती हुई ऑडी कार से निचे उतर रही थी | इतना पैसा, इतनी अच्छी पोस्ट पर होने के बावजूद उसके चेहरे पर गुरुर नाम की चीज नही थी | आत्मविश्वास जरुर था लेकिन उसमे और गुरुर में अंतर है दोस्तों | उसकी ये अदायें देखकर तो जैसे मैंने पीछे मुडकर न देखने की कसम खा ली और सोच लिया की इसे किसी भी हालत में अपनी बना कर ही रहूँगा |
इंतजार ख़त्म हुआ और मेरी जोइनिंग हो गयी उसकी कंपनी में | मेरी और उसकी पोस्ट में अभी 4 पोस्ट का अन्तर था इसीलिए रोज मुलकात होना तो मुमकिन नही था फिर भी मैं हर रोज चुपके से उसे एक नज़र देख लिया करता था | अगर वो केबिन में बैठी दिख जाती तो दिल को सुकून सा मिल जाता था और अगर नही दिखती थी तो दिल बेचैन सा रहता था | मुझे उस वक़्त पता लग रहा था की सच में प्यार किस चिड़िया का नाम है | खैर, मैंने मेहनत से काम किया और 3 महीने में ही मुझे प्रमोशन और बेस्ट अचीवर का अवार्ड भी मिला | इस मौके पर उसी ने मुझे अवार्ड दिया था और साथ ही प्रमोशन लेटर भी | वो मुझे एक कर्मचारी की तरह ही बर्ताव कर रही थी | उसे क्या पता था की आज वो जिसे अवार्ड दे रही थी कल वो उसी की होकर रह जाएगी | अच्छी बात ये हुई की अब मेरी और उसकी मुलाकातें थोडा अक्सर होने लगीं |
एक दिन की बात है, मैं ऑफिस में थोडा लेट नाईट तक काम कर रहा था | उसने ऑफिस से निकलते हुए मुझे देखा तो बोली तुम्हे घर नही जाना ? मैंने बोला चला जाऊंगा, बस थोडा सा काम बचा है उसको निपटा लूं | वो बोली किस साइड रहते हो ? मैंने बता दिया | वो बोली एक काम करो, काम कल कर लेना, चलो मैं भी उधर ही जा रही हूँ तुम्हे ड्राप करते हुए चली जाउंगी | मैंने थोडा नकली मना किया और फिर मान भी गया | मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद किया और बैग लेकर इंदु के साथ आ गया | इंदु के कार निकाली और मुझको भी बैठने को कहा | मैं बैठ गया | आज ज़िन्दगी में पहली बार मैं ऑडी जैसी महँगी कार में बैठा था लेकिन मेरा असल मकसद था उस कार की मालकिन इंदु को पाना, चाहे कार के बिना ही सही | खैर, इंदु कार चलाने लगी | अचानक से इंदु के घर से एक कॉल आई और उसे पता चला की उसकी दादी जो अभी अमेरिका में रहती हैं, की डेथ हो गयी है और उनका शवदाह वहीँ कर दिया गया है | इंदु रो पड़ी | वो रोते रोते कार चला रही थी | मैंने उससे कार को साइड में लगाने को बोला | उसने कार साइड में लगा दी | मैंने अब उसका हाथ पकड़ा और अपने हाथ में लाकर बड़े अदब से बोला की इंदु जी, आप रोइए मत, मैं आपका दर्द समझ सकता हूँ क्यूंकि मेरी दादी की मौत भी 2 साल पहले ही हुई है लेकिन अब हम क्या क्र सकते हैं भगवन की मर्जी के आगे | इंदु वैसे शायद मेरा ऐसे हाथ पकड़ना नही बर्दाश्त करती लेकिन वो दुखी थी इसीलिए उसने कुछ नही कहा | मैंने उसको पानी पिलाया और उसका सर खुद से मैंने अपने कंधे पर रख लिया | मेरे ऐसा करते ही वो फफक पड़ी | मैंने उसे चुप करवाने की कोशिश में अपना मुंह उसके मुंह के पास लाया ताकि मैं उससे कुछ कह सकूं लेकिन शायद हम दोनों को ही पता नही चला की कब ऐसे में हमने किस करना शुरू कर दिया | किस काफी देर तक चली और धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दुसरे के शरीर पर फिरने लगे | मैंने इंदु को बोला की यहाँ कोई देख लेगा | वो बोली हाँ, और वैसे तुम्हारी बीवी भी इंतजार कर रही होगी | मैंने बोला की मैं सिंगल हूँ | उससे पहले तो विश्वास नही हुआ लेकिन फिर उसके विश्वास किया और अब हम दोनों ने उसके फ्लैट पर जाने का फैसला लिया |
दोस्तों, आगे की कहानी अगले भाग में | मजा ऐसे ही आता रहेगा आप लोगों को |