आंटी की चूत का प्यार से भोसड़ा बनाया

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 21, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //8coins.ru desi aunty दोस्तों में आप सभी लोगों के लिए बहुत दिनों से इस सच्ची घटना के बारे में लिखने की सोच रहा हूँ, लेकिन आज में इस रोमॅंटिक कहानी को लिख रहा हूँ। दोस्तों मेरी यह कहानी मेरे घर में रह रही एक किराएदार आंटी के साथ हुई एक सच्ची चुदाई है। वो आंटी मेरे घर में पिछले पांच महीने से रह रही है और उसका पति किसी प्राइवेट कंपनी में है, जो ज्यादातर समय अपने घर से बाहर रहकर नौकरी करता है, वो महीने में एक दो बार ही घर आता है। मेरी उस आंटी का नाम सोनिया है जो गुजरात की रहने वाली है, उसकी उम्र करीब 30 साल होगी और उसके एक छोटी सी लड़की है, जिसकी उम्र दस साल है जो एक स्कूल में पढ़ती है और उसके पति का नाम श्याम है।
    दोस्तों मेरे किराएदार श्याम की पत्नी दिखने में इतनी ज्यादा सुंदर नहीं है, उसका रंग थोड़ा सा साफ है और गांड और बूब्स मोटे बड़े आकार के है। दोस्तों इतने ही दिनों में मेरी सोनिया आंटी के साथ बड़ी अच्छी दोस्ती हो गई, इसलिए में आंटी के घर अक्सर चला जाता हूँ और में आंटी के हर एक काम में उनकी मदद करवाता हूँ और साथ में अपने घर के कामों के अलावा अपने पापा का काम भी सम्भालता हूँ। एक दिन की बात है, मेरी मम्मी और पापा को एक महीने के लिए बाहर जाना था। वैसे तो उनके साथ मुझे भी जाना था, लेकिन मेरे पेपर करीब आने वाले थे इसलिए पापा ने मुझे जाने से मना कर दिया और मुझसे पेपर की तैयारी करने के लिए कहा और साथ में उनका काम भी देखने के लिए कहा और उन्होंने मेरी सारी जिम्मेदारी मेरी उस सेक्सी आंटी को दे दी।
    अब आंटी हर दिन मेरे रूम में आती और वो मेरे लिए खाना तैयार करके अपने साथ ले आती और उसके बाद में आंटी के साथ बहुत देर तक साथ में बैठकर बातें करते और एक दिन ऐसे ही बातें करते समय आंटी मुझसे पूछने लगी कि संदीप क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा कि हाँ है, उसके बाद आंटी पूछने लगी क्या तुमने अभी तक उसके साथ कुछ किया है? में उनके कहने का मतलब नहीं समझा और इसलिए मैंने उनसे पूछा कि क्या आपके कहने का क्या मतलब है? लेकिन आंटी कुछ नहीं बोली वो कुछ देर बाद वापस चली गई। दोस्तों में उनके कहने का मतलब और उनके मन की हालत बहुत अच्छी तरह से समझ चुका था, क्योंकि वो अपने पति से बहुत समय से दूर थी और अब उनको अपनी चूत की खुजली खत्म करने के लिए किसी लंड का इंतजार था। एक दिन मैंने अपने रूम से सारी किताबें बाहर निकाली जिसमे कुछ नंगे फोटो भी थे और उसी समय मुझे मेरे दोस्त का फोन आया में उसके पास जाने लगा तो जाते समय मैंने अपनी नौकरानी को मेरे रूम में जाने से मना कर दिया, लेकिन मेरे चले जाने के बाद पता नहीं आंटी मेरे रूम में कब चली गई और वो अंदर जाकर नंगे फोटो वो सेक्सी किताबे बैठकर बड़े आराम से देखने लगी और आंटी वो फोटो देखने में इतनी व्यस्त थी कि उनको मेरे दरवाजा खोलने पर भी पता नहीं चला।
    फिर में धीरे से चुपचाप आंटी के पास चला गया और कुछ देर बाद में बोला कि आंटी आप यह क्या देख रही हो? मेरी आवाज सुनकर आंटी एकदम से डर गई और जल्दी से उन्होंने किताब को बंद कर दिया, उसी समय मैंने उनसे कहा कि आंटी छुपाने से कोई भी फायदा नहीं है, क्योंकि मैंने सब कुछ देख लिया है। अब आंटी उठकर वहां से बाहर जाने लगी और उसी समय मैंने तुरंत आंटी के एक हाथ को पकड़ लिया और उनसे बैठने के लिए कहा, उसके बाद में उनको बोला कि तभी आप मुझसे कल पूछ रही थी कि तुमने किसी के साथ कुछ किया है कि नहीं? क्योंकि आपका दिल कर रहा है, आंटी कुछ नहीं बोली उन्होंने अपने सर को नीचे कर लिया। फिर मैंने अपने एक हाथ से आंटी के चेहरे को ऊपर किया और कहा कि आप मेरी तरफ तो देखो, तब आंटी ने मेरी तरफ देखा और मेरे होंठो पर एक किस किया।
    फिर मैंने भी आंटी की गर्दन पर एक किस किया और उसके बाद मैंने आंटी से पूछा क्या में आपके साथ सेक्स कर सकता हूँ? तब आंटी ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे कर दिया, जिसकी वजह से मुझे उनकी गोरी छाती नजर आने लगी और उसके बाद आंटी कहने लगी कि अभी नहीं रात को करना। फिर मैंने उनसे कहा कि रात के समय तो आपकी बेटी भी होगी तो हम कैसे अपना काम पूरा कर सकते है? तो वो बोली कि कोई बात नहीं है में सब रास्ता निकाल लूंगी और उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने आंटी के होंठो को करीब दस मिनट तक बड़े मज़े से चूसा और उनके बूब्स को मसला, फिर मैंने खुश होकर मन में सोचा कि चलो आज मुझे चुदाई का मौका मिला है कब से मैंने कोई आंटी को नहीं चोदा, आज में इसकी चूत का भोसड़ा बना दूंगा और असली चुदाई किसे कहते है बता दूंगा।
    फिर रात के करीब 9:00 बजे हम दोनों ने साथ में बैठकर खाना खाया और उसके करीब आधे घंटे के बाद आंटी ने मेरे पास वाले कमरे में अपनी बेटी को सुला दिया। फिर में दरवाजे को ताला लगाने चला गया और उसके बाद में लेपटॉप पर अपने पापा का काम करना लगा। तभी उसी बीच आंटी मेरे रूम में एक मेक्सी पहनकर आ गई। वो दरवाजे पर खड़ी रही और उस मेक्सी का रंग सफेद था। आंटी उसमें बहुत सेक्सी लग रही थी, मैंने आंटी को अपने पास आने के लिए कहा और आंटी को अपनी जांघ के ऊपर बैठा लिया। उसके बाद में आंटी के बूब्स को दबाने लगा और मैंने थोड़ी देर तक आंटी के बूब्स को जमकर दबाया, जिसकी वजह से वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और सिसकियाँ लेने लगी और उसके बाद मैंने उन्हें बेड पर चलने के लिए कहा। फिर मैंने जल्दी से अपने काम को खत्म किया और उसके बाद में भी आंटी के पास चला गया।
    फिर सबसे पहले तो मैंने आंटी की मेक्सी के बटन को खोल दिया और उसके बाद धीरे धीरे मैंने आंटी की मेक्सी को उतार दिया, जिसकी वजह से आंटी अब मेरे सामने ब्रा और पेंटी में थी और में भी आंटी के साथ बैठ गया और मैंने आंटी से कहा कि अब आप मेरे लंड के ऊपर हाथ घुमाना शुरू करो। फिर आंटी ने मेरी पेंट के अंदर हाथ डाल और मेरे लंड को पकड़कर मसलने लगी। फिर करीब पांच मिनट के बाद मेरा सात इंच का लंड एक मोटे सरिए की तरह तन गया। वो पेंट से बाहर आकर आंटी की चूत को सलामी दे रहा था और मेरे खड़े लंड को देखकर आंटी की आखों में चमक आ गई थी, वो खुश थी। अब मैंने आंटी से लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने के लिए कहा उसी समय तुरंत ही आंटी ने मेरे लंड को अपने एक हाथ में पकड़कर अपने मुहं को पास लाकर टोपा चूसना चाटना शुरू किया। वो लोलीपोप की तरह करीब दस मिनट तक मेरे लंड को बड़े मज़े से चूसती रही और में उनका वो जोश देखकर बहुत खुश था।
    फिर मैंने उसी समय आंटी की ब्रा का हुक खोल दिया और आंटी के बूब्स अब मेरे सामने पूरे नंगे आजाद थे। में एक निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने और दूसरे बूब्स को मसलने लगा और उनके मुहं से आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ की आवाजें आने लगी। फिर कुछ देर बाद मैंने आंटी को बेड पर लेटाकर आंटी की पेंटी को खोल दिया और उसके बाद में नीचे बैठ गया। आंटी के दोनों पैरों को मैंने अपनी तरफ खींचकर पैरों को पूरा खोल दिया, जिसकी वजह से उनकी खुली हुई कामुक चूत अब मेरे सामने थी और मैंने मुहं को पास ले जाकर चूत को सूंघने के बाद में चूसने लगा। अपनी जीभ से चाटा और उसके बाद अपनी एक उंगली को मैंने आंटी की चूत में डाल दिया और उसके साथ में अपनी जीभ को भी चूत में डालने लगा। फिर करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद में अब अपनी दो उँगलियों को आंटी की चूत में डालने लगा और अपने दूसरे हाथ से में चूत को जल्दी जल्दी मसलने सहलाने लगा, जिसकी वजह से आंटी मचलने लगी और वो मुझसे बोली कि संदीप प्लीज अब जल्दी से करो और वो सिसकियाँ लेने लगी। फिर तभी थोड़ी देर बाद आंटी की चूत का पानी बाहर निकल आया, जिसकी वजह से वो धीरे धीरे शांत होने लगी।

    फिर मैंने आंटी की जांघो पर किस करना शुरू किया मैंने चूत के ऊपर भी किस किया उसके बाद मैंने उनके पूरे शरीर पर किस किया और उसके बाद मैंने आंटी के पैरों को पूरा खोल दिया और अपने लंड को आंटी की चूत के मुहं पर घिसना शुरू किया और उसके बाद मैंने धीरे से एक झटका दिया, आंटी अहह करके ज़ोर से चिल्लाने लगी। मैंने अपना काम शुरू कर दिया और में अपने लंड को आंटी की चूत में धीरे धीरे डालने लगा। फिर करीब पांच मिनट के बाद मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में चला गया और आंटी शांत हो गयी। अब में धक्के देते हुए आंटी के होंठो को चूसने लगा और उसके साथ साथ में उनके बूब्स को भी दबाने लगा था। में जोश में आकर कुछ देर बाद बड़ी तेज गती से धक्के देने लगा था, क्योंकि में अब झड़ने वाला था। फिर करीब बीस मिनट तक लगातार धक्के देने के बाद मैंने अपना वीर्य आंटी की चूत में डाल दिया और उसके बाद मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और आंटी को चूसने के लिए कहा, आंटी मेरे लंड को चूसने लगी। फिर कुछ देर बाद हम दोनों वैसे ही सो गए। फिर दूसरे दिन आंटी सुबह जल्दी उठी आंटी को अपनी चूत में थोड़ा सा दर्द हो रहा था, इसलिए उनसे ठीक तरह से चला नहीं जा रहा था, आंटी ने जल्दी से अपनी बेटी को तैयार किया और उसके बाद उसको स्कूल जाने के लिए कहा और वो चली गई। फिर जब आंटी मेरे पास आकर बैठी तब मैंने आंटी से पूछा क्यों कल रात में मज़ा आया? आंटी बोली हाँ बहुत मज़ा आया, मैंने उनको बोला कि आज हम कुछ अलग करेंगे और यह बात कहकर मैंने आंटी के लिए सेक्सी फिल्म लगाकर में खुद अपने ऑफिस चला गया और जल्दी ही में अपने काम को खत्म करके ऑफिस से वापस घर आ गया। तब मैंने देखा कि आंटी उस समय किचन में खाना बना रही थी और में अपने रूम में गया, उसके बाद फ्रेश हुआ और उसके बाद में चुपके से किचन में चला गया। मैंने देखा कि वो रसोई में अपने में बड़ी व्यस्त थी।

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    अब में आंटी की गांड के ऊपर हाथ फेरने लगा और थोड़ी देर बाद मैंने आंटी की कमीज को ऊपर किया और उसके बाद सलवार का नाड़ा खोल दिया और अब में आंटी की पेंटी के ऊपर किस करना लगा। उसके बाद उसे भी उतार दिया, उसके बाद आंटी को मैंने कमर पकड़कर थोड़ा सा पीछे किया और दोनों पैरों को खोल दिया, चिकनी उभरी हुई चूत को किस करना लगा और उनकी गांड के अंदर अपनी दो उँगलियों को डालकर अच्छी तरह खोल दिया। उसके बाद मैंने उसके अंदर अपनी जीभ को डाल दिया। फिर कुछ देर चाटने के बाद मैंने अपनी उंगली को अंदर बाहर करना शुरू किया, जिसकी वजह से आंटी को मज़ा आने लगा और वो जोश में आकर अपने हाथों से अपने बूब्स को दबाने लगी। फिर मैंने आंटी की चूत को भी अच्छी तरह चाटा और अपनी उंगली को में अब चूत के अंदर बाहर करना लगा। मुझे ऐसा करने में बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था। फिर उसी समय आंटी ने मुझसे कहा कि संदीप अब यह सब बंद करो और हाथ धो लो खाना बन चुका है, खा लो यह सब बाद के काम है और अब मैंने उनकी तरफ देखकर हंसते हुए कहा कि हाँ ठीक है में हट गया और जैसे ही आंटी ने अपनी पेंटी को पहनने के लिए छुआ तो मैंने उनसे मना कर दिया और मैंने वैसे ही खाना खाने के लिए उनसे कहा।
    अब आंटी बोली कि ठीक है, में तुम जो कहते हो करती हूँ, लेकिन इस बीच कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा, पकड़े पहन लेने के बाद में दरवाजा खोल दूंगा। फिर हम दोनों ने खुश होकर खाना खाया और वो मेरे सामने वैसी ही नंगी रही। दोस्तों उनकी बेटी के स्कूल से आ जाने से पहले उनको मैंने कपड़े पहनने दिए। फिर तब तक वो पूरी नंगी घर में घूमती रही। फिर रात को हम सभी ने साथ में बैठकर खाना खाया और उसके बाद आंटी ने अपनी बेटी को उसके रूम में सुला दिया और उसके सो जाने के बाद वो अपनी मेक्सी को खोलकर तुरंत ही मेरे कमरे में आ गई। उसके बाद में इंग्लीश स्टाइल से आंटी का साथ सेक्स करना लगा।
    दोस्तों आंटी को मैंने उल्टा किया और उसकी गांड में थोड़ा सा तेल डाला और अपने लंड को आंटी की गांड में धीरे धीरे डालना लगा वो अहाहाह ऊउईईईईइ माँ मर करके चिल्ला पड़ी। मैंने आंटी को कमर से पकड़ा और उनको अपने सामने घोड़ी बनाकर जल्दी जल्दी धक्के देते हुए में अपने लंड को आंटी की गांड में डालने लगा आंटी अहहह ऊफ्फ्फ करके चिल्लाने लगी, लेकिन फिर भी में उनकी दर्द की चिंता ना करते हुए अपना लंड आंटी की गांड में गहराइयों में डालने लगा। फिर करीब बीस मिनट के बाद मेरा लंड आंटी की गांड में पूरा अंदर चला गया और अब आंटी नीचे गिर पड़ी। फिर मैंने अपने लंड को आंटी की गांड से बाहर निकाल लिया। लंड अभी तक तना हुआ था और मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और आंटी की चूत के मुहं पर रखकर ज़ोर से ज़ोर झटके मारना लगा। आंटी चिल्लाने लगी और मैंने उनके दोनों बूब्स को अच्छी तरह दबाया। अब मैंने लंड को बाहर निकालकर देखा तो आंटी की गांड और चूत बहुत लाल कलर की हो गई और उसके बाद मैंने आंटी की चूत को अच्छी तरह चाटा और कुछ देर बाद मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और उनके एक पैर को अपने कंधे के ऊपर रखा और धीरे से में अपने लंड को आंटी की चूत में डालना लगा।
    फिर करीब दस मिनट तक मैंने आंटी की चूत में अपने लंड के तेज तेज धक्के दिए और कुछ देर बाद मैंने लंड को बाहर निकाला और बेड पर लेट गया और अब मैंने आंटी को मेरे लंड के ऊपर बैठा लिया। उन्होंने लंड के ऊपर बैठते हुए पूरे लंड को अपने अंदर ले लिया। उसके बाद मैंने आंटी की कमर को सहारा देकर उनको ऊपर नीचे किया करीब बीस मिनट तक मेरे ऐसे ही करता रहा। फिर सुबह करीब 3:00 बजे मैंने अपने लंड को आंटी के दोनों बूब्स के बीच में रखा और अच्छी तरह मसलने लगा। कुछ देर बाद मेरा पूरा वीर्य आंटी की गर्दन के ऊपर निकला और उसके बाद में अपने लंड को आंटी के चेहरे के पास ले गया। उनसे मुहं को खोलने के लिए कहा मैंने अपने लंड को आंटी के मुहं में डाल दिया। फिर हम दोनों कुछ देर बाद सो गए और सुबह करीब 7:00 बजे आंटी की नींद खुली। उनकी गांड में बहुत दर्द हो रहा था। फिर उन्होंने जल्दी से अपनी बेटी को उठाया और उसको तैयार करके स्कूल भेज दिया, जिसके बाद वो दोबारा सो गई और में अपने ऑफिस चला गया। में जल्दी ही ऑफिस से वापस आ गया तो मैंने देखा कि वो अब भी सो रही थी। मैंने धीरे से उनके पास जाकर उनके होंठो के ऊपर किस किया तो वो उठ गई और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। अब मैंने कमरे से बाहर आकर नहाने वाले टब में साबुन डालकर पानी से भर दिया, उसके बाद आंटी को उठाकर कहा कि शायद कल रात को प्यार कुछ ज्यादा ही हो गया था और अब मैंने आंटी को बाथरूम में चलने के लिए कहा चलो हम थोड़ा फ्रेश हो जाते है।
    अब हम दोनों बाथरूम में आकर उस टब में बैठ गए और उसके बाद हम एक दूसरे को साबुन लगाने लगे। फिर मैंने अपने लंड को भी साबुन लगाया और उसके बाद आंटी को टब से बाहर निकालकर मैंने उनको नीचे लेटा दिया और में अपने लंड को आंटी की चूत में डालने लगा। फिर करीब दस मिनट बाद फिर से मैंने उनको टब में लिया और थोड़ा झुकने के लिए कहा। अपने लंड को आंटी की गांड और चूत में बारी बारी से डालने लगा और साथ साथ आंटी के निप्पल को भी मसलने लगा। मैंने आंटी के एक निप्पल को अपने मुहं में डाल लिया और दूसरे निप्पल को में दबाने लगा। फिर करीब बीस मिनट तक मैंने यह सब किया और करीब तीन बजे तक मैंने आंटी को बाथरूम में चोदा। फिर आंटी किचन में चली गयी और सिर्फ़ आंटी ने अपनी छाती पर एक टावल ही लपेटा था और वो खाना बनाने लगी। फिर करीब एक घंटे के बाद में किचन में गया और मैंने आंटी को पीछे से पकड़ा और पहले तो निप्पल को दबाया, फिर उस टावल को खोलकर आंटी को टेबल पर बैठा दिया और उनके दोनों पैरों को खोला और अपने लंड को उनके खुली हुई चूत में डालना शुरू किया और धक्के देते हुए उनके होंठो को भी चूसना शुरू किया।
    फिर करीब बीस मिनट तक में चुदाई करते हुए उनके होंठो को चूसता रहा और साथ साथ आंटी के बूब्स को भी मसलता रहा। फिर मैंने उसके बाद आंटी को नीचे उतारकर उनके एक पैर को टेबल के ऊपर रख दिया और अब में अपने लंड को उनकी चूत में डालने लगा और पूरा लंड अंदर जाने के बाद में ज़ोर ज़ोर से झटके मारना लगा। आंटी आहहह आईईइ करके आवाज निकालने लगी। फिर कुछ देर बाद के मैंने लंड को बाहर निकाला और जैसे ही मैंने अपने लंड को आंटी की गांड में डाला ही था कि उससे पहले आंटी पीछे हट गई जिसकी वजह से लंड फिसलकर बाहर आ गया, वो मना करने लगी और वो बोली कि मुझे बहुत दर्द होता है। तुम दूसरी जगह इसको डाल दो, लेकिन मैंने उनकी कोई बात नहीं सुनी और मैंने उनकी गांड के मुहं पर लंड को रखकर कमर को कसकर पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का देकर पूरा लंड गांड में उतार दिया। उसके बाद में जोश में आकर तेज तेज धक्के देकर उनको चोदता रहा और जब मेरा झड़ने का समय आया तो मेरा काम खत्म होने लगा तो मैंने अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर हिलाकर आंटी के चेहरे के ऊपर वीर्य निकाल दिया और उसके बाद आंटी थककर वहीं टेबल के ऊपर कुछ देर लेट गई और में बाहर आकर बाथरूम में जाकर नहाकर अपने कपड़े पहनकर आ गया।
    दोस्तों इस तरह से मैंने अपनी उस चुदक्कड़ चुदाई की प्यासी आंटी को लगातार दो सप्ताह तक एक दिन में दो बार जब भी जहाँ भी मौका मिला जरुर चोदा और उन्होंने मेरा हर बार पूरा पूरा साथ दिया। एक बार आंटी मुझसे बोली कि तेरा लंड तो मेरे पति के लंड से भी लंबा है और बहुत मोटा है इसने मेरी चूत को चोद चोदकर इसका भोसड़ा बना दिया है, देखो यह चुदकर कितनी बड़ी हो चुकी है, जब इसके अंदर मेरे पति का लंड जाएगा तब मुझे उसका पता भी नहीं चलेगा, वो लंड ऊँगली की तरह मुझे अपनी चूत में महसूस होगा, में तुम्हारी इस चुदाई और हर तरह से चुदाई करने के तरीको से बहुत खुश हूँ और तुमने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया, मेरी चूत की आग को एकदम ठंडा कर दिया है, तुम बहुत अच्छे हो देखो मेरे पति को तो मेरी बिल्कुल भी चिंता नहीं है, वो मुझे इतने दिनों तक अकेला तड़पता हुआ छोड़ जाते है, जिससे अब तक में अपनी चूत को कभी मोमबत्ती या कभी अपनी ऊँगली को डालकर शांत करती थी, लेकिन अब मुझे शायद उनकी कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर मैंने आंटी से बोला कि आंटी फिर भी जब कभी आपको मेरे इस लंड की याद आए तो आप अपनी पेंटी को उतारकर उसी समय मेरे रूम में आ जाना में आपकी चूत की प्यास को दोबारा शांत कर दूंगा। अब वो हंसकर बोली कि हाँ ठीक है अब से में तुम्हारी ही रंडी बनकर अपनी चूत की प्यास बुझाकर खुश हो जाउंगी ।।
    धन्यवाद
     
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