गाँव की गोरी के साथ मक्के के खेत में जबरदस्त चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Aug 22, 2017.

  1. 007

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    //8coins.ru Village Sex Story : हेल्लो दोस्तों मैं चन्द्र सिंह राठोर आप सभी का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है। मेरे दोस्त मुझे प्यार से चन्द्र कहकर बुलाते है।

    दोस्तों आपको तो पता ही होगा की गाँव की गोरियों का फिगर कितना मस्त होता है। वो शहर की लकड़ियों की तरह डाइटिंग तो करती नही और जमकर खाती है। गाँव में दूध दही की भी कोई कमी नही होती है। इस वजह से गाँव की गोरियां जबरदस्त माल होती है जिनको देखते ही लंड खड़ा हो जाता है। मैं काफी दिनों से दिल्ली में जॉब कर रहा था। मैं शहर की दौड़ भाग की जिन्दगी से ऊब गया था इसलिए मैंने 15 दिन की छुट्टी अपने ऑफिस से ले ली। गाँव आते ही मेरा तन मन खुश हो गया। यहाँ की ताज़ी और साफ़ हवा की बात ही अलग थी। गाँव में चारो तरफ हरे भरे खेत थे। धान और मक्का की फसल हर तरह थी। मुझे देखकर घर वाले बहुत खुश हुए।

    दोस्तों मैं खेत खेत घुमने लगा। और ऐसी ऐसी लड़कियाँ मुझे दिख रही थी की मेरा लंड खड़ा हो गया था। मेरे गाँव की सारी लड़कियों में रानू नाम की लड़की सबसे हॉट थी। उसे देख के मेरा लंड खड़ा हो गया। उसे मैं लाइन देने लगा। मैंने अपना स्मार्टफोन उसे कुछ दिनों के लिए दे दिया। रानू को हिंदी गाने सुनने का बहुत शौक था। इयरफोन भी मैंने उसे दे दिया। वो सारा सारा दिन गाना सूना करती थी। धीरे धीरे वो मुझसे पत गयी। शाम को रानू अपने मक्के के खेतों में घास छीलने आती थी। मैंने पकड़कर किस कर लेता था। अब तो मेरा उसे चोदने का दिल कर रहा था। दूसरे दिन जब वो अपने मक्के के खेत में आई वो अकेली थी। मुझे मौक़ा मिल गया था। मैंने उसे खेत में अंदर ले गया जहाँ कोई हम दोनों को न देख सके। मक्के के पेड़ 7 7 फुट लम्बे थे। अंदर काफी छाँव रही थी। मैंने रानू को लेकर नीचे बैठ गया और उसे किस करने लगा। वो भी मेरे होठो पर किस करने लगी।

    "बोल देगी???" मैंने पूछा

    "क्या????" वो मुंह हिलाकर बोली

    "बहन की लौड़ी लडकियाँ लडकों को क्या देती है??? सब समझ रही है फिर भी बकचोदी पेल रही है। देख मैं दिल्ली जाने वाला हूँ। चूत देना है तो आज ही दे दे!!" मैंने कहा

    दिल्ली वाली बात सुनकर वो सरेंडर हो गयी और मान गयी। मैंने उसके दुप्पटे को मक्के के पेड़ों के बीच में बिछा दिया जहाँ पर छाँव थी। रानू कपड़े निकलने लगी। मैं भी कपड़े उतारने लगा। फिर हम दोनों नंगे हो गये। दोस्तों रानू मेरे गाँव की सबसे खूबसूरत गोरी थी। उसका बदन ख़ूब हस्त पुष्ट था। उसका सिर और चेहरा भी काफी बड़ा था। रानू हट्टी कट्टी बदन वाली लड़की थी। उसका फिगर 36 28 32 का होगा। वो बहुत गोरी और सुंदर लड़की थी। उसका बदन बहुत गोरा, भरा हुआ और सुडौल था। फिगर कमाल का था। बदन बिलकुल संगमर्मर की तरह चिकना और तराशा हुआ था। वो बहुत सेक्सी और हॉट माल थी। छरहरा और बिलकुल फिट जिस्म था। रानू की आँखें काली काली और बड़ी बडी थी। पलके तो बेहद खूबसूरत थी। वो 20 साल की एक जवान, आकर्षक नवयौवना थी। उसके ओठ, मम्मे, रेशमी काले बाल उसकी खूबसूरती बढ़ा देते थे। उसकी लचकती छरहरी पतली कमर बहुत कामुक थी और चूत सबसे जादा बहुत मस्त थी। उसके मम्मे 34" के थे। बहुत बड़े बड़े गोल गोल और रसीले थे। कोई भी लड़का उसके नंगे बूब्स को अगर एक बार देख लेता तो उसे चोदकर ही मानता। रानू इतनी खूबसूरत माल थी। वो अपने मम्मे आगे की तरफ और अपनी गांड मटका मटकाकर पीछे की तरफ निकाल कर चलती थी। उसके दूध मुसम्मी की तरह गोल गोल थे और दूर से ही चमकते थे। वो सलवार सूट पहनती थी क्यूंकि गाँव में लड़कियाँ यही पहनती है।

    दोस्तों मेरे गाँव की सबसे खूबसूरत गोरी आज मेरे सामने नंगी थी। मेरा लंड तो उसे कुवारे बदन को देखकर ही खड़ा हो गया। मैंने रानू को बाँहों में भर लिया और उसके कंधे सहलाने लगा। वो मुझे किस करने लगी। मैं उसके होठ चूसने लगा। हम दोनों आज अपनी सुहागरात मनाने जा रहे थे वो भी मक्के के खेत में। मैं बार रानू के मखमली जिस्म को नीचे से उपर तक ताड़ रहा था। सच में वो बहुत हॉट माल थी। उसके कंधे तो मुझे सबसे जादा सेक्सी लग रहे थे। मैं रानू पर लेट गया और उसके होठ चूसने लगा। वो मेरी और मैं उसके होठ चूस रहा था। फिर वो अपनी जीभ बाहर निकालने लगी। मैं भी कामुक होने लगा और उसकी जीभ से अपनी जीभ टकराने लगा। दोस्तों इस तरह हम मजे करने लगे। फिर मैं उसके गाल पर पप्पी देने लगा। उसके गले को किस करने लगा।

    उसके 34" के भारी भारी दूध को मैं मसलना और दबाना शुरू कर दिया। शुभ काम में देरी कैसी। रानू"आआआअह्हह्हह...ईईईईईईई..ओह्ह्ह्..अई. .अई..अई...अई..मम्मी.." करने लगी। उफ्फ्फ्फ़ क्या मक्खन जैसे दूध से उसके। इतने सुंदर और सजीले। मैं तो काफी देर तक रानू की चूचियां का परीक्षण करता रहा। खुदा की अनमोल धरोहर थी उसकी रसीली चूचियां। लग रहा था की गोल वाले बड़े बड़े बैगन मेरे हाथों में है। हल्का गुलाबी रंग के दूध बेहद खूबसूरत थी। दोस्तों मैंने कई लड़कियाँ दिल्ली में चोदी थी पर इतने सुंदर दूध किसी के नही थे। मैं तो मस्त हो गया था। रानू की छातियों को सहला रहा था। उसकी निपल्स के चारो तरह लाल लाल घेरे तो जो सेक्सी लग रहे थे। फिर मैं हलके हाथों से मम्मो को दबाने लगा। रानू की चुदासी और सेक्सी माल को उपर वाले से बड़ी फुर्सत में बनाया था। मुझे तो ऐसा ही लग रहा था। मैं दूध दबाने लगा तो रानू "..मम्मी.मम्मी...सी सी सी सी.. हा हा हा ...ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ.." करने लगी। मेरी अन्तर्वासना बढ़ने लगी। मैं और तेज हाथों से सॉफ्ट दूध को दबाने लगा। रानू तड़पने लगी। फिर मैंने लेटकर उसकी बायीं चूची को मुंह में लेकर पीने लगा। सबसे जादा मजा जिन्दगी में मुझे आज ही मिला था। रानू "...उई. .उई..उई...माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह." की मदमस्त आवाजे निकाले जा रही थी।

    मैं अपने धंधे पर लगा हुआ था। कैसे भी इस माल को आज इतना चोद दो भाई की रोज रोज तुमने से लंड मांगे और इस मक्के के खेत में आकर चुदवाये मैंने खुद से कहा। रानू कसमसा रही थी। मैं मुंह चलाकर उसकी रसीली चूचियां पी रहा था। रानू ने नाक में सोने की बाली पहन रखी थी। वो गजब का सेक्सी माल लग रही थी। मैं रुकने का नाम नही ले रहा था। जल्दी जल्दी मुंह चलाकर दूध पी रहा था। रानू सिर्फ अपनी चुचियों की तरह की देख रही थी। वो " हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ सी सी सी सी. हा हा हा.. ओ हो हो.चन्द्र आराम से! धीरे धीरे पियो" कह रही थी। पर मैं उसकी बात नही सुन रहा था। मैं अपनी धुन में था और रानू के दूध चूसते जा रहा था।

    दोस्तों करीब आधे घंटे तक मैंने रानू की चूचियां पी। जिन्दगी का मजा आ गया था मुझे। उसके बाद मैं उसके पेट को सहलाने लगा। कितना चिकना और सेक्सी पेट था। रानू की नाभि में मैं ऊँगली करने लगा। वो मेरा हाथ पकड़ने लगी। फिर मैं उपर से नीचे तक उसके पेट में जीभ लगाने लगी।

    "मत करो चन्द्र!! गुदगुदी होती है" रानू बोली

    मैं नही माना और उसे मजा देता रहा। अंत में मैं उसकी चूत पर पहुच गया। चूत पर हल्की हल्की झांटे थी। मैंने उसकी चुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया। "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी... ऊँ-ऊँ.ऊँ.." रानू तड़पने लग गयी। मैंने उसकी चूत को ऊँगली से खोल कर देखा तो मेरी गर्लफ्रेंड पूरी तरह से कुवारी थी। मैं हंसने लगा।

    "ये क्या रानू!! तू इतनी बड़ी हो गयी। किसी ने चोदा नही तुझे???" मैंने पूछा

    "धत्त्त!!!" वो मुंह बनाकर बोली और मुझे मारने लगी

    मैं अपनी ऊँगली को जीभ में लगाकर गीला किया और चूत की दरार में ऊँगली नीचे से उपर चलाने लगा। रानू किसी मछली की तरह तड़पने लगी। मुझे सेक्स का नशा चढ़ गया। मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत की घाटी में ऊँगली करने लगा। रानू मस्त हो गयी। उसके खूबसूरत पैर मैंने सहलाये और किस किया। फिर उसकी चुद्दी मैं चाटने लगा। रानू मजा लेने लगी। दोस्तों मैं जल्दी जल्दी उसकी बुर चाट रहा था। अपनी जीभ के किनारे से मैं उसकी रसीली चूत चाट रहा था। हल्की झांटे उसकी चूत पर थी। मैं उसके चूत के दाने में बार बार अपनी जीभ का किनारा टकरा रहा था। रानू तडप रही थी। उसकी बुर का स्वाद नमकीन था जो मुझे अच्छा अच्छा लग रहा था। मैं रानू की चूत चाटने में व्यस्त था। वो "..उंह उंह उंह हूँ.. हूँ.हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई..." की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी। उसकी कुवारी चूत की झिल्ली मुझे दिख रही थी। मैं तो जल्दी जल्दी बुर चाट रहा था। रानू की कमर आगे पीछे हो रही थी। साफ था की उसकी चूत में भूचाल आ गया है। वो कसमसा रही थी। बार बार अपनी कमर को आगे पीछे कर रही थी। रानू अपना सिर उठाकर अपनी चूत की तरफ ही देख रही थी पर उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था। उसकी चुद्दी काफी नीचे की तरह थी। किसी पाव ब्रेड की तरह कुप्पा जैसी फूली हुई थी। फिर मैं पूरी चूत पर अपनी जीभ घुमाने लगा। रानू मुझे दूर भागने लगी। पर मैं तो जैसे उसकी चूत से चिपक गया था। मैं किसी चुदासे कुत्ते की तरह उसकी चूत का सेवन कर रहा था। अब उसकी बुर से सफ़ेद रंग की क्रीम निकलने लगी थी। रानू का बदन पसीना पसीना हो गया था। उसके बदन की गर्मी छूटने लगी थी। मैं भी पसीना में नहा गया था। रानू का तो बुरा हाल था।

    मेरी जीभ बार बार उसकी चेद के छेद में घुसने की कोशिश कर रही थी पर चूत तो सील बंद थी। मैंने 25 मिनट तक अपने गाँव की खूबसूरत गोरी की चूत का मजा लिया। हम दोनों मस्त हो गये। हम दोनों को अब सेक्स टेंशन होने लगा था।

    "चन्द्र!! प्लीस मुझे अब चोद दो मुझसे रहा नही जा रहा.प्लीस जल्दी चोदो मुझे" रानू जोर से चिल्लाई

    मैं उसके गाल पर 2 4 चांटे सेक्स उत्तेजना में जड़ दिए और उसके पैर खोल दिए। लंड उसकी चूत पर रखा और जोर का धक्का मारा। रानू की खूबसूरत चूत की झिल्ली टूट गयी। मेरा लंड भीतर चला गया।"आऊ...आऊ..हमममम अहह्ह्ह्हह.सी सी सी सी..हा हा हा.." रानू चिल्लाई और उसने मुझे सीने से चिपका लिया। मैं उसे चोदने लगा। मैं उसके सीने से चिपक कर उसे ठोंक रहा था। मैं तो इससे पहले भी कई लौंडियों की सील तोड़ चुका था इसलिए मुझे काफी अनुभव था। मेरी कमर जल्दी जल्दी उपर नीचे घूम रही थी। मेरा लंड गहराई तक रानू की चुद्दी में जा रहा था और उसे पेल रहा था। वो मुझे सीने से चिपकाए हुए थे। सेक्स के नशे में उसका मदन मरोड़ खा रहा था। वो तडप रही थी। मैं धकाधक उसे ठोंक रहा था। "बहन की लौड़ी आज जी भरकर खा ले.हूँ हूँ हूँ" मैंने चिल्ला रहा था और हुमक हुमक के रानू का गेम बजा रहा था। रानू तो "अई...अई..अई. अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा." बोलकर तडप रही थी। मैं जल्दी जल्दी अपना लंड उसकी चुद्दी में अंदर बाहर करके चला रहा था। कुवारी चूत होने की वजह से मुझे खासी मेहनत करनी पड़ रही थी। मेरे मत्थे पर पसीना आ गया था। लग रहा था की मैं खेत में कोई हल चला रहा हूँ। रानू तो सरेंडर हो चुकी थी। अपने हाथ पैर खोलकर मजे से चुदा रही थी। अपने होठो को दांत से चबा रही थी। दोस्तों मजा आ गया उस दिन मक्के के खेत में। मैं नॉन स्टॉप 25 मिनट तक रानू की चूत में हल चलाया और अपना बीज उसकी चूत में ही छोड़ दिया। आखिर में मैं झड़ गया।

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    हम दोनों लेटकर आराम फरमाने लगे। हम दोनों अभी भी हांफ रहे थे। मैंने रानू के हाथ में अपना लंड दे दिया।

    "चल फेट इसे" मैंने कहा

    रानू जल्दी जल्दी मेरा लंड फेटने लगी। दोस्तों आज मक्के के खेत में मैंने रानू के साथ सुहागरात मना ली थी। उसकी कुवारी चूत की सील तोड़कर मैं बहुत खुश था। रानू मेरे लंड को जल्दी जल्दी फेंटने लगी। फिर वो बैठ गयी और झुककर मेरा लंड चूसने लगी। उफ्फ्फ्फ़!! उसकी पीठ कितनी लम्बी, नग्न और सेक्सी लग रही थी। मैं हाथ से नीचे से उपर उसकी पीठ को सहलाने लगा। धीरे धीरे रानू को मजा आने लगा। वो जल्दी जल्दी मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी। मुझे अच्छा लग रहा था। मेरी गोलियां बार बार बड़ी होती, सिकुड़ जाती, फिर बड़ी हो जाती।रानू मेरी गोलियों को सहला रही थी। फिर उसके हाथ जल्दी जल्दी मेरे लंड पर उपर नीचे दौड़ने लगे। रानू जल्दी जल्दी मेरा लंड फेट रही थी। गोल गोल करके वो फेट रही थी। मेरा सूखा लंड अब फिर से खड़ा होने लगा था। मेरे लंड की नशे तनने लगी थी। अजीब सा अहसास था वो। थोडा अजीब और थोडा अच्छा। मैं रानू के कंधे को हाथ से सहला रहा था। कितने सुंदर और दूधिया कंधे से उसके। मैंने रानू को अपनी तरफ खीचा और उसके बाए कंधे पर दांत गड़ाकर काट लिया।"..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." वो तडप गई। उसे बहुत दर्द हुआ था। मेरे दांत उसके कंधे पर बन गये थे। पर सेक्स के नशे में वो सह गयी। वो फिर से मेरा लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद मैं उसे खेत में ही कुतिया बना दी और उसकी कुवारी गांड चोद ली। 10 दिन तक मैंने गाँव में मक्के के खेत में रानू की चूत और गांड बजाई। फिर मैं दिल्ली चला गया। दोस्तों अब रोज उसे मेरे लंड की तलब लगती है। रोज मुझे वो फोन करके बुलाती है पर मैं नही जा पाता। रानू की रसीली चूत चुदाई की यादे मुझे हमेशा सताती रहती है। आप ही बताइए अब मैं क्या करूं?? कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।

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