दादा के लंड से मेरी चूत का स्वयंवर हुआ

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jul 21, 2017.

  1. 007

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    //8coins.ru हेल्लो दोस्तों, Kamukta मैं श्वेता अग्रवाल आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम
    में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की
    नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई
    कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं
    उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।
    दोस्तों मैं अग्रवाल घराने की वारिश थी। मेरे कोई भाई नही था। मेरे दादा
    श्री शम्भू अग्रवाल का गुटखे का बड़ा कारोबार था जो दिल्ली, उत्तरप्रदेश
    और बिहार राज्यों में फैला हुआ था। 5 हजार करोड़ रुपए का हमारा टर्नओवर था
    और मैं ही इकलौती वारिश थी। दिल्ली के सैनिक फार्म्स में हमारा शानदार
    फार्म हाउस और बंगला था। मेरे पास हर तरह की सुविधा थी। हर तरह का
    ऐशोआराम था। मेरे दादा जी ने बहुत मेहनत से ये जायजाद और इस बिजनेस को
    खड़ा किया था। मेरे दादा मुझे बहुत प्यार करते थे। मैं तो उनकी आँखों का
    तारा थी। वो सुबह तो अपनी गुटखा कम्पनी चले जाते थे पर शाम को मेरे साथ
    ही खाना खाते थे। मेरे दादा जी ने ही मेरे कपड़े को किसी राजकुमारी के
    कमरे जैसा डेकोरेट करवाया था। धीरे धीरे मैं बड़ी और जवान माल हो गयी थी।
    अब जब मैं खुद को शीशे में देखती थी मुझे काफी आश्चर्य होता था।
    नहाने के बाद मैं सीधा अपनी ड्रेसिंग टेबल पर आ जाती थी और अपने मम्मो पर
    टोवल बांधकर मैं घंटो घंटो अपने आपको घूरा करती थी। मैं बिलकुल ब्रिटनी
    स्पीयर्स तरह पॉप दीवा बनना चाहती थी। एक दिन सुबह का वक़्त था। मैं नहाकर
    निकली और एयर ब्लोअर से मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपने खूबसूरत काले
    घने और लम्बे बाल सूखा रखी थी। अचानक मेरे सीने पर बंधी टॉवल खुल गयी और
    नीचे गिर गयी। मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। मैंने खुद को आईने में
    देखा तो मैं पूरी तरह से शर्मा गयी। मैं अब कोई छोटी बच्ची नही रह गयी
    थी। मेरे शरीर का अब सम्पूर्ण विकास हो गया था। मेरा जिस्म अब किसी गुलाब
    की तरह खिल गया था। मैं चुदने और लंड खाने को तैयार थी। आज पहली बार
    मैंने खुद को सिर से पाँव तक शीशे में देखा। मेरे मम्मे तो बहुत ही
    खूबसूरत हो गये थे। कितने बड़े बड़े और चिकने थे। अगर कोई चुदासा लड़का मेरे
    बूब्स को देख लेता तो मुझसे पिलाने की जिद करने लग जाता। मैं बड़ी देर तक
    खुद को शीशे में घूरती रही। अब मेरी चूत पर काली काली झांटे जम आई थी। अब
    मैं चुदने को तैयार हो गयी थी। फिर मेरे दादा जी अचानक से मेरे कमरे में
    घुस आए। वो मेरे पीछे खड़े थे, मैं जान नही पाई।
    "दादाजी आप???" मैंने घबराकर बोली
    वो मेरे पास आ गये और मुझे बाहों में भरकर किस करने लगे।
    "ओह्ह मेरी पोती कितनी बड़ी हो गयी है!!" दादा बोली और मेरे मम्मो को हाथ
    में उन्होंने ले लिया। वो बार बार मेरे गाल पर चुम्मा ले रहे थे। मुझे ये
    सब अजीब लग रहा था क्यूंकि मैं पूरी तरह से नंगी थी। मैं उनको जाने के
    लिए भी नही बोल पा रही थी क्यूंकि वो मेरे प्यारे दादा थे और मुझे बहुत
    प्यार करते थे। शायद आज वो मुझे कसके चोदना चाहते थे। मुझे सेक्स के बारे
    में कुछ नही पता था। बस इतना मुझे पता था की ये चुदाई बड़ी दिलचस्प चीज
    होती है। बस ये बात ही मुझे मालूम थी। दादा ने मुझे नंगे नंगे ही पकड़
    लिया और जल्दी जल्दी मेरे गाल और ओठो को चूसने लगे। धीरे धीरे मुझे सब
    अच्छा लगने लगा।
    "बेटी श्वेता!! चलो आज हम लोग चुदाई चुदाई का खेल खेल खेलते है!!" दादा बोले
    "ठीक है दादा!!" मैंने कहा
    उसके बाद दादा जी मुझे बेड पर ले आये और मुझे लिटा दिया। वो मेरे उपर लेट
    गये और ओठो पर किस करने लगे। दोस्तों मैं 18 साल की वयस्क लड़की हो चुकी
    थी। अब मैं पूरी तरह से जवान हो गयी थी। मैं चुदने को और लंड खाने को
    तैयार थी। मेरे दादा मुझे देखकर, मेरी जवानी को देखकर पूरी तरह से पागल
    हो गये थे। वो मेरे उपर लेटे हुए थे और मेरे गुलाबी होठो का चुम्बन ले
    रहे थे। धीरे धीरे उनका लंड भी खड़ा हो रहा था। मैंने भी उनको बाहों में
    भर लिया था। वो जल्दी जल्दी मेरे होठ चूस रहे थे। इसके साथ ही दादा जी
    मेरे बूब्स को बार बार दबा रहे थे। दोस्तों मेरा फिगर अब 34, 28, 32 हो
    गया था। मेरे मम्मे तो बहुत ही खूबसूरत और गोल गोल भरे भरे थे। बड़ी देर
    तक दादा ने मेरे मम्मो को हाथो से सहलाया और जोर जोर से दबाकर मजा लिया।
    मैं "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" की आवाज निकाल
    रही थी। फिर दादा मेरे बूब्स को मुंह में लेकर चूसने लगे।
    मुझे भी काफी उत्तेजना हो रही थी। दादा जी को बहुत मजा मिल रहा था। वो
    जल्दी जल्दी मेरे मम्मे चूस रहे थे। मेरे बूब्स के शिखर पर निपल के चारो
    ओर गोल गोल काले सेक्सी गोले थे, जो दादा जी को बहुत सेक्सी लग रहे थे।
    वो जल्दी जल्दी मेरी चूची चूस रहे थे। उनको बहुत मजा मिल रहा था।
    उन्होंने मेरी एक चूची चूस ली फिर दूसरी चूची चूसने लगे। मेरी चूत तो माल
    से तर हो गयी थी। मैं
    "..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.."
    की आवाज निकाल रही थी। दादा जी ने मुझसे भरपूर मजा ले लिया था।
    "दादा जी कैसे होगा ये चुदाई वाला गेम???" मैंने पूछा
    "बेटी!! मैं तेरी चूत की शादी अपने लौड़े से करवाउंगा, उसके बाद गेम
    स्टार्ट हो जाएगा" दादा जी बोले
    उसके बाद उन्होंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पूरी तरह से नंगे हो गये।
    फिर हम दोनों ने एक जलती हुई मोमबत्ती के 7 चक्कर लगाये। फिर दादा ने
    मेरी चूत में सिंदूर लगा लिया। दादा के लौड़े से मेरी चूत का स्वयमबर पूरा
    हो चुका था। उनके बाद दादा ने मुझे बेड पर लिटा दिया। वो मुझे खा जाने
    वाली वासना भरी दृष्टी से देख रहे थे। वो मुझे खा जाना चाहते थे। दादा
    मेरे बगल लेट गये और मेरे पेट को सहला रहे थे। दोस्तों मैं बहुत खूबसूरत
    और सेक्सी माल थी। फिर दादा मेरी स्लिम ट्रिम पेट पर चुम्मी लेने लगे।
    मेरी एक एक पसली दिख रही थी। दादा तो मेरे पेट और पसलियों पर चूस रहे थे।
    दोस्तों मेरी कमर तो किसी नागिन जैसी कमर की तरह थी। मेरा पेट अंदर की
    तरह धंसा हुआ था। फिर दादा जी ने मेरे पेट में जीभ डाल दी और जल्दी जल्दी
    चाटने लगे। मैं "...ही ही ही ही ही...अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह... उ
    उ उ." की आवाज निकाल रही थी। मुझे बहुत जादा यौन उत्तेजना हो रही थी।
    मेरी चूत से बराबर रस निकल रहा था। पर दादा जी का ध्यान तो अभी बस मेरे
    पेट और सेक्सी नाभि पर था।
    "श्वेता बेटी!! यू आर ए वंडरफुल गर्ल!!" दादा बोले
    "आई लव यू दादू!!" मैंने मुस्कुराकर कहा
    वो फिर से मेरे पेट को चूमने और पीने लगे। फिर मेरी सेक्सी कमर को सहलाने
    लगे। कुछ देर बाद दादू मेरी चूत पर पहुच गये। मेरी चुद्दी [चूत] की शादी
    उनके लौड़े से हो चुकी थी। इसलिए अब वो मेरे साथ चुदाई वाला गेम खेल सकते
    थे। दादा अब मेरी चूत पी रहे थे। धीरे धीरे अब वो मेरी चूत को मुंह लगाकर
    जल्दी जल्दी चाट रहे थे। मैं अब जवान हो चुकी थी। आज मैं पहली बार अपने
    दादा से चुदने वाली थी। उनकी खुदरी जीभ मुझे बहुत तडपा रही थी और मेरी
    चुद्दी के भीतर घुसी जा रही थी। मैं "आई...आई..आई.
    अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा."
    की आवाज निकाल रही थी। मुझे बहुत अजीब सा नशा हो रहा था। शायद इसी नशीले
    खेल को चुदाई वाला गेम खा जाता था। दादा की जीभ जल्दी जल्दी मेरे चूत दे
    दाने को छेड़ रही थी। मेरी चूत में तो जैसे आग ही लग रही थी। मेरे चूत के
    होठो को दादा जी दांत से पकड़कर काट देते थे और उपर उठा देते थे। वो मेरी
    चूत के होठो को दांत से काट रहे थे। मुझे बहुत जादा सनसनी महसूस हो रही
    थी। दादा तो जैसे पागल ही हो गये थे। कुछ देर बाद उन्होंने मेरे दोनों
    पैर खोल दिया और अपना 9" लम्बा लंड मेरी चूत के छेद पर लगा दिया। फिर
    दादू ने इतनी जोर का धक्का मारा की मेरी चुद्दी की सील टूट गयी। लंड अंदर
    घुस गया। मैंने दर्द से कराह गयी। मैंने डर के बारे अपनी आँखें बंद कर ली
    थी। मुझे दर्द हो रहा था। फिर मेरे सगे दादा जी मुझे चोदने लगे। वो मेरी
    कुवारी चूत को चोद रहे थे। उनका लंड तो किसी लौकी जैसी लग रहा था।
    वो मुझे जल्दी जल्दी पेलने लगे। मैं "आऊ...आऊ..हमममम अहह्ह्ह्हह.सी
    सी सी सी..हा हा हा.." की आवाज करने लगी। मुझे दर्द भी हो रहा था और मजा
    भी आ रहा था। बड़ा मीठा मीठा लग रहा था। दादा जी लम्बी लम्बी सांसे ले रहे
    थे और मेरे जैसी खूबसूरत और कुवारी लड़की का भोग लगा रहे थे। मेरे आँखों
    के सामने अँधेरा छा रहा था। दादा ने मेरे दोनों हाथों को कसके पकड़ रखा
    था। जल्दी जल्दी वो मुझे भांज रहे थे। लग रहा था की कोई मेरे पेट को ही
    फाड़े दे रहा है। दादा का लंड मेरे खून से लतपत हो चुका था। वो तो रुक ही
    नही रहे थे। बस जल्दी जल्दी मुझे चोदे जा रहे थे। दादू मेरे उपर सवाल थे।
    मेरी चुद्दी की वो सवारी कर रहे थे। फिर कुछ देर बाद वो और जोश में आ गये
    और जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगे। अब मेरी चूत में उनका लंड सट सट फिसलने
    लगा। 20 मिनट बाद दादा जी ने मेरी चूत से लंड निकाल लिया। वो मेरे मुंह
    के सामने आकर मेरे लंड को जल्दी जल्दी फेट रहे थे। मैंने मुंह खोल दिया।
    फिर कुछ देर बाद दादा जी के लौकी जैसे लंड ने अनेक माल की सफ़ेद
    पिचकारियाँ निकली और मेरे मुंह में चली गयी। मुझे गन्दा लगा तो मैं थूकने
    लगी।
    "नही श्वेता बेटी!! इसे थूको मत!! पी जाओ!! मेरी शाबाश बेटी!!" दादा जी
    बोले और मेरा मनोबल बढाया। मैं सारा माल पी गयी।
    "बेटी श्वेता!! तेरी चुद्दी की मेरे लौड़े से अब शादी सम्पन्न हो चुकी
    है!! इस गेम को ही चुदाई वाला गेम कहते है!!" दादा जी बोले
    उसके बाद वो मेरे बगल ही लेट गये। एक छोटी झपकी लेने के बाद हम दोनों जाग
    गया। दादा जी ने मेरे हाथ में अपना मोटा लंड दे दिया।
    "इसे फेटो बेटी!!" दादा जी बोले तो मैं जल्दी जल्दी उनका लंड फेटने लगी।
    दोस्तों मुझे लंड को हाथ में लेने में बहुत मजा आ रहा था। मैं जल्दी
    जल्दी इसे उपर नीचे करके फेट रही थी। मुझे भी अच्छा लग रहा था और बहुत
    रोमाच हो रहा था। मेरे लिए आज के सारे काम बिलकुल नये थे। फिर दादा ने
    मेरे मुंह में लंड डाल दिया और चूसने को कहा। अब मैं जल्दी जल्दी उनके
    लंड को चूसने लगी। मुझे अजीब सा नशा हो रहा था। इतना मोटा लंड आजतक मैंने
    कभी मुंह में नही लिया था। मुझे साँस भी नही आ रही थी। मैं जल्दी जल्दी
    दादा जी का लंड चूस रही थी। वो मेरे सिर को पकड़कर लंड में अंदर दबा देते
    थे। मुझे साँस भी नही आती थी। इस तरह से मैंने आधे घंटे तक दादा को लौड़ा
    चूसा। फिर उनकी गोलियां भी चूसी। फिर दादा जी ने मुझे अपनी कमर पर बिठा
    लिया और मेरी चुद्दी [चूत] में लंड डाल दिया।
    मुझे ये काफी अजीब पोस लग रहा था। फिर दादा मुझे हल्का हल्का उठाने लगे
    और धक्के देने लगे। मैं भी अपनी तरह से उनके लंड पर उठने बैठने लगी। दादा
    जी ने मेरे चूत दे दाने पर हाथ लगा दिया और जल्दी जल्दी घिसने लगे। उसके
    बाद तो मैं और जल्दी जल्दी लंड पर उठक बैठक करने लगी। मैं चुदने लगी। बाप
    रे!! कितना नशा था इस तरह की ठुकाई में। दादा जी का लंड मेरी चूत में
    बिलकुल सीधा 90 डिग्री पर गड़ा हुआ था। मैं "..उंह उंह उंह हूँ.. हूँ.
    हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई... दादा जी!!..फक मी
    हार्डर!..कमाँन फक मी हार्डर!.फक माई पुसी!!" मैं बडबड़ाने लगी। फिर
    तो दादा जी भी जोश में आ गये और नीचे से गहरे धक्के मारने लगे। मेरी चूत
    तो फटी जा रही थी क्यूंकि दादा जी बहुत तेज तेज धक्के मेरी चूत में मार
    रहे थे।
    वो मेरे चूत के दाने को जल्दी जल्दी घिस रहे थे। मुझे अजीब सा नशा चढ़ रहा
    था। मैंने अपने दोनों हाथ उनके सीने पर रख लिए थे और जल्दी जल्दी मैं
    उनके लौड़े पर उचक रही थी। मैं चुद रही थी। मेरे 34" के बड़े बड़े मम्मे हवा
    में उछल रहे थे। इसके साथ मेरे भीगे बाल भी हवा में उछल रहे थे। मैं अपने
    दादा से चुद रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा जिस्म बार बार काँप
    रहा था। मेरे अंदर सेक्सी और वासना की ज्वाला भड़क चुकी थी। फिर दादा जी
    ने मेरी कमर को कसके पकड़ लिया और हवा में उछाल उछाल कर मुझे चोदने लगे।
    जैसे मेरी चूत से टेनिस खेल रहे हो। मेरी चूत बाल का काम कर रही थी और
    दादा जी का लौकी जैसा लंड रैकेट का काम कर रहा था। फिर दोस्तों एक
    चमत्कार हुआ। मेरी कमर अपने आप गोल गोल नाचने लगी। मैंने अपने जिस्म को
    धीला छोड़ दिया था। मेरी कमर दादा जी के लौड़े पर डिस्को डांस करने लगी।
    फिर मैंने उसके उपर ही लेट गयी थी।
    मेरे भरे भरे खूबसूरत, गोल और गुलाबी रंग के पुट्ठों को सहला रहे थे। मैं
    अपने आप चुद रही थी। मुझे कुछ करना नही पड रहा था। सब कुछ अपने आप ही हो
    रहा था। जैसे मैं कोई साइकिल चला रही थी। ना जाने कैसे मेरी कमर अपने आप
    चुद रही थी। दादा जी को भरपूर सुख और मजा मिल रहा था। फिर वो मेरे होठ
    चूसने लगे। मुझे अब इस चुदाई वाले गेम में मजा आने लगा था। मुझे इसका नशा
    हो गया था। दादा जल्दी जल्दी नीचे से धक्के मारने लगे. कुछ देर बाद मैं
    उनके साथ ही चूत में झड़ गयी. उनके लंड से निकले गर्म गर्म माल को मैंने
    चूत में महसूस किया. फिर वो मेरे बूब्स चूसने लगे. आज उनको खूब मजा मिला
    था. वो मुझे बार बार आँखों, चेहरे और गाल पर चुम्मा ले रहे थे. मैं उनके
    उपर लेट गयी थी।
    "दादा जी!! मुझे इस गेम में बहुत मजा आया। अब आप रोज मेरे कमरे में आकर
    ये चुदाई वाला खेल खेला करो" मैंने अपने प्यारे दादा से कहा। अब वो रोज
    नियम से मेरी नई नई चूत को चोदते और बजाते है। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी
    कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।
     
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