बेटी ने माँ को चुदवाया

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 9, 2017.

  1. 007

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    //8coins.ru desi chudai हाय प्यारे रीडर्स, मैं महिप (उम्र 30, इन्दोर) में इसका नियमित रीडर्स
    हूँ. लेकिन पहली बार आप लोगो के पास एक सच्ची कहानी भेज रहा हूँ, आशा हैं
    यह कहानी आप लोगो को पसंद आयेगी. में 6 साल पहले इन्दोर
    आया तो मैने एक सुशिक्षित परिवार से भरपूर परिवार मे किरायेदार की हेसियत
    से रहने लगा. उस परिवार मे मेरे
    अलावा उनकी बड़ी लड़की पिंकी और पिंकी की मम्मी रुक्मणी और पापा सुरेश
    अग्रवाल रहते हैं. पिंकी के पापा इन्दोर शहर मे एक कॉटन कम्पनी मे काम
    करने के कारण अधिकतर बाहर ही रहते हें. यह परिवार वाले मुझे अपने बेटे
    जैसा ही मान कर मेरी खिदमत कर ते थे और मुझे अपने परिवार का ही एक सदस्य
    समझते थे उनके घर का माहोल शुरू से ही बड़ा खुला हुआ था घर मे पिंकी की
    माँ को में आंटी कहँ कर पुकारता था और पिंकी को दीदी, आमतोर पर पिंकी
    ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरूम मे ही पहनना अच्छा
    समझे. हालाँकी उसकी माँ रुक्मणी हमेशा साड़ी-ब्लाउज पहनती थी.
    आंटी और पिंकी दीदी घर मे मेरे सामने ही अपने मासिक (एम.सी) से सम्बधित
    बाते करती जैसे की आज मेरा पहला दिन है, या पिंकी को बहुत परेशानी महसूस
    हो रही है या ज़्यादा ब्लडडिंग हो रहा है. आमतोर पर आंटी और पिंकी दीदी
    मेरे सामने ही कपड़े बदलने मे कोई ज़्यादा शर्म संकोच नही करती थी, एक
    बार पिंकी दीदी की सभी सहेलियां होली खेलने हमारे घर आई तो मे दुबक कर
    दरवाजे के पीछे छुप गया, तब किसी को नही मालूम था की मे घर मे ही छुपा
    हुआ हूँ, खेर पिंकी दीदी और उसकी सहेलियो ने वहाँ पर घर के हॉल और बाथरूम
    के पास मे काफ़ी नंगापन मचाया, एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुये लगभग
    नगदहड़ंग पोज़िशन मे एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया, होली की दोपहर को आंटी
    भी मोहल्ले वालो के घर से रंग मे सराबोर होकर आई और मुझे बिना रंग के देख
    पिंकी दीदी से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा
    छोड़ दिया, और पिंकी दीदी को इशारा कर मुझे पकड़ कर गिरा दिया और मेरे
    पूरे शरीर पर रंग लगा दिया, पिंकी दीदी ने तो रंग कम पड़ने पर अपने शरीर
    को ही मुझसे रगड़ना शुरू कर दिया. मैं पहले नहा धोकर आया उसके बाद आंटी
    और पिंकी दीदी दोनो एक साथ बाथरूम मे नहाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और
    में चोरी छुपे बाथरूम मे देखा तो दोनों केवल पेन्टी पहन कर एक दूसरे की
    चूचियों पर लगा रंग छुड़ा रहे थे यह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह
    गयी.
    कुछ ही महीनो बाद पिंकी दीदी की शादी रतलाम मे हो गयी और वह अपने ससुराल
    चली गयी, कुछ महीनो के बाद गर्मियो के महीनो मे पिंकी दीदी कुछ दिनो के
    लिये अपनी माँ के पास रहने के लिये आई. जीजाजी पिंकी दीदी को छोड़ने के
    लिये दो दिनो के लिए आये थे. मैने देखा की पिंकी दीदी शादी के बाद अब और
    ज़्यादा बिंदास सेक्सी और कामुक हो गयी है, और क्यो ना हो अब उसके पास
    लाइसेन्स जो था, मेने जीजाजी को भी काफ़ी खुले विचारो वाला पाया. शाम को
    खाने के बाद उन्होने अपने हनीमून के फोटोग्राफ्स दिखाये जिसमे वह दोनो
    गोवा के समुन्द्र किनारे बिकनी और स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम्स मे ही नज़र
    आये. अचानक बिजली गुल हो गयी और काफ़ी देर तक नहीं आई इसलिये उस रात हमने
    ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया. छत पर एक लोहे का पलंग पड़ा हुआ था जिस
    पर जीजाजी ने मुझे सुला दिया, और वह दोनो इतनी गर्मी मे अंधेरे मे चिपक
    कर सो गये.
    थोड़ी देर बाद जब अंधेरे मे दिखने लगा तो मेने देखा की पिंकी दीदी जीजाजी
    के उनका 7 इंच लंबा लंड पकड़कर मस्ती से हिला रही थी और बार-बार उनका
    लंड चूस रही थी, उनकी सेक्सी चूमा चाटी और होने वाली खुस्फुसाहट के कारण
    मेरा 6 इंच लंबा लंड भी तंबू जैसे तना हुआ था, और फट कर बाहर आ जाने को
    हो रहा था, तभी दीदी बोली की उसे बाथरूम आ रही है तो जीजाजी ने मुझे
    आवाज़ लगाई, लेकिन मे आँखें बंद किये हुये नींद आने का बहाना बनाये पड़ा
    रहा तो दीदी बोली की शायद सो गया होगा, तब पिंकी दीदी उठी और बेड पर से
    ही अपनी पेन्टी को नीचे उतारती हुई छत के कोने मे पेशाब करने बेठ गयी,
    आसमान की हल्की रोशनी मे उसके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े चूतड़ चमक रहे थे
    जिनको देख कर जीजाजी भी उठे और अपनी लूँगी एक और फेक कर वी शेप की चड्डी
    मे से अपना लंड निकाल कर पूनम दीदी के चूतडो के ठीक पीछे लंड लगा कर
    पेशाब करने बेठ गये, और अपने दोनो हाथो से सेक्सी दीदी की चूचियों को
    दबाने लगे.
    इसके बाद तो वो दोनो खड़े-खड़े ही अंधेरे मे चुदाई करने लगे पिंकी दीदी
    की मदहोशी मे कामुक साँसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिये काफ़ी
    थी, मे अपनी आधी आखें बंद कर यह सब देख रहा था, और ना जाने कब मेरी आंखँ
    लग गयी, सुबह लगभग 5 बजे छत पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आँख खुली तो मेने
    देखा की पिंकी और जीजाजी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुये थे, शायद सेक्स
    करने के बाद उनकी नींद लग गयी और वो अपने आप को सही भी नही कर पाये.
    पिंकी दीदी की पेन्टी तो पेरो मे पड़ी थी और उसकी नाईटी उसके नंगे कमर पर
    पड़ी हुई थी, जीजाजी भी पूरे नंगे थे और उनका सिकुडा लंड दीदी की हल्के
    काले बालो वाली चूत मे से बाहर लटक रहा था, ऐसा सीन देख मेने सबसे पहले
    तो लपक कर मूठ मारी और उसके बाद अपनी सेक्सी दीदी की चूचियों को देखने की
    कोशिश की लेकिन जीजाजी के सीने से दबे होने के कारण मुझे कुछ ज़्यादा नही
    देखने को मिला.
    सुबह करीब 9 बजे में उठा तो देखा दीदी और जीजाजी उठ चुके थे मैं नहा धोकर
    फ्रेश होकर हम सब ने साथ मे नाश्ता किया. दीदी और जीजाजी आने के कारण
    आंटी जी ने मुझे कहा अंकल नहीं है घर मे तो दीनू तुम एक हफ्ते की दफ़्तर
    से छुटी ले लो इसलिये मैने एक हफ्ते की छुटी ले ली थी. सुबह दिन भर हम
    तीनो ने पिक्चर हॉल मे पिक्चर देखी और कई जगह घूमने भी गये जब शाम को 7
    बजे हम घर लोटे तो मैने और जीजाजी ने विस्की पीने का प्लान बनाया और जब
    विस्की पी रहे थे की अचानक जीजाजी के ऑफीस से फोन आया की उन्हे कल किसी
    भी हालत मे आकर रिपोर्ट करनी है तो जीजाजी ने सुबह जल्दी जाने का
    प्रोग्राम बना लिया. जब दीदी को पता चला की जीजाजी कल सुबह ही जा रहे है
    तो वो उदास हो गई. हम लोग भी जल्दी से खाना खाकर जीजाजी का बेग तैयार कर
    कर छत पर सोने चले गये. कल रात की तरह हम लोगो ने अपना बिस्तर लगा कर सो
    गये. करीब एक घंटे बाद मैने अंधेर मे मेने देखा की आज भी पिंकी दीदी
    जीजाजी को ज़्यादा परेशान कर रही थी अपनी नाइटी नंगी जांघो पर चड़ा कर
    पेन्टी उतारकर अपनी रसीली चिकनी चूत को जीजाजी के मुहँ पर रख कर उनका लंड
    मुहँ मे लेने की ज़िद कर रही थी, लेकिन जीजाजी दिन भर की थकान के कारण
    सोने के मूड मे थे, और उन्हे सुबह जल्दी जाना भी था, जीजाजी जब सो गये तो
    दीदी भी अपनी चूत को हाथ से रगडती हुई सो गयी, बेचारी क्या कर सकती थी,
    अगली सुबह जब आंटी ने मुझे उठाया और कहाँ महिप तुम्हारे जीजाजी को ट्रेन
    मे बैठा कर आ जाओ तो में जल्दी से फ्रेश होकर नहा धोकर तैयार होकर जब
    दीदी के कमरे मे गया तो देखा की पिंकी दीदी जीजाजी से एक बार मज़े देने
    का कह रही थी और बोल रही थी की आपके बिना मेरा मन कैसे लगेगा तो जीजाजी
    बोले की तेरे दीनू भाई ने एक हफ्ते की छुटी ले ली है इसीलिये महिप का साथ
    रहेगा तो मुझे किसी बात की फ़िक्र नही रहेगी. और पिंकी दीदी और में
    जीजाजी को ट्रेन मे बैठाने के लिये चल पड़े. जब ट्रेन जाने लगी तो पिंकी
    दीदी बड़ी उदास सी हो गयी. जब हम घर लोटे तो नाश्ता करने के बाद हम बोर
    हो रहे थे तो आंटी ने हमे सुझाव दिया की महिप तुम और पिंकी आज कमरे की
    सफाई कर लो तब तक में खाना बनाती हूँ इससे तुम्हारा मन भी लग जायेगा.मैने
    पजामा और टी शर्ट पहन ली और पिंकी दीदी ने सफ़ेद पतले कपड़े का कुर्ता
    पहन रखा था और नीचे लूँगी जिसमे से उसकी गोरी-गोरी सफेद जाघे दिख रही
    थी, वह लंबे वाले स्टूल पर खड़ी हुये थी,और मे नीचे से उससे सामान लेता
    जा रहा था, दीदी का कुर्ता शॉर्ट स्लीव का था जिसमे से दीदी के मोटे-मोटे
    स्तन कभी कभी दिख जाते थे, और काली-काली चुचियां बाहर से ही दिखाई दे रही
    थी उन्होने ब्रा नहीं पहनी थी ,कभी-कभी वह मुझे देख कर अपने हाथो से अपनी
    चूत को रगड़ने लगती, जब वो सामान लेने के लिये हाथ उठाकर सामान उतार थी
    तो, हाथ उठाने से उसकी अंडर आर्म्स के काले-काले घने बाल देख मेरा लंड
    टनटना शुरु हो गया, गनीमत थी की मेने पजामा पहन रखा था, कई बार भारी
    सामान होने के कारण दीदी का स्टूल पर बेलेन्स नही बनता तो वह अपने पेरो
    को चोड़ा कर पास की अलमारी पर पैर रखती तब तो उसकी पेन्टी जो की सफ़ेद
    कलर की थी ऐसी दिखती मानो अभी उसे खोल कर लंड डाल दूँ, बीच-बीच मे पानी
    पीते समय दीदी शायद जानबुझ कर अपनी सफेद महीन कुर्ते पर पानी ढोल लेती
    जिससे उसकी चूचियों के निपल साफ दिखाई देने लगते खेर किसी तरह हम दोनो ने
    कमरे में साफ सफाई की और नाहकर खाना खाया. और दोपहर को थोड़ी देर आराम
    करके हम शाम के समय हम बाज़ार घूमने निकल पड़े जब हम घर लोट रहे थे तो
    दीदी बोली दीनू भाई आज तुम्हारे जीजाजी गये तब से मेरा मूड कुछ उखड़ा
    उखड़ा हुआ है और मूड ठीक करने के लिए क्या तुम मेरे लिए बीयर ला सकते हो.
    फिर में दुकान जाकर करीब 5 बीयर की बोतल ले आया. और जब हम करीब 7:30 बजे
    घर पहुँचे तो आंटी खाना बना रही थी और में और दीदी छत पर जाकर बीयर पीने
    लगे.
    करीब एक दो बीयर पीने के बाद दीदी कहने लगी की मुझे ज़ोर से पेशाब आ रही
    है और बिना किसी शर्म या पर्दे के उसने मेरे सामने ही उसने अपनी पेन्टी
    खोल दी और नाइटी ऊँचा उठा कर अपनी मोटी-मोटी गांड दिखाती हुये वह छत के
    एक कोने मे जाकर मूतने बेठ गयी, उसके मूतने से जो झर-झर की तेज अवाज़ हो
    रही थी वह सुन मे बहक सा गया और उनकी मोटी-मोटी गांड को एकटक देखने लगा
    शायद दीदी समझ गयी थी की में उसकी और मुहँ करके उसको मूतते हुये देख रहा
    हूँ तभी उसने मुहँ घूमाकर मेरी और देखा और एक आँख मारकर सेक्सी अवाज़
    बना कर कहने लगी की आजा शरमाये मत मेरे पास आकर तू भी मूत ले, मैं जानती
    हूँ तुम ने उस रात चोरी चोरी चुपके चुपके मुझे और तेरे जीजाजी को मूतते
    हुये देखा था यह सुनकर में सकपका गया लेकिन फिर भी हिम्मत करके दीदी के
    ठीक पास मे बेठ गया और अपने खड़े हुये मोटे और लंबे लंड को क़ैद से
    निकाल कर मूतने लगा, दीदी झुक-झुक कर मेरा लंड फटी-फटी आँखों से देखने
    लगी और बोली भैया तू तो वास्तव मे पूरे मर्द हो मम्मी और मे तुझे यू ही
    छोटा समझती थी. तूने अभी तक अपने औज़ार को कहीं काम में लिया है या यूँ
    ही तेज़ धारदार हथियार लेकर घूमता रहता है, दीदी की ऐसी बातें सुन मे चुप
    सा हो गया और इधर -उधर देखने लगा की कही कोई देख तो नही रहा है, लेकिन
    अंधेरा देख बेफ़िक्र हो मे सीधा खड़ा हो गया, मूतने से बड़ा हल्कापन
    महसूस हो रहा था दीदी के मन मे क्या है यह मे अब तक समझ नही पाया था,
    क्योकि मेरे दिमाग़ ने तो दीदी के मोटे मोटे चूतडो को देख कर ही काम करना
    बंद कर दिया था.
    खेर किसी तरह खाना खाने के बाद वो आंटी को बोली मम्मी आज बड़ी गर्मी है
    चलो छत पर जाकर सोते है. तब आंटी बोली नीचे कोई नहीं है में आँगन मे सोती
    हूँ तुम भाई बहन ऊपर छत पर सो जाना. फिर हम छत पर आकर दोनो पलंगो को करीब
    करीब (तोड़ा सा गेप रख कर) सोने लगे तो दीदी बोली दीनू नींद नही आ रही है
    और दीदी ने अपना असली जलवा दिखलाना शुरू कर दिया, उसने बड़े सेक्सी
    अंदाज़ मे मुझे देखते हुये अपने ब्लाउज को खोल दिया, जिसमे से उसके दोनो
    गरदाये हुये मस्त कबूतर फड़फडा कर बाहर आ गये, उनको हाथो से सहलाते हुये
    वह कहने लगी की देख भैया इनको बेचारे ये भी गर्मी के कारण कैसे कुम्हँला
    गये है, आज तेरे जीजाजी होते तो अब तक तो इन्हे मुहँ मे लेकर एकदम ताजा
    कर देते, ऐसी बात सुन मेरे को ऐसा करंट लगा की मेने भी सोचा की जब पिंकी
    दीदी संकोच नही कर रही है तो क्यों ना दिखा दूँ अपनी मर्दानगी.
    दीदी के दोनो चूचियों पर इतना टाइट ब्लाउज पहनने के कारण लाल रंग का
    निशान सा पड़ गया था, दीदी ने धीरे से अपनी साड़ी और पेटीकोट भी खोल दिया
    और नगदहड़ंग नंगी हो फिर से मूतने बेठ गयी, मूतने के लिये उठते बैठते
    समय उसकी चूत का जो नज़ारा मुझे पीछे से हुआ वह वास्तव मे मेरे जीवन का
    अजीबो गरीब नज़ारा था, जिसके बारे मे बंद कमरे मे आँखें बंद कर अपने लंड
    को रगडता था आज वही चीज़ मेरे सामने परोसी हुई सी मालूम पड़ रही थी, मे
    भी शर्म संकोच छोड़ दीदी के बिल्कुल पास जा खड़ा हुआ.अब दीदी पूरी नंगी
    अवस्था मे अपने पलंग पर आकर और हाथ हिला कर मुझे भी बुलाने लगी, मे जैसे
    ही उनके पलंग के पास गया तो दीदी ने झट से मेरी लूंगी और वी शेप चड्डी
    खीच निकाली, और मुझे भी अपनी तरह मादरजात नंगा कर पलंग मे खीच लिया, और
    कहने लगी की इस बेचारे पर कुछ तरस खा, इतनी गर्मी मे इसे इतने तंग कपड़ो
    मे रखेगा तो इसका क्या हाल होगा तू नही जानता, इस बेचारे को थोड़ी हवा
    पानी दिखाने की ज़रूरत देनी चाहिये और हँसते हुये दीदी ने मुझे अपने ऊपर
    गिरा लिया.
    अब हम दोनो के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ा रहे थे, दीदी के कामुक बदन
    ने तो मानो मुज़े सम्मोहित ही कर लिया था, और मे लगभग अंधे के समान वही
    करता जा रहा था, जो वो मुझसे चाहती थी, उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ कर
    अपनी चूचियों पर रख दिया, और कहने लगी की प्लीज़ भैया, जल्दी से इन
    कबूतरो को मुहँ मे लेकर चूसो नही तो मे मर जाऊँगी, और एक हाथ से अपनी चूत
    को रगड़ने लगी, कुछ देर उसकी चूचियों को चूसने के बाद मेने भी अपना एक
    हाथ उसकी चूत पर रख दिया, तो मुझे उसकी चूत की गर्मी महसूस हुई, अपनी
    उंगलियो को दीदी की चूत मे घुसाते हुये मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, और मे
    लगभग पागलो की तरह पिंकी दीदी की चूत को रग़ड रहा था, जिस कारण उसमे से
    हल्का सा गर्म चिकना मदमस्त रस निकलता सा महसूस होने लगा, मे इस रस को
    अपने मुहँ मे पीना चाहता था, लेकिन दीदी को कहने से डर रहा था, तभी दीदी
    मानो मेरे मन की इच्छा भाप गयी और वह मेरे ऊपर चड़ गयी और मेरे लंड को
    मुहँ मे लेकर आईसक्रीम की तरह चूसने लगी, उसने अपनी रस भरी चूत को मेरे
    मुहँ के पास कर दिया, हम दोनो 69 की पोज़िशन करके में भी पिंकी की चूत को
    मुहँ मे लेकर चूसने लगा. वो लंड चूसने मे मस्त थी.
    करीब 15 मिनिट तक लंड चूसने के बाद मैने पिंकी दीदी से बोला की प्लीज़ ,
    थोड़ा रुक-रुक कर चूसो, नही तो तुम्हारा मुहँ कही खराब न हो जाये, तो वह
    ज़ोर-जोर से हँसते हुये बोली की तेरे जीजाजी तो रोज़ ही मेरा मुहँ खराब
    करते है. खेर कोई बात नहीं जब तेरा दिल चाहे मेरे मुहँ पर लंड से पिचकारी
    छोड़ देना, कुछ ही देर मे दीदी की मस्त रसीली चूत सिकुड़ने लगी और वो
    मेरे सिर को चूत पर दबाने लगी और उनकी चूत का मजेदार नमकीन पानी मेरे
    मुहँ पर छोड़ दिया और अपनी आँखों को बंद कर मुहँ से अजीब सी सिसकारियां
    लेने लगी थी. मेरे लंड ने अभी तक जवाब नहीं दिया और जब उसका मन चूमा चाटी
    से भर गया तो कहने लगी की चल अब जल्दी से अपनी प्यारी दीदी को चोद दे, और
    ऐसा कह वो अपनी टांगों को फैलाते हुये अपनी चूत को चोड़ा कर बोली फाड़ दे
    भाई अपनी दीदी की चूत को तेरे इस मोटे और लम्बे लंड से, इसके बाद मे मैने
    अपना लंड उनकी चूत पर रख कर चूत मे ज़ोरदार घुसाया तो वह बिलबिला उठी और
    कहने लगी की ऐसा लंड तो मेने अपने जीवन मे कभी नही खाया, यदि आज यहाँ
    मम्मी होती तो. ऐसा कह वह मस्ती मे आखँ बंद कर चुप हो गयी और उस वक्त तो
    मे यह सुनकर चुप हो गया क्योकि मे भी इस पल के मज़े को भूलना नही चाहता
    था, लेकिन कुछ मिनटों के धक्को के बाद मेने उससे पूछ ही लिया की ऐसा लंड
    कभी नही खाया और मम्मी होती तो, इसका क्या मतलब है.
    क्या तुमने जीजाजी के अलाव
     
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