मेरी चूत की गर्मी और गैर मर्द का मस्ताना लण्ड

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Dec 5, 2017 at 6:13 PM.

  1. 007

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    //8coins.ru pyasi chut आज की कहानी मेरी चूत को मिले तीसरे लण्ड की है जो ना चाहते हुए भी मेरी चूत में घुस गया। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती थी। पर जब जीजा का लण्ड मिला तो मैं और मेरी चूत दोनों ही जीजा की दीवानी हो गई और मैंने मेरे पति से बेवफाई कर डाली।

    अब तो सोते जागते जीजा और जीजा का मस्ताना लण्ड आँखों के सामने घूमता रहता। जीजा भी अक्सर फोन करके अपनी याद दिलवाता रहता था और मौका मिलते ही मेरी चूत की गर्मी को ठंडी करने आ जाता था। अब तो मैंने भी एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली थी क्यूंकि घर पर अब समय नहीं कटता था।

    यह तब की बात है जब जीजा करीब दो महीने से नहीं आया मेरी चुदाई करने। जीजा को काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ गया था। तभी पतिदेव को भी अपने काम के सिलसिले में टूर पर जाना पड़ गया। अब मैं एक बार फिर अकेली थी घर पर। उस दिन भी मैं हर रोज की तरह स्कूल में गई थी पर जाते ही ना जाने क्या हुआ और मेरी तबीयत खराब हो गई और मुझे छुट्टी लेकर वापिस घर आना पड़ा।

    स्कूल का ही एक अध्यापक मुझे मेरे घर छोड़ने आया। वो मुझे दवाई दे कर वापिस चला गया। तबीयत खराब होने से मैं अगले दो तीन दिन स्कूल नहीं जा सकी तो वो ही अध्यापक जिसका नाम अजय था मेरे घर मेरा हालचाल पूछने आया।

    मैं अजय के बारे में बता दूँ वो एक हट्टा-कट्टा नौजवान था। देखने में भी मस्त। मेरे ही स्कूल की एक दूसरी अध्यापिका के साथ उसका आँख मटक्का चल रहा था। मुझे पता था की वो दोनों चुदाई का भरपूर मज़ा ले चुके थे। एक बार जब मैंने उस अध्यापिका जिसका नाम सुमन था को कुरेदा तो उसने मुझे सब कुछ बता दिया था कि कैसे अजय ने उसे चोदा और जब यह भी बताया कि अजय का लण्ड बहुत मस्त लंबा और मोटा है तो मेरी तो चूत गीली हो गई थी सुन कर।

    अब पिछले दो महीने से अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी तो मेरा मन भी अजय की तरफ झुकने लगा था। चूत की गर्मी बढ़ने लगी थी। जब बुखार हुआ तो दो तीन दिन पलंग पर पड़े पड़े बोर हो गई। उस दिन जब अजय मेरा हालचाल पूछने आया तो मेरा दिल बेचैन हो उठा उस के कसरती बदन से अपने बदन की मालिश करवाने को। पर शर्म भी तो कोई चीज है यार। मैं शर्म के मारे कुछ नहीं बोल सकती थी। बस उसके कुछ करने का इंतज़ार करना पड़ रहा था।

    अजय ने भी ज्यादा देर इंतज़ार नहीं करवाया। आते ही मेरा हालचाल पूछा और फिर पहले मेरे माथे को छू कर देखा फिर मेरा हाथ पकड़ कर बुखार देखा।

    उसके स्पर्श से मेरे बदन में झुरझुरी सी आई जिसे वो भांप गया था। एक बार जो उसने हाथ पकड़ा तो छोड़ा ही नहीं और मेरे हाथ को अपने हाथ में लिए लिए ही बातें करता रहा। उसका यह सब करना मुझे अच्छा लग रहा था।
    उस दिन शुक्रवार का दिन था। बातों बातों में सुमन के साथ अजय के सम्बन्ध की बात चल निकली तो अजय ने जो बोला वो मेरा दिल हिलाने के लिए काफी था।

    अजय बोला- यार सुमन तो मेरे पीछे पड़ी है, नहीं तो मैं तो किसी और का दीवाना हूँ।

    "कौन है वो?" मैंने उत्सुक होते हुए पूछा।

    "बस है कोई.. !" अजय ने मेरी उत्सुकता को बढ़ाते हुए कहा।

    मैंने अजय के हाथ को दबाते हुए दुबारा जोर दे कर पूछा- प्लीज अजय, बताओ ना.. कौन है वो?

    अजय ने रहस्य बढ़ाते हुए कहा- यार है कोई. पर वो शादीशुदा है तो हिम्मत नहीं होती उसको अपने दिल की बात कहने की.. !

    शादीशुदा शब्द सुनते है मेरे दिल की धड़कन और बढ़ गई।

    "फिर भी बताओ तो कौन है वो?" मैंने बेचैनी दिखाते हुए अजय को पूछा तो वो बोला- कल बताऊँगा।

    मैं आगे कुछ ना कह सकी। अजय थोड़ी देर और मेरे पास बैठा और फिर चला गया।

    एक तो अकेलापन और उस पर अजय की बातें. मेरी तो दिल की धड़कनें बढ़ गई थी। उस रात मैं सो नहीं सकी। सोचते सोचते ही रात गुजर गई कि आखिर अजय की वो शादीशुदा पसंद कौन है. कही वो मैं तो नहीं. !

    और फिर सुबह हो गई यही सब सोचते सोचते। अब तो बस अगले दिन अजय के आने का इंतज़ार था।

    अजय स्कूल खत्म होने के बाद सीधा मेरे घर आ गया। मेरी तबीयत आज ठीक थी पर जैसे ही मैंने अजय के अपने घर के बाहर देखा मैं जाकर बेड पर लेट गई। अजय ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने आवाज देकर उसको अंदर बुला लिया। वो सीधा मेरे बेडरूम में आ गया। मेरे सिरहाने के पास बैठ कर उसने मेरे माथे को छुआ और फिर पिछले दिन की तरह ही मेरा हाथ पकड़ कर मेरा कुशलक्षेम पूछने लगा।

    मैं तो कब से इस पल का इंतज़ार कर रही थी। बात शुरू होते ही मैंने पिछले दिन वाली बात शुरू कर दी और पूछा- आज बताओ उस शादीशुदा के बारे में !

    पहले तो अजय ने हंस कर बात टालने की कोशिश की पर जब मैंने जोर देकर पूछा और थोड़ा नाराज होने का नाटक किया तो अजय ने जो बोला, मेरा दिल तो धाड़ धाड़ बजने लगा।

    "शालू. तुम बहुत नादान हो. मेरे दिल की बात समझ में नहीं आ रही तुम्हें."

    "क्या.?"

    "आई लव यू शालू."

    "यह तुम क्या कह रहे हो. मैं शादीशुदा हूँ अजय. मेरी अपनी जिंदगी है."

    "शालू तुम जो भी कहो पर जो सच था मैंने तुम्हें बता दिया है, अब फैसला तुम्हारा है."

    मैं अब उठ कर बैठ गई थी।

    "पर मैं.." इस से आगे मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल पाई क्यूंकि अजय ने मेरे होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया था। मैंने हल्का सा विरोध किया पर अजय तब तक मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ चुका था। इन बाहों में आने के लिए तो मैं पहले से ही तड़प रही थी।

    मैं तो जैसे खो गई अजय की बाहों में। उसके इस चुम्बन में मेरे तन मन दोनों को हिला दिया था। मेरे अपने हाथ भी अपने आप अजय के बालों को सहलाने लगे। अजय समझ चुका था कि अब मैं उसके बस में हूँ। उसके हाथ भी अब हरकत में आने लगे थे और अब मैं उसके हाथ को अपनी चूचियों पर महसूस कर रही थी। उसने मेरी चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाना और मसलना शुरू कर दिया था।

    मेरी आँखें भारी होने लगी थी। चूत से पानी निकलने लगा था। पैंटी गीली हो गई थी। अजय के हाथ अब मेरे ब्लाउज के हुक खोलने की कोशिश कर रहे थे और एक दो हुक खोलने में तो कामयाब भी हो गए थे। तभी मैंने अजय को पीछे धकेल दिया और अपनी साँसों को दुरुस्त करने की कोशिश की। मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी।

    अजय ने मुझे दुबारा अपनी बाहों में भरना चाहा तो मैंने उसको रोक दिया।

    "नहीं अजय. यह सब ठीक नहीं है. मैं शादीशुदा हूँ और ."

    मेरी बात एक बार फिर से अधूरी रह गई और अजय ने दुबारा थोड़ी जबरदस्ती करते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अगले ही पल अजय के हाथ मेरे बदन के कपड़े कम करने लगे। पहले ब्लाउज, फिर ब्रा।

    मेरी मस्त चूचियाँ नंगी देख कर तो अजय बेकाबू हो गया और मेरी चूचियों के चूचक मुँह में लेकर चूसने लगा। वो बीच बीच में चूचक को दांतों से हल्का हल्का काट रहा था। मेरी चूचियों के चूचक तन कर खड़े हो गए थे और अजय को उनको दांतों से काटना मेरे बदन की गर्मी को और बढ़ा रहा था।

    बदन मस्ती से भरता जा रहा था और मेरा हाथ भी अब अपने मतलब की चीज खोज रहा था और मैंने अजय की पेंट खोल कर उसके अंदर बैठा मस्त कलंदर अपने हाथ में पकड़ लिया था। करीब 8-9 इंच का मोटा सा लण्ड हाथ में आते ही मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। मेरी समझ में आ रहा था कि आज मेरी चूत बहुत दिनों के बाद एक मस्त चुदाई का मज़ा लेने वाली है।

    अजय कुछ देर के लिए रुका और इस बीच हम दोनों ने जल्दी से एक दूसरे को नंगा कर दिया। अजय मेरा नंगा बदन देख कर मदहोश हो चुका था और लगभग यही हाल मेरा भी था अजय का मस्त लण्ड देख कर।

    अजय ने मुझे बिस्तर पर लेटाया और मेरे बदन को चूमने लगा। उसने मेरे बदन के हर अंग को अपनी जीभ से चाटा और चूमा। फिर वो मेरी जांघों के बीच में खो गया और मैंने उसकी जीभ अपनी चूत के दाने पर महसूस की। यही वो पल था जब मैं अपनी उतेजना को काबू में नहीं रख पाई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। अजय की जीभ मेरे सारे रस को चाट गई।

    अजय उठ कर मेरे मुँह की तरफ आया तो मैं समझ गई कि अजय क्या चाहता है। अजय ने अपना लण्ड मेरे होंठों से लगाया तो मैंने भी उसको अपने मुँह में लेने में देर नहीं की। अगले करीब पांच मिनट तक मैंने अजय के लण्ड को लोलीपॉप की तरह मस्त होकर चूसा।

    अब मेरी चूत लण्ड लेने के लिए बेचैन हो उठी थी। मैंने लण्ड मुँह में से निकाला तो अजय जैसे समझ गया कि उसे आगे क्या करना है। अजय ने अब मेरी टाँगे ऊपर की और मेरी चूत के मुँह पर अपना मोटा और गर्म गर्म सुपारा रख दिया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी तो जैसे ही अजय ने थोड़ा सा दबाव दिया तो लण्ड चूत में सरकता चला गया। अजय का लण्ड कमान की तरह मुड़ा हुआ था इसीलिए वो चूत की दिवार को पूरा रगड़ता हुआ अंदर जा रहा था।

    लण्ड पूरा अंदर जाते ही अजय ने जबरदस्त धक्को के साथ मेरी चूत चोदनी शुरू कर दी। बहुत मस्त और तेज तेज धक्के लगा रहा था अजय।

    मेरी सिसकारियाँ और आहें गूंजने लगी थी कमरे में !

    "आह्ह. चोद दो मुझे. फाड़ दो मेरी.ओह्ह्ह जोर से चोद डालो." मैं अब चिल्ला चिल्ला कर अपनी गांड उठा उठा कर अजय का लण्ड चूत में ले रही थी। मैं तो अजय का लण्ड चूत में लेकर मस्त हो गई थी। अजय भी पूरा मुस्टंडा था खूब हुमच्च हुमच्च कर चोद रहा था मुझे। वो पूरा लण्ड अंदर डाल डाल कर मेरी चुदाई कर रहा था। चूत से पानी की नदी सी बह निकली थी। खूब पानी छोड़ रही थी मेरी चूत।

    कुछ देर की चुदाई के बाद अजय ने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से मेरी चूत में लण्ड घुसा दिया। मैं सीत्कार उठी। लण्ड पूरी चूत को रगड़ता हुआ अंदर तक समां गया था। अब अजय ने एक हाथ से मेरी चूची को और दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और पूरी गति से, पूरे जोश के साथ मेरी चुदाई करने लगा। अब तक मैं दो बार झड चुकी थी पर अजय था कि अभी तक लोहे का लण्ड पेल रहा था मेरी चूत में। गर्म गर्म लोहे की तरह अकड़ा हुआ लण्ड भरपूर मज़ा दे रहा था।

    करीब पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद अजय का बदन अकड़ा और फिर अजय के लण्ड से गर्म गर्म वीर्य का फव्वारा जो चला तो मेरी चूत लबालब भर गई। अजय मेरे ऊपर ही लेट गया। अजय का ऐसे लेटना मुझे बहुत अच्छा लगा।

    करीब दस मिनट अजय उठा तो मैंने उसका लण्ड और अपनी चूत पास पड़े मेरे पेटीकोट से साफ़ की। अजय ने मुझे फिर से बाहों में भर लिया और मेरे होंठो को चूसने लगा। बुखार के कारण मुझे कमजोरी महसूस हो रही थी पर अजय की चुदाई ने शरीर में तरावट सी ला दी थी।

    कुछ देर के बाद मेरा दिल फिर से चुदवाने को हुआ तो मैं अजय के लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगी। अजय भी मेरे बालों को सहलाने लगा। अजय का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था तो मैंने उसको अपने होंठो में दबा लिया और फिर पूरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद अजय का लण्ड अकड कर फिर से सर तान कर खड़ा हो गया। अब मैंने अजय को उठने का मौका नहीं दिया और खुद ही उठ कर उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट करके बैठ गई। लण्ड चूत में ऐसे घुस गया जैसे खरबूजे में छुरी घुस जाती है।

    लण्ड के अंदर जाते ही मैं गांड उठा उठा कर लण्ड पर मारने लगी। अजय भी नीचे से हर धक्के का जवाब दे रहा था। सच में बहुत मज़ा आ रहा था। इतना मज़ा कि लिख कर बताना मुश्किल है। पांच मिनट के बाद मेरी चूत का बाँध टूट गया और मैं झर गई।

    झरने के बाद मैं थोड़ी सुस्त हुई तो अजय ने मुझे अपने नीचे लिया और फिर से एक जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी। फिर तो पूरे आधे घंटे तक अजय मुझे चोदता रहा और मैं चुदती रही। मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं कितनी बार झड़ी। आधे घंटे बाद अजय ने एक बार फिर से मेरी चूत अपने गर्म गर्म वीर्य से भर दी।

    दो बार चुदाई के बाद हम दोनों थक गए थे। कब नींद आई पता ही नहीं लगा। करीब दो अढ़ाई घंटे के बाद आँख खुली तो अजय अब भी गहरी नींद सो रहा था।

    मैंने उठ कर चाय बनाई और फिर अजय को उठाया। चाय पीने के बाद अजय जाने लगा तो मेरा दिल बेचैन होने लगा। मेरे पति रात को नहीं आने वाले थे तो मैंने अजय को रात को रुकने के लिए कहा। अजय तो जैसे यही सुनने को बैठा था। वो रुक गया और फिर तो उस रात और अगले दिन और फिर अगली रात जो चुदाई हुई है मेरी चूत की कि चूत निहाल हो गई।

    अजय मेरा दीवाना हो गया था और फिर अगले छ: सात महीने तक जब तक मैं उस स्कूल में अध्यापिका रही अजय ने मेरी भरपूर चुदाई की। आज भी जब चूत में चुदाई का कीड़ा कुलबुलाता है तो अजय की भी याद आती है।

    आपको मेरी यह दास्तान कैसी लगी जरूर बताना।
     
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