आँटी के साथ अतृप्त मम्मी की चुदाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Apr 27, 2016.

  1. 007

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    हेलो दोस्तों, आज जो मां और बेटे की सेक्स कहानियों बताने जा रहा हू वो मेरी मम्मी की चुदाई की कहानी हैं Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai आज मैं बाटूंगा कैसे मेरी मम्मी को चोदा, कैसे मेरी मम्मी को नंगा करके मम्मी की बूब्स चूसा,कैसे मम्मी की चूत को चाटी, कैसे मम्मी को घोड़ी बना के चोदा, कैसे 9 इंच का लण्ड से मम्मी की गांड मारी, कैसे मम्मी की चूचियों को चूसा और खड़े खड़े मम्मी को चोद । दोस्तों आप पहले से ही पढ़ा हैं की कैसे में पड़ोसन आँटी को जमकर चोदा ,दो दिनों तक मैंनें और आँटी ने जमकर एक दूसरे की चुदाई की और शायद ही कोई काम-मुद्रा हो जिसका क्रियान्वयन नहीं किया हो। शिप्रा आँटी ने मुझसे पूछा "वैसे तुमने कभी अपनी मम्मी को चोदने की सोची है। मैंने कहा, "क्या बकवास कर रही हो आण्टी, मैं तो इसके बारे में कभी सोच भी नहीं सकता है"
    मम्मी की चुदाई
    आँटी के साथ अतृप्त मम्मी की चुदाई
    आण्टी ने कहा, "मैं बकवास' नहीं कर रही हुं, तुम्हें पता नहीं है लेकिन तुम्हारी मम्मी को पापा से चुदकर संतुष्टि नहीं मिली है और यह बात उन्हीं ने मुझे बताई है" तुम्हारी मम्मी इस फिराक मे है कि वो किसी तुम्हारी आयु के युवक को चंगुल मे लेकर उससे चुदवाए। ऐसी परिस्थितियो मे तुम्हें मम्मी को विश्वास में लेकर उनसे यौन संबध स्थापित कर घर की इज्जत बचाने की कोशिश करनी चाहिये और मैं उसे इसके लिए तैयार करूंगी। मैं तुम्हे भरोसा दिलाती हूं कि वह मान जायेंगी और तुम्हे चोदने को परिपक्व महिला मिल जायेगी हम तीनों ग्रुप सेक्स भी करने का प्रयत्न करेंगे। शिप्रा आण्टी ने फोन करके मुझे बताया कि मेरी मम्मी ने मझसे चुदने को मंजूरी दी है। अगले शुक्रवार और शनिवार को मेरे पापा को शहर से बाहर जाना था और हमनें इसी दरम्यान शिप्रा आण्टी के घर मम्मी को चोदने का कार्यक्रम तय किया। शिप्रा आण्टी ने मुझे शुक्रवार की राञि 8 बजे उनके घर आने को कहा और बताया कि मम्मी पहले ही वहां मौज़ूद होगी। मैं ठीक 8 बजे शिप्रा आण्टी के घर पहुंच गया और घंटी बजा दी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी दरवाजा खोला। मैंने देखा कि उन्होंने एक पारदर्शी पहन रखा था। शिप्रा आण्टी को सोफे पर बैठे देखा। मै अपनी मम्मी की चुदाई के ख्याल भर से घबराया हुआ था और मम्मी को पारदर्शी परिधानों में देखकर एक सिहरन सी मेरे अंग अंग मे दौड़ने लगी।

    जब मैं अंदर था तब शिप्रा आण्टी ने मेरे पास आकर मुझे होंठों पर चूमा और फुसफुसाई "चोदते वक्त यह ध्यान रखना कि तुम अपनी माँ को नहीं बल्कि एक अतृप्त औरत की प्यास बुझा रहे हो तभी यह मिशन पूरा हो पायेगा। अब तुम मेरे बेडरूम में लुँगी पहन कर लेट जाओ और मैं तुम्हारी मम्मी को दूध की प्याली के साथ भेजती हूँ। मैं माँ बेटे के नाजायज़ रिश्ता को सफलतापूर्वक अपने समक्ष बदलता हुआ देखना चाहती हूं। मम्मी कुछ ही क्षणों में दूध की दो प्यालियाँ ट्रे मे रखकर आ गईं और झुककर ट्रे को बहुत धीरे धीरे अपने स्तनों के बीच की फांक को प्रदर्शन करते हूये सेंटर टेबल पर रख दिया। मम्मी का चेहरा शर्म के मारे लाल था परंतु आंखो मे एक प्रसन्नता की झलक साफ नज़र आ रही थी। मेरे दूध का कप समाप्त हो गया था। मम्मी के कमरे में प्रवेश करने से पहले ही मैं काफी उत्तेजना के कारण बेहाल था और माँ की स्तन की झलक देखकर मेरे सब्र का बांध टूट गया। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। शिप्रा आण्टी के निर्देशानुसार मैं अपने लंड़ को लूंगी मे संभालता हुआ बाथरूम में गया और जैसा कि पहले से ही शिप्रा आण्टी ने निर्देश दिए थे, मैं बाथरूम से नंगे सीने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स पहनकर बाहर आ गया। मैंने देखा है कि शिप्रा आण्टी और मम्मी बेडरूम में मौज़ूद थीं। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि कैसे आगे बढूँ तभी शिप्रा आण्टी ने पहल कर दी।

    उन्होंने मुझे अपनी ओर खेंचकर एक गहरा चुंबन मेरे होठों पर जड़ दिया और फिर मेरी मर्दाना चूंचियों पर कुछ देर तक चिकोटी काटने के बाद एक-एक करके उन्हें कुछ देर तक चूसा। शिप्रा आण्टी ने मम्मी के होठों पर भी एक गहरा चुंबन जड़ दिया। मम्मी ने शर्मिंदगी से उनकी आँखें बंद कर लीं। शिप्रा आँटी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर मम्मी के स्तनों पर फैराने लगी और स्पर्श करते ही जैसे ही मैंने मम्मी की स्तन को दबाया तो मम्मी की सिसकारी छूट गयी। शिप्रा आण्टी अब समझ रही थीं कि इस व़क्त मम्मी काफी उत्तेजित हो चुकी है और एक माँ, अपने बेटे से नये प्रकार के प्यार व समागम के लिए तैयार हो चुकी है। आंटी ने ने कहा, "ठीक है, तुम दोनो प्यार करो और एक नये रिश्ते की शुरूआत करो और मैं लिविंग रूम में इंतजार करती हुं। मम्मी ने कहा, "नहीं, शिप्रा तुम कृपया यहीं रहो, मैं घबरा रही हूँ और डर भी लग रहा है" शिप्रा आण्टी ने हँसकर वहां रुकने को सहमत हो गई और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। अब तो पल पल मेरी बेशर्मी, निर्लज्जता और वासना बढ़ती जा रही थी। मैं मम्मी के पास गया दिया और कहा, "मैं तुम्हें प्यार करता हूं मम्मी, कृपया मेरे पास आओ" मैंनें मम्मी को अपनी ओर खींचकर आलिंगनबद्ध किया और कस कर गले लगा लिया। मम्मी अब भी झिझक रही थी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर मैंनें अपने हाथों में उनके चेहरे को कसकर पकड़कर उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया।

    मम्मी की कामुक बदन में एक बार फिर कंपकपी छू गई और उन्होंने मुड़कर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी। मैंने मम्मी के पीठ पर अपना हाथ ऊपर से नीचे तक उनकी रीढ़ और नितंबों पर फेरना शुरू कर दिया। मम्मी धीरे -धीरे आराम से आहें भरने लगी थी। उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया और मेरे नंगी पीठ पर उनके हाथ सहलाने लगे। अब मैं अपने आप को नियंत्रण करने में असमर्थ था। मैंनें धीरे धीरे उसके गाउन के बटन खोलकर उनके कंधों से गाउन को नीचे सरकाकर उनके स्तनों को सहलाना शुरू दिया। धीरे धीरे मैंने मम्मी के गाउन को पूरा नीचे सरकाया तो मम्मी के बदन पर माञ ब्रसियर और कटि के नीचे का अधोवस्त्र शेष रह गया। मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर मैंनें उसे अलग कर उन्हें ऊपर से पूर्ण अर्धनग्न कर दिया। मैंनें उनके नितंबों को सहलाया और उनके पैरों के मध्य मेरे पैर को रखकर धक्का दिया और उसकी जांघों को मला। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी मम्मी का जिस्म इतना सुंदर और मादक होगा। मम्मी के स्तनों की चूचियों का रंग गुलाबी और उनके पेट पर लेशमाञ भी चर्बी नहीं थी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। उनकी लंबी टाँगों, गदरायी हूई जंघाओं और सुडौल पिंडलियों को देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो एक विवाहित स्त्री ही नहीं अपितु मेरे जैसे व्यस्क पुरुष की माँ भी हो सकती हैं।

    मैंने कहा, "मम्मी, पापा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें तुम जैसी सुंदर और सेक्सी अर्धांगिनी मिली है" "वास्तव में पापा आप के साथ सेक्स करके कितना आनंद लेते होंगे" मम्मी का चेहरा लाल हो गया और उन्होंने मेरी तरफ देखकर कहा "तुम्हारे पापा ने आज तक भी मुझे कभी ढंग से चोदा ही नहीं है" "किसी औरत की चूत मे लंड डालकर झटके देने माञ को ही संभोग नहीं कहते हैं" वो मेरी चूत में सिर्फ लंड़ डालकर कुछ झटके देकर वीर्य-स्खलन की औपचारिकता को ही स्त्री-पुरूष समागम समझते हैं और परिणामस्वरूप उनसे चुदा-चुदाकर और तुम को उत्पत्ति देने के बावज़ूद मेरी कामाग्नि आज तक भी अतृप्त है। मैंनें एक बार फिर मम्मी के समीप आकर उसके दोनों स्तनों के पकड़ लिया उन्हें नाजुकता से दबाया और मम्मी की चूचियों को तर्जनी और कर्णिका उंगलियों से घर्षण करना शुरू कर दिया। मेरे नंगे सीने पर मम्मी ने उनके हाथों को फेरकर कर कहा "प्रिय पुञ मय पति मेरी ब्रेसियर के हुक खोलकर इन्हें चूसो। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंनें मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर उनके ऊपरी भाग को पूर्णतया नग्न कर दिया। मम्मी के वक्षस्थलों की दरार के बीच अपना लौड़ा डालकर मैंनें अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा मम्मी के होठों के संपर्क में आ गया और मम्मी ने मेरे लंड़ को मुँह के अंदर लेकर जमकर चूसा।

    तदुपरान्त मैंनें मेरे लंड़ को मम्मी के मुँह से निकालकर मम्मी को उनहत्तर की मुद्रा में लेकर अगले आधे घंटे तक मम्मी की जंघिया उतरकर मम्मी की चूत में जीभ को डालकर चाटा ता रहा और मम्मी अपने मुँह में मेरे लौड़े को निरंतर चूसती रही। अब मैंनें एक हाथ से मम्मी के नितंबों को दबाना शुरू किया और दूसरे से उनके निपल्स के चारों ओर मेरी उँगलियाँ सहलाना शुरू कर दिया। कुछ सेकंड के भीतर ही मम्मी की निपल्स खड़े हो गये। मैंनें मेरी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों में उसके निपल्स को लिया और धीरे -धीरे दबाने लगा जिसके फलस्वरूप मम्मी के तन मे फिर से कंपकपी छूट गई। अनजाने में मेरा हाथ नीचे चला गया और वह मम्मी की बुर को सहलाना लगा। मैं समझ चुका था कि मम्मी अब भरपुर उत्तेजित हो चुकि है। मम्मी के हाथ सिर के पीछे चले गए और मैंने अपने 8 इंच का कड़क लंड़ के सुपाड़े को मम्मी की बुर के छेद पर रखकर मम्मी की चुदाई की अंतिम तैयारी कर ली। मैंने मम्मी होठों से अपने होठों को अड़ाकर बहुत गहराई से चूमा और मेरी जीव्हा को उनके मुँह में डालकर मम्मी की जीभ से ऐंटी दी और उनके होठों को चूसने लगा। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी ने ऐन वक्त पर बोलीं "इन रिश्तों को मातृत्व प्रेम से स्त्री पुरूष समागम मे बदलने से पूर्व एक बार और सोच लो कि भविष्य में यह बात गुप्त नहीं रही तो क्या होगा?" मैंने मम्मी को बताया कि पवित्र हिन्दू पौराणिक ग्रंथ कामसूत्र में माँ बेटे के मध्य सम्भोग के कई वृतांत मौज़ूद हैं

    और यह बात सामने आने पर मैं आपसे विवाह कर लूँगा। अब मैं आपकी सिसकारियों और आंहों के अलावा कुछ नहीं सुनना चाहता। यह सुनकर मम्मी ने कहा "चलो अब हमें सच्चाई का सामना, करके एक दूसरे की कामवासना को तृप्त करना आरंभ करें" मम्मी के इतना कहते ही मैंनें अपने लंड़ मम्मी की चूत में डालकर धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही शयन कक्ष "आह" "ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां से गूंजने लगीं और मम्मी की चूत के छिद्र से द्रव का रिसाव शुरू होने लगा। मैंने तभी अचानक मेरा लंड़ मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और मेरी जिव्हा से मम्मी की टखनों व पिंडलियों को चाटता हुआ उनकी जांघों अंदर के हिस्से की त्वचा तक जा पहुँचा। मैंने ने बड़े सयंम से अपनी इन्द्रियों को वश मे रखते हुये मम्मी की भगनासा को चूसना चालू कर दिया। मम्मी की भगनासा थोडी देर चुसने के बाद ही एक पाँच वर्ष के शिशु के लंड के आकार की हो गई। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने पूछा, 'मम्मी, क्या तुम अब चुदाई के लिये तैयार हो?' मम्मी में अब इतनी उत्तेजना समा चुकी थी कि वो चिल्ला उठी "मादरचोद, अब तो हाथी जैसे लौड़े को मेरी बुर मे डालकर मुझे चोदना शुरु कर" मैंनें फिर अपने सुपाड़े को मम्मी के योनी द्वार पर रखकर जोर से धक्का दिया तो मेरा संपुर्ण लौड़ा मम्मी की बुर की गहराई में समा गया और अब मैनें अगले एक घंटे तक धीरे धीरे अन्दर बाहर धक्के देने जारी रखे।

    मम्मी की "आह" "ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां निरंतर जारी थीं और इसी बीच मैंने मम्मी की गदराई हुई टांगों को मेरी कंधो पर रखकर गर्दन के पीछे पिरो दिया तो मेरा लौड़ा मम्मी की बुर की अधिकतम गहराई तक उतर गया और उनकी ग्रीवा से मेरे सुपाड़े का घर्षण होना मुझे मेहसूस हुआ। मैंने मम्मी की चूचियों को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया। मम्मी की सिसकारियां अब चिल्लाहट में तब्दील हो गईं "चोदो मुझे" "जोर-जोर से चोदो मुझे" "मेरी बुर को फाड़कर मेरे दो टूकड़े कर दो" "और जोर से चोद मुझे, गंडमरे-मादरचोद" "चोद-चोद कर रंडी बना दे अपनी माँ को" मैंने अगले पंद्रह मिनट तक मेरे लौड़े को जोर-जोर के झटकों के साथ मम्मी की बुर के अन्दर बाहर करना जारी रखा तो मम्मी का चरमोत्कर्ष हो गया।अचानक, शिप्रा आण्टी हमारे शयन कक्ष में पूर्णतः नग्न होकर अवतरित हुँई। मेरे ढीले पड़ चुके लंड़ को मम्मी की बुर से निकालकर चूसना शुरू किया तो उसमें फिर ऐंठन आ गई और शिप्रा आण्टी ने मेरे वीर्य-स्खलन से पहले एक बार फिर मेरे लौड़े को मम्मी की बुर मे डलवाकर एक बार फिर मेरी और माँ की चुदाई को अंजाम दिया। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी के चेहरे पर संपुर्ण औरत बनने की संतुष्टि प्रतीत हो रही थी। मम्मी ने कहा, "मेरी प्यारी सोनिया, आज कई युगों के बाद मेरी कामाग्नि को शांत करवाकर तूमने एक नेक काम किया है। अब से यह तय होता है कि मेरा बेटा रोज़ दिन में जब मेरे पति आफिस में होते हैं, तब मेरी चुदाई करेगा और इनके बाहर होने की दशा में अपनी आंटी को दिन मे और अपनी माँ को रात चोदेगा। उस दिन के बाद से मैं और मम्मी लगभग हर दूसरे दिन जब पिताजी बाहर होते हैं तो जमकर चुदाई करते हैं। कभी कभी तो जब दोनो के पति शहर से एक समय मे बाहर होते हैं तो हम सामूहिक चुदाई करते हैं। कैसी लगी हम डॉनो मां और बेटे की सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना , अगर कोई मेरी अतृप्त मां की चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो उसे अब जोड़ना


     
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    मम्मी की चुदाई
    आँटी के साथ अतृप्त मम्मी की चुदाई
    आण्टी ने कहा, "मैं बकवास' नहीं कर रही हुं, तुम्हें पता नहीं है लेकिन तुम्हारी मम्मी को पापा से चुदकर संतुष्टि नहीं मिली है और यह बात उन्हीं ने मुझे बताई है" तुम्हारी मम्मी इस फिराक मे है कि वो किसी तुम्हारी आयु के युवक को चंगुल मे लेकर उससे चुदवाए। ऐसी परिस्थितियो मे तुम्हें मम्मी को विश्वास में लेकर उनसे यौन संबध स्थापित कर घर की इज्जत बचाने की कोशिश करनी चाहिये और मैं उसे इसके लिए तैयार करूंगी। मैं तुम्हे भरोसा दिलाती हूं कि वह मान जायेंगी और तुम्हे चोदने को परिपक्व महिला मिल जायेगी हम तीनों ग्रुप सेक्स भी करने का प्रयत्न करेंगे। शिप्रा आण्टी ने फोन करके मुझे बताया कि मेरी मम्मी ने मझसे चुदने को मंजूरी दी है। अगले शुक्रवार और शनिवार को मेरे पापा को शहर से बाहर जाना था और हमनें इसी दरम्यान शिप्रा आण्टी के घर मम्मी को चोदने का कार्यक्रम तय किया। शिप्रा आण्टी ने मुझे शुक्रवार की राञि 8 बजे उनके घर आने को कहा और बताया कि मम्मी पहले ही वहां मौज़ूद होगी। मैं ठीक 8 बजे शिप्रा आण्टी के घर पहुंच गया और घंटी बजा दी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी दरवाजा खोला। मैंने देखा कि उन्होंने एक पारदर्शी पहन रखा था। शिप्रा आण्टी को सोफे पर बैठे देखा। मै अपनी मम्मी की चुदाई के ख्याल भर से घबराया हुआ था और मम्मी को पारदर्शी परिधानों में देखकर एक सिहरन सी मेरे अंग अंग मे दौड़ने लगी।

    जब मैं अंदर था तब शिप्रा आण्टी ने मेरे पास आकर मुझे होंठों पर चूमा और फुसफुसाई "चोदते वक्त यह ध्यान रखना कि तुम अपनी माँ को नहीं बल्कि एक अतृप्त औरत की प्यास बुझा रहे हो तभी यह मिशन पूरा हो पायेगा। अब तुम मेरे बेडरूम में लुँगी पहन कर लेट जाओ और मैं तुम्हारी मम्मी को दूध की प्याली के साथ भेजती हूँ। मैं माँ बेटे के नाजायज़ रिश्ता को सफलतापूर्वक अपने समक्ष बदलता हुआ देखना चाहती हूं। मम्मी कुछ ही क्षणों में दूध की दो प्यालियाँ ट्रे मे रखकर आ गईं और झुककर ट्रे को बहुत धीरे धीरे अपने स्तनों के बीच की फांक को प्रदर्शन करते हूये सेंटर टेबल पर रख दिया। मम्मी का चेहरा शर्म के मारे लाल था परंतु आंखो मे एक प्रसन्नता की झलक साफ नज़र आ रही थी। मेरे दूध का कप समाप्त हो गया था। मम्मी के कमरे में प्रवेश करने से पहले ही मैं काफी उत्तेजना के कारण बेहाल था और माँ की स्तन की झलक देखकर मेरे सब्र का बांध टूट गया। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। शिप्रा आण्टी के निर्देशानुसार मैं अपने लंड़ को लूंगी मे संभालता हुआ बाथरूम में गया और जैसा कि पहले से ही शिप्रा आण्टी ने निर्देश दिए थे, मैं बाथरूम से नंगे सीने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स पहनकर बाहर आ गया। मैंने देखा है कि शिप्रा आण्टी और मम्मी बेडरूम में मौज़ूद थीं। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि कैसे आगे बढूँ तभी शिप्रा आण्टी ने पहल कर दी।

    उन्होंने मुझे अपनी ओर खेंचकर एक गहरा चुंबन मेरे होठों पर जड़ दिया और फिर मेरी मर्दाना चूंचियों पर कुछ देर तक चिकोटी काटने के बाद एक-एक करके उन्हें कुछ देर तक चूसा। शिप्रा आण्टी ने मम्मी के होठों पर भी एक गहरा चुंबन जड़ दिया। मम्मी ने शर्मिंदगी से उनकी आँखें बंद कर लीं। शिप्रा आँटी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर मम्मी के स्तनों पर फैराने लगी और स्पर्श करते ही जैसे ही मैंने मम्मी की स्तन को दबाया तो मम्मी की सिसकारी छूट गयी। शिप्रा आण्टी अब समझ रही थीं कि इस व़क्त मम्मी काफी उत्तेजित हो चुकी है और एक माँ, अपने बेटे से नये प्रकार के प्यार व समागम के लिए तैयार हो चुकी है। आंटी ने ने कहा, "ठीक है, तुम दोनो प्यार करो और एक नये रिश्ते की शुरूआत करो और मैं लिविंग रूम में इंतजार करती हुं। मम्मी ने कहा, "नहीं, शिप्रा तुम कृपया यहीं रहो, मैं घबरा रही हूँ और डर भी लग रहा है" शिप्रा आण्टी ने हँसकर वहां रुकने को सहमत हो गई और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। अब तो पल पल मेरी बेशर्मी, निर्लज्जता और वासना बढ़ती जा रही थी। मैं मम्मी के पास गया दिया और कहा, "मैं तुम्हें प्यार करता हूं मम्मी, कृपया मेरे पास आओ" मैंनें मम्मी को अपनी ओर खींचकर आलिंगनबद्ध किया और कस कर गले लगा लिया। मम्मी अब भी झिझक रही थी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर मैंनें अपने हाथों में उनके चेहरे को कसकर पकड़कर उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया।

    मम्मी की कामुक बदन में एक बार फिर कंपकपी छू गई और उन्होंने मुड़कर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी। मैंने मम्मी के पीठ पर अपना हाथ ऊपर से नीचे तक उनकी रीढ़ और नितंबों पर फेरना शुरू कर दिया। मम्मी धीरे -धीरे आराम से आहें भरने लगी थी। उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया और मेरे नंगी पीठ पर उनके हाथ सहलाने लगे। अब मैं अपने आप को नियंत्रण करने में असमर्थ था। मैंनें धीरे धीरे उसके गाउन के बटन खोलकर उनके कंधों से गाउन को नीचे सरकाकर उनके स्तनों को सहलाना शुरू दिया। धीरे धीरे मैंने मम्मी के गाउन को पूरा नीचे सरकाया तो मम्मी के बदन पर माञ ब्रसियर और कटि के नीचे का अधोवस्त्र शेष रह गया। मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर मैंनें उसे अलग कर उन्हें ऊपर से पूर्ण अर्धनग्न कर दिया। मैंनें उनके नितंबों को सहलाया और उनके पैरों के मध्य मेरे पैर को रखकर धक्का दिया और उसकी जांघों को मला। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी मम्मी का जिस्म इतना सुंदर और मादक होगा। मम्मी के स्तनों की चूचियों का रंग गुलाबी और उनके पेट पर लेशमाञ भी चर्बी नहीं थी। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। उनकी लंबी टाँगों, गदरायी हूई जंघाओं और सुडौल पिंडलियों को देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो एक विवाहित स्त्री ही नहीं अपितु मेरे जैसे व्यस्क पुरुष की माँ भी हो सकती हैं।

    मैंने कहा, "मम्मी, पापा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें तुम जैसी सुंदर और सेक्सी अर्धांगिनी मिली है" "वास्तव में पापा आप के साथ सेक्स करके कितना आनंद लेते होंगे" मम्मी का चेहरा लाल हो गया और उन्होंने मेरी तरफ देखकर कहा "तुम्हारे पापा ने आज तक भी मुझे कभी ढंग से चोदा ही नहीं है" "किसी औरत की चूत मे लंड डालकर झटके देने माञ को ही संभोग नहीं कहते हैं" वो मेरी चूत में सिर्फ लंड़ डालकर कुछ झटके देकर वीर्य-स्खलन की औपचारिकता को ही स्त्री-पुरूष समागम समझते हैं और परिणामस्वरूप उनसे चुदा-चुदाकर और तुम को उत्पत्ति देने के बावज़ूद मेरी कामाग्नि आज तक भी अतृप्त है। मैंनें एक बार फिर मम्मी के समीप आकर उसके दोनों स्तनों के पकड़ लिया उन्हें नाजुकता से दबाया और मम्मी की चूचियों को तर्जनी और कर्णिका उंगलियों से घर्षण करना शुरू कर दिया। मेरे नंगे सीने पर मम्मी ने उनके हाथों को फेरकर कर कहा "प्रिय पुञ मय पति मेरी ब्रेसियर के हुक खोलकर इन्हें चूसो। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंनें मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर उनके ऊपरी भाग को पूर्णतया नग्न कर दिया। मम्मी के वक्षस्थलों की दरार के बीच अपना लौड़ा डालकर मैंनें अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा मम्मी के होठों के संपर्क में आ गया और मम्मी ने मेरे लंड़ को मुँह के अंदर लेकर जमकर चूसा।

    तदुपरान्त मैंनें मेरे लंड़ को मम्मी के मुँह से निकालकर मम्मी को उनहत्तर की मुद्रा में लेकर अगले आधे घंटे तक मम्मी की जंघिया उतरकर मम्मी की चूत में जीभ को डालकर चाटा ता रहा और मम्मी अपने मुँह में मेरे लौड़े को निरंतर चूसती रही। अब मैंनें एक हाथ से मम्मी के नितंबों को दबाना शुरू किया और दूसरे से उनके निपल्स के चारों ओर मेरी उँगलियाँ सहलाना शुरू कर दिया। कुछ सेकंड के भीतर ही मम्मी की निपल्स खड़े हो गये। मैंनें मेरी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों में उसके निपल्स को लिया और धीरे -धीरे दबाने लगा जिसके फलस्वरूप मम्मी के तन मे फिर से कंपकपी छूट गई। अनजाने में मेरा हाथ नीचे चला गया और वह मम्मी की बुर को सहलाना लगा। मैं समझ चुका था कि मम्मी अब भरपुर उत्तेजित हो चुकि है। मम्मी के हाथ सिर के पीछे चले गए और मैंने अपने 8 इंच का कड़क लंड़ के सुपाड़े को मम्मी की बुर के छेद पर रखकर मम्मी की चुदाई की अंतिम तैयारी कर ली। मैंने मम्मी होठों से अपने होठों को अड़ाकर बहुत गहराई से चूमा और मेरी जीव्हा को उनके मुँह में डालकर मम्मी की जीभ से ऐंटी दी और उनके होठों को चूसने लगा। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी ने ऐन वक्त पर बोलीं "इन रिश्तों को मातृत्व प्रेम से स्त्री पुरूष समागम मे बदलने से पूर्व एक बार और सोच लो कि भविष्य में यह बात गुप्त नहीं रही तो क्या होगा?" मैंने मम्मी को बताया कि पवित्र हिन्दू पौराणिक ग्रंथ कामसूत्र में माँ बेटे के मध्य सम्भोग के कई वृतांत मौज़ूद हैं

    और यह बात सामने आने पर मैं आपसे विवाह कर लूँगा। अब मैं आपकी सिसकारियों और आंहों के अलावा कुछ नहीं सुनना चाहता। यह सुनकर मम्मी ने कहा "चलो अब हमें सच्चाई का सामना, करके एक दूसरे की कामवासना को तृप्त करना आरंभ करें" मम्मी के इतना कहते ही मैंनें अपने लंड़ मम्मी की चूत में डालकर धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही शयन कक्ष "आह" "ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां से गूंजने लगीं और मम्मी की चूत के छिद्र से द्रव का रिसाव शुरू होने लगा। मैंने तभी अचानक मेरा लंड़ मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और मेरी जिव्हा से मम्मी की टखनों व पिंडलियों को चाटता हुआ उनकी जांघों अंदर के हिस्से की त्वचा तक जा पहुँचा। मैंने ने बड़े सयंम से अपनी इन्द्रियों को वश मे रखते हुये मम्मी की भगनासा को चूसना चालू कर दिया। मम्मी की भगनासा थोडी देर चुसने के बाद ही एक पाँच वर्ष के शिशु के लंड के आकार की हो गई। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने पूछा, 'मम्मी, क्या तुम अब चुदाई के लिये तैयार हो?' मम्मी में अब इतनी उत्तेजना समा चुकी थी कि वो चिल्ला उठी "मादरचोद, अब तो हाथी जैसे लौड़े को मेरी बुर मे डालकर मुझे चोदना शुरु कर" मैंनें फिर अपने सुपाड़े को मम्मी के योनी द्वार पर रखकर जोर से धक्का दिया तो मेरा संपुर्ण लौड़ा मम्मी की बुर की गहराई में समा गया और अब मैनें अगले एक घंटे तक धीरे धीरे अन्दर बाहर धक्के देने जारी रखे।

    मम्मी की "आह" "ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां निरंतर जारी थीं और इसी बीच मैंने मम्मी की गदराई हुई टांगों को मेरी कंधो पर रखकर गर्दन के पीछे पिरो दिया तो मेरा लौड़ा मम्मी की बुर की अधिकतम गहराई तक उतर गया और उनकी ग्रीवा से मेरे सुपाड़े का घर्षण होना मुझे मेहसूस हुआ। मैंने मम्मी की चूचियों को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया। मम्मी की सिसकारियां अब चिल्लाहट में तब्दील हो गईं "चोदो मुझे" "जोर-जोर से चोदो मुझे" "मेरी बुर को फाड़कर मेरे दो टूकड़े कर दो" "और जोर से चोद मुझे, गंडमरे-मादरचोद" "चोद-चोद कर रंडी बना दे अपनी माँ को" मैंने अगले पंद्रह मिनट तक मेरे लौड़े को जोर-जोर के झटकों के साथ मम्मी की बुर के अन्दर बाहर करना जारी रखा तो मम्मी का चरमोत्कर्ष हो गया।अचानक, शिप्रा आण्टी हमारे शयन कक्ष में पूर्णतः नग्न होकर अवतरित हुँई। मेरे ढीले पड़ चुके लंड़ को मम्मी की बुर से निकालकर चूसना शुरू किया तो उसमें फिर ऐंठन आ गई और शिप्रा आण्टी ने मेरे वीर्य-स्खलन से पहले एक बार फिर मेरे लौड़े को मम्मी की बुर मे डलवाकर एक बार फिर मेरी और माँ की चुदाई को अंजाम दिया। आप ये कहानी आप रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मम्मी के चेहरे पर संपुर्ण औरत बनने की संतुष्टि प्रतीत हो रही थी। मम्मी ने कहा, "मेरी प्यारी सोनिया, आज कई युगों के बाद मेरी कामाग्नि को शांत करवाकर तूमने एक नेक काम किया है। अब से यह तय होता है कि मेरा बेटा रोज़ दिन में जब मेरे पति आफिस में होते हैं, तब मेरी चुदाई करेगा और इनके बाहर होने की दशा में अपनी आंटी को दिन मे और अपनी माँ को रात चोदेगा। उस दिन के बाद से मैं और मम्मी लगभग हर दूसरे दिन जब पिताजी बाहर होते हैं तो जमकर चुदाई करते हैं। कभी कभी तो जब दोनो के पति शहर से एक समय मे बाहर होते हैं तो हम सामूहिक चुदाई करते हैं। कैसी लगी हम डॉनो मां और बेटे की सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना , अगर कोई मेरी अतृप्त मां की चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो उसे अब जोड़ना
     
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