देवर के खड़े लंडने मेरी चुत फाड़ दी

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Aug 2, 2016.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

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    हैल्लो फ्रेंड्स.. आप सब कैसे है?.. में उम्मीद करती हूँ कि आप सभी ठीक हो और आप सभी को मेरी तरफ से नमस्कार. मेरा नाम अंजलि है और मेरी उम्र 30 साल की है. में एक सामान्य फिगर की औरत हूँ.. मेरे 2 बच्चे हैं मेरी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं लेकिन.. इतनी मस्त तो ज़रूर है कि मेरे देवर उन्हें मसल कर खुश हो जाते हैं और हमेशा उन्हें मसलने, चूसने, दबाने की कोशिश में रहते है. मेरे देवर की उम्र 33 साल है और वो गावं में रहता है.. वो जब भी आता है तो बस मेरे साथ मजे मस्ती करता रहता है.

    पिछले दिनों मेरे देवर जी दिन के करीब 2 बजे आए तो में उन्हें देखकर बहुत खुश हुई. उस वक़्त घर पर में और मेरी बेटी थी और बेटी की तबीयत खराब होने के कारण वो स्कूल नहीं जा रही थी और मेरा बेटा स्कूल गया था. में अपने देवर को देखने के बाद जल्दी से उसके लिए खाना तैयार करने लगी. उसने फ्रेश होकर नहाने के बाद खाना खाया तो मैंने उनके लिए बिस्तर लगा दिया.. क्योंकि वो आराम करना चाहते थे. मेरे घर में एक कमरा और एक किचन है. मैंने अपने देवर का बिस्तर नीचे ज़मीन पर ही लगा दिया था और मेरी बेटी ऊपर पलंग पर कंबल ओढ़कर सो रही थी और टीवी चल रहा था तो में भी वहीं पर देवर जी के साथ नीचे जमीन पर बैठकर टीवी देख रही थी. मेरा देवर थका हुए होने के बावजूद भी मुझे पास पकड़ कर अपनी हरकतों को रोक ना सका और मेरे जिस्म के साथ छेड़खानी करने लगा.

    फिर कभी वो मेरी कमर से होते हुए मेरे पेट को और मेरी पीठ को सहलाता तो कभी मेरी चूचियों को दबा देता.. में कसमसा कर रह जाती और कहती कि अभी बेटी सोई नहीं है.. लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज आए तो ना.. उनकी हरकत जारी रहती और वो मेरी जांघों को भी हल्का हल्का दबाने लगा. में भी मस्त हुए जा रही थी. तभी धीरे धीरे शाम गहराती गई और में वहाँ से उठ गयी और किचन का काम करने लगी. तभी देवर जी भी सोना छोड़कर मेरे साथ आकर बैठ गये और अपने पैरों से हरकत जारी रखी.. वो अपने पैरो से मेरे चूतड़ो को सहला रहा था. तभी मेरे पति आ गये और उन्होंने मुझे पैसे दिए और बाजार से चिकन लाने को कहा और खुद बाहर चले गये. फिर मैंने अपने देवर से कहा कि वो भी साथ चले.. तो वो तैयार हो गये और हम बाजार गये और वहाँ से वापस आने के बाद जब में चिकन तैयार कर रही थी.. तब भी वो मेरे पास बैठकर कभी अपने पैरो से तो कभी अपने हाथों से मेरे जिस्म के साथ मस्ती करता रहा. मैंने चिकन बनाया रोटी बनाई और फिर उनसे कहा कि आप खाकर सो जाओ. मैंने उन्हें खिलाया और उनसे कहा कि आप जाकर सो जाओ तो उसने नीचे सोने की ज़िद कर ली.. तो मैंने नीचे ही उसका बिस्तर लगा दिया. तभी थोड़ी देर में मेरे पति आए वो नशे में थे और खाना खाए बगैर मेरे देवर के पास में सो गये मैंने अपने दोनों बच्चो को खाना खिलाया और खाना खाने के बाद में भी अपने दोनों बच्चों को साथ में लेकर पलंग पर सो गयी और मैंने लाईट बुझा दी थी.. क्योंकि देवर जी का कहना था कि उन्हें लाइट जलने पर नींद नहीं आती.

    तभी थोड़ी देर बाद मुझे मेरे पेट पर एक हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ.. में समझ गयी कि देवर जी का हाथ है.. लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और फिर धीरे धीरे देवर जी का हाथ मेरी चूचियों तक पहुँच गया. वो ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को मसलने लगा और तभी मेरी सिसकियाँ निकलने लगी थी. तो उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रखकर मेरे होंठो को चूसने लगा. अब धीरे धीरे उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा. फिर वह मेरे होंठों पर से अपना होंठ हटा कर मेरी चूचियों को चूसने लगा और धीरे धीरे मेरी साड़ी को ऊपर उठाने लगा और मेरी साड़ी को पूरा मेरे पेट तक ला दिया और मेरी चूत को सहलाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. लेकिन में डर भी रही थी और तभी उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. में तो सातवें आसमान पर थी वो पूरी तरह से मुझ पर हावी हुआ जा रहा था. तभी मेरे पति की करवट बदलने की आवाज़ आई तो मैंने उसका हाथ रोक दिया और उसे हटा दिया और खुद के कपड़े ठीक किए और दोनों बच्चों को सामने की तरफ सुलाकर में खुद दीवार की तरफ जाकर सो गयी.. लेकिन फिर कुछ देर के बाद देवर जी ने अपनी हरकत फिर से शुरू कर दी.

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    वो मेरे पैरो को सहलाता तो कभी मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाता.. लेकिन अब में उसे दूर हटा रही थी.. क्योंकि एक तो मुझे नींद भी आ रही थी और डर भी लग रहा था.. क्योंकि मेरे पति और बच्चे साथ ही थे. जब में उसे लगातार दूर हटाती गयी तो देवर जी भी नाराज़ होकर सो गये. फिर सुबह में उठी और मेरे पति भी उठे और नाश्ता करने के बाद वो अपने ड्यूटी पर चले गये और मेरा बेटा ट्यूशन पढ़ने चला गया.. बेटी सो रही थी. मैंने अपने देवर को जगाया तो उसने उठने से इंकार कर दिया यहाँ तक कि वो मुझसे बात भी नहीं करना चाह रहा था. तभी में समझ गयी कि वो नाराज़ हैं.. मैंने अपनी बेटी को उठाया और उसे मुहं धोने के लिए कहा तो वो बाहर गयी और तभी मैंने बड़े प्यार से देवर जी की पीठ को सहलाया और उसके गाल पर एक चुम्मी दे दी और उसे मनाने की कोशिश करने लगी तो उसने कहा कि अब वो यहाँ पर कभी नहीं आएगा.. क्योंकि बेकार में उसकी और मेरी रातों की नींद खराब होती है. तभी मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया कि नाराज़ मत हो.. में आपको दोपहर में सब कुछ करने दूँगी.. तो इतना सुनते ही देवर जी ने उठकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी चूचियों को ज़ोर से मसला और एक किस दिया और फिर मैंने उसे उठने के लिए कहा तो वो उठकर फ्रेश हो गये और उसकी हरकतें भी चलती रही. उस दिन मेरा बेटा स्कूल नहीं गया.. वो दोपहर में बाहर खेलने चला गया और मेरी बेटी पास वाले घर में टीवी देखने चली गयी.

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    तभी देवर जी पलंग पर लेटे थे तो में भी वहीं पर आकर बैठ गयी. तभी देवर जी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगा और अचानक से मुझे पलंग पर लेटा दिया. में भी उसका विरोध नहीं कर रही थी.. क्योंकि चाहती तो में भी थी. फिर उसने मुझे अपने पास में लेटाकर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा और मेरी साड़ी को पेट तक उठाकर मेरी चूतड़ो और मेरी चूत को सहलने लगा. देवर जी सिर्फ़ धोती पहने हुए थे और उसने अंडरवियर नहीं पहनी थी और उसका लंड खड़ा हो चुका था जो कि मुझे अपनी गांड पर महसूस हो रहा था.. लेकिन जब तक कि वो अपना लंड बाहर निकालता और मेरी चुदाई करता.. मुझे मेरी बेटी के आने की आहट हुई और में उठ कर बैठ गयी और अपने कपड़े ठीक किए और देवर जी के साथ नॉर्मल बातें करने लगी.

    तभी मेरी बेटी ने आकर नीचे बिस्तर लगाया और में और मेरी बेटी दोनों नीचे सो गये थोड़ी देर बाद देवर जी भी नीचे आ गये और मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर मेरे पैरों को सहलाने लगे.. मैंने आँखें खोलकर देखा तो पाया कि मेरी बेटी सो गयी है तो में भी शांत रही और देवर जी को अपने जिस्म के साथ खेलने की आज़ादी दे दी. वो मेरी साड़ी को पूरी मेरे पेट तक उठाकर मेरी चूत को सहलाने लगा और फिर मेरी चूचियों को भी दबाने लगा. फिर उसने मेरी चूत में ऊँगली डालना शुरू कर दी. में अपनी चूत में उसका लंड लेने के लिए तड़प रही थी.. लेकिन ले नहीं पा रही थी.. क्योंकि वहीं पर मेरी बेटी भी सोई थी.

    फिर जब मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ तो में उठ गयी तो देवर जी ने पूछा क्या हुआ? तो मैंने कहा कि में पानी पीने किचन में जा रही हूँ तो वो भी मेरे पीछे किचन में आ गया और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और अब वो भी बिल्कुल पागल सा हो गया था और अब उसने मेरी चूचियों को भी ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया. मेरी साड़ी को उठाकर मेरी चूत में ऊँगली करने लगा. में भी अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और मैंने उसकी धोती उतार दी.. उसका लंड एकदम साँप की तरह फनफना रहा था. उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और अपना लंड मेरी चूत के मुहं में रखकर जैसे ही उसने धक्का लगाया.. मेरी तो मानो जान ही निकल गयी. वो मुझे ज़ोर से बाहों में दबोचते हुए धक्के लगाने लगा.. लेकिन तभी मेरा बेटा मम्मी-मम्मी चिल्लाता हुआ आया तो में घबरा गयी और देवर जी ने भी घबरा कर अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और अपनी धोती पहन ली.

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    तभी मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और हम दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी. उस समय दिन के करीब 3 बज रहे थे. में बाहर आ गयी तो मेरे देवर जी भी बाहर आए और बाथरूम में जाकर नहाकर फ्रेश हो गये और वापस जाने की तैयारी करने लगे.. में आई और मैंने पूछा तो उसने कहा कि आज जा रहा हूँ.. आपने तो मेरे खड़े लंड पर चोट कर दी और में वापस जा रहा हूँ. तभी मैंने कहा कि फिर कब आओगे.. तो उसने कहा कि जल्दी ही आऊंगा.. लेकिन अब चोट मत करना. फिर मैंने भी कहा कि नहीं करूँगी.. यह वादा रहा कि जितने भी दिन आप यहाँ रूकोगे में आपकी रहूंगी. फिर उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर एक जोरदार किस किया. फिर में उसे बस स्टॉप तक छोड़ने गयी और वो बस में बैठकर मुझे देखता रहा और में उन्हें तब तक देखती रही. जब तक बस आँखों से ओझल ना हुई और अब मुझे फिर से इंतजार है अपने देवर जी का कि फिर वो कब आएँगे.. क्योंकि उसने जो मेरी चूत में आग लगाई वो आज भी जल रही है.

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