मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही फड़क उठी

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Apr 23, 2016.

  1. 007

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    //8coins.ru इन सबकी ही मेहरबानी थी कि अब मेरी नजर हमेशा मोटे लण्ड की तलाश में रहती थी। अगर गलती से किसी पतले लण्ड वाले पर नजर चली भी जाती तो वो नामर्द लगता था मुझे।
    यह कहानी तब की है जब मैं अपने मायके जोधपुर गई हुई थी। मेरा जीजा और उसके मामा का लड़का विक्की भी उस दिन जोधपुर में आये हुए थे। मुझे जोधपुर जाने से पहले उनके आने का पता नहीं था।
    जोधपुर पहुँच कर जैसे ही अपने घर पहुँची तो दरवाजे पर ही जीजा के दर्शन हो गए। जीजा को देखते ही मेरी तो बांछें खिल उठी थी। जीजा का हाल भी कुछ कुछ ऐसा ही था।
    तभी मेरी माँ आ गई और मैं उसके साथ अंदर चली गई। अंदर अपनी माँ से बात करने पर पता लगा कि जीजा के मामा के लड़के का जोधपुर में इंटरव्यू है और वो तीन दिन यहाँ रुकेंगे।
    तीन दिन का नाम सुनकर तो मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। वैसे भी जीजा से चुदवाए बहुत दिन हो गए थे। पर घर में सभी लोगों के रहते मौका कैसे मिलेगा चुदवाने का। बस यही बात मेरे दिमाग में घूम रही थी।
    शाम के समय जीजा से मेरी बात हुई। जीजा भी मुझे चोदने को बेताब था। जीजा ने मुझे मौका मिलते ही बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। मेरा हाथ भी सीधा जीजा के लण्ड पर जाकर रुका। फनफनाता मोटा लण्ड पैंट से बाहर आने को फड़फड़ा रहा था।
    "शालू रानी. जल्दी से कोई जुगाड़ लगा.. बहुत दिन हो गए तेरी चूत का मजा लिए !"
    "मेरी मुनिया भी फड़क रही है जीजा तुम्हारा लण्ड लेने को. देखो तो जरा." कहते हुए मैंने जीजा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया।
    जीजा ने साड़ी के ऊपर से ही चूत को दबाया तो चूत एकदम से गीली हो उठी। जीजा के हाथ में जादू था। आग भड़क उठी थी।
    जीजा ने कुछ जुगाड़ करने का भरोसा दिलाया और फिर विक्की के साथ कहीं चला गया।
    जीजा शाम को वापिस आया तो उसने मुझे नींद की गोलियाँ दी और घर वालों के खाने में मिलाने को कहा पर मैं इस बात से डर गई।मुझे यह ठीक नहीं लग रहा था। घर पर सिर्फ मेरी माँ और पिता जी ही थे। माँ बाप को ऐसे धोखा देना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। जीजा गोलियाँ लेकर वापिस चला गया।
    मैंने माँ के साथ मिलकर रात के खाने का प्रबन्ध किया और फिर जीजा जब वापिस आया तो सबने खाना खाया। खाना खाने के बाद सबने जीजा की लाई हुई रबड़ी खाई।
    खाना खाने के कुछ ही देर बाद पिता जी नींद आने की बात कहकर सोने चले गए। मैं और माँ अंदर बर्तन धोने लगे तो माँ ने भी नींद आने की बात कही तो मेरे कान खड़े हो गए। जीजा ने शायद रबड़ी में नींद की दवाई मिला दी थी, पर रबड़ी तो सभी ने खाई थी।
    खैर दस मिनट के बाद माँ भी सोने चली गई। मैंने विक्की और जीजा के सोने के लिए बिस्तर सही किया। जब वो लेट गए तो मैं भी अंदर कमरे में जाकर लेट गई। अभी कुछ ही देर हुई थी की जीजा मेरे कमरे में अंदर आ गए और मेरे पास लेट गए। मैंने विक्की के बारे में पूछा तो जीजा बोले कि वो सो गया है।
    विक्की के सोने की बात सुनते ही मैं जीजा से लिपट गई। जीजा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे बदन को सहलाने लगे।होंठ चूसते चूसते जीजा मेरी मस्ती के मारे सख्त हुई चूचियों को मसलने लगा। चूचियों पर जीजा के हाथ पड़ते ही चूत में गुदगुदी सी भर गई और मैं जीजा से लिपटती चली गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
    करीब दस मिनट तक होंठ चुसाई और चूची मसलवाने के बाद मैं अब लण्ड लेने के लिए बेचैन होने लगी थी तो जीजा भी अब चोदने को तैयार था।
    कपड़ों का वजन जीजा पहले ही कम कर चुका था। दो नंगे बदन अब एक दूसरे में समां जाने को तैयार थे। जीजा अपना लण्ड चुसवाना चाहता था पर मैंने उसको पहले एक चुदाई करने को कहा।
    "मेरी जान, कम से कम अपनी जीभ से लण्ड गीला तो कर दो." जीजा ने कहा तो मैंने लण्ड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मोटा अकड़ कर खड़ा लण्ड चूसने में मज़ा तो आ रहा था पर चूत ज्यादा मचल रही थी उसको अपने अंदर लेने के लिए। जीजा ने मेरी भावनाओं को समझा और लण्ड का सुपारा चूत के मुहाने पर लगा दिया। गर्म गर्म लण्ड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत धन्य हो गई और उसके खुशी के आँसू टपक पड़े और वो पानी पानी हो गई और मेरे मुँह से आह निकल गई।
    जीजा जो कि शुरू से ही बेदर्दी था उसने मेरी आह सुनी तो पूरा जोर लगा कर एक धक्का लगा दिया और पूरा लण्ड एक ही बार में मेरी चूत की गहराई में उतार दिया। लण्ड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया और मेरी चीख निकल गई।
    वैसे तो मैं पहले भी जीजा का लण्ड बहुत बार ले चुकी थी पर जीजा बहुत हरामी था, जब तक चीख ना निकले उसे मजा ही नहीं आता था। लण्ड पूरा घुसते ही जीजा ने बिना दया किये ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए।
    मेरी चूत ज्यादा देर नहीं टिक पाई और पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही पानी पानी हो गई।
    जीजा जो कि गाण्ड का दीवाना था चुदाई करते करते उंगली से मेरी गाण्ड कुरेद रहा था। मुझे पता था जीजा गाण्ड भी जरूर मारेगा।
    "जीजा. तुमने तो मेरी गाण्ड की भी आदत बिगाड़ दी है. अब तो यह खुद ही लण्ड लेने को मचलती रहती है।"
    "तो आज इसकी भी तसल्ली कर देते हैं." कहते हुए जीजा ने पूरी उंगली गाण्ड में उतार दी।
    "शालू. दो लंडों का मज़ा लेने का मूड है?" जीजा ने अचानक पूछा तो मैं अवाक् सी जीजा की तरफ देखने लगी।
    "तुम्हारा मतलब क्या है जीजा.?" वैसे तो मैं जीजा की बात समझ गई थी पर फिर भी अनजान बनते हुए मैंने पूछा।
    "कहो तो तुम्हारी चूत और गाण्ड दोनों में एक साथ लण्ड जा सकता है.!"
    "पर कैसे?"
    "कैसे क्या. अगर तुम हाँ करो तो मैं विक्की को बुला लेता हूँ. फिर एक लण्ड चूत में और एक गाण्ड में. बस तुम हाँ करो..!"
    दो लन्डों की बात सुनकर मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही फड़क उठी थी। मैंने ब्ल्यू फिल्मों में ये सब देखा था और मेरा दिल भी जीजा की बात सुनकर दो लण्ड लेने को करने लगा था। पर एकदम से कैसे हाँ कर देती।
    "ना जीजा. मुझे डर लगता है. तुम अकेले ही मेरी गाण्ड फाड़ देते हो. और अगर तुम दो हो गए तो मैं तो मर ही जाऊँगी।"
    "मेरी जान. निहाल हो जाओगी. और फिर हमेशा दो दो लण्ड ही माँगोगी. एक बार करवा कर तो देखो."
    "पर जीजा. विक्की क्या सोचेगा?"
    मेरी बात सुन कर जीजा समझ गया कि मैं भी दो लण्ड लेना चाहती हूँ।
    "मेरी जान तुम फिकर ना करो. विक्की तो कब से तुम्हें चोदने को तड़प रहा है।"
    "तो फिर बुला लो. देखी जायेगी जो होगा !"
    मेरी बात सुनते ही जीजा मेरे ऊपर से उठा और लुंगी लपेट कर विक्की को बुलाने चला गया। मैं बेड पर नंगी पड़ी उनका इंतज़ार करने लगी। मैंने आज से पहले कभी दो लण्ड एक साथ देखे भी नहीं थे और आज चुदने का सोच कर ही मेरे दिल की धड़कन राजधानी एक्सप्रेस हो गई थी।
    करीब पाँच मिनट के बाद पहले जीजा और फिर पीछे पीछे विक्की कमरे में दाखिल हुआ। मैंने अपने ऊपर एक चादर ओढ़ ली थी। विक्की सिर्फ अंडरवियर में था। मुझे चोदने का सोच कर ही उसका लण्ड शवाब पर था और अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब लग रहा था। अंडरवियर में कैद लण्ड शानदार लग रहा था।
    मैं समझ चुकी थी कि आज गाण्ड तो फटना तय है पर मजा भी बहुत आने वाला है।
    कमरे में आते ही जीजा ने अपनी लुंगी खोल कर साइड में फेंक दी और फिर आगे बढ़ कर मेरी चादर खींच ली। मुझे विक्की के सामने ऐसे नंगे पड़े रहने में शर्म आ रही थी। मैंने चादर दोबारा अपने ऊपर लेने की कोशिश की तो इस बार विक्की ने चादर खींच ली।
    अगले ही पल विक्की ने भी अपना अंडरवियर उतार दिया।
    7-8 इंच लंबा और मस्त मोटा लण्ड था विक्की का। जीजा के लण्ड से किसी भी तरह से कम नहीं लग रहा था। दो दो लण्ड मेरी चूत और गाण्ड का बाजा बजाने को तैयार खड़े थे जिन्हें देख कर मेरी चूत और गाण्ड भी गुदगुदा रही थी।
    मैंने मन ही मन खुल कर मजा लेने का फैसला किया और फिर आगे बढ़ कर दोनों के लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिए और सहलाने लगी।
    विक्की का जवान लण्ड बहुत गर्म था और मेरे हाथों में फड़क रहा था। कुछ देर सहलाने के बाद मैंने पहले जीजा का लण्ड अपने मुँह में लिया और फिर विक्की का। उसके बाद तो मैं मदहोश हो गई और मस्त होकर दोनों के लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। दोनों मस्त होकर आहें भर रहे थे और मैं लण्ड को लोलीपॉप बनाकर चूस रही थी।
    विक्की जीजा से भी ज्यादा मस्त हो रहा था। उसने मुझे बेड पर धक्का देकर लेटा दिया और मेरी टाँगें ऊपर करके मेरी चूत को चाटने लगा। अब आहें निकलने की बारी मेरी थी। मैं जीजा का लण्ड चूस रही थी और विक्की मेरी चूत चाट रहा था। मैं तो मस्ती के मारे अपने होश में ही नहीं थी। तभी मुझे अपनी चूत पर कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ तो देखा कि विक्की ने अपने मोटे लण्ड का गर्म गर्म सुपारा मेरी चूत पर टिका दिया था।
    अगले ही पल विक्की ने एक जोरदार धक्का लगाया तो उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में उतरता चला गया और जाकर जोर से बच्चेदानी से जा टकराया।
    "राज. तुम्हारी साली तो बहुत गर्म है भाई. आज तो तुमने मेरी लाइफ बना दी." विक्की बड़बड़ाते हुए मुझे चोदने लगा।
    विक्की मेरी टाँगें पकड़ कर जोर जोर से मुझे चोद रहा था। कुछ देर बाद जीजा ने विक्की को इशारा किया तो उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और नीचे से चोदने लगा। मैं समझ गई थी कि अब जीजा गाण्ड फाड़ेगा पर मैं इसके लिए तैयार थी। जीजा ने थोड़ा सा थूक मेरी गाण्ड पर लगाया और फिर अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर सेट कर दिया। विक्की उसका पूरा सहयोग कर रहा था। उसने मेरी गाण्ड को मजबूती से पकड़ रखा था। जीजा मेरी गाण्ड पर अपना सुपाड़ा रगड़ता रहा और फिर एक करारा धक्का लगा कर अपने मोटे लण्ड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में फिट कर दिया।
    मैं दर्द के मारे कसमसाई पर दोनों ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था।
    दर्द मेरे चेहरे पर नजर आने लगा था पर मैं इसके लिए पहले से ही तैयार थी। मैंने गाण्ड थोड़ी ढीली की तो जीजा ने दो तीन धक्के लगातार लगा कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में उतार दिया। मेरे दोनों छेद भर गए थे। चूत में विक्की का लण्ड और गाण्ड में जीजा का लण्ड। मेरा तो जैसे एक सपना सा पूरा हो गया था।
    उसके बाद तो दोनों ने मुझे सेंडविच बना लिया और दोनों तरफ से धक्के लगाने लगे। दोनों लय के साथ धक्के लगा रहे थे। मेरी गाण्ड और चूत दोनों भर सी गई थी। पहले दो मिनट तो दोनों ने धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर किये पर फिर तो जैसे दोनों वहशी बन गए और दोनों ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे।
    मेरी चीखें कमरे में गूंजने लगी पर वो दोनों बड़ी बेरहमी से मेरी चूत और गाण्ड फाड़ते रहे।
    मैं उनसे बार बार छोड़ने की विनती कर रही थी पर वो दोनों तो जैसे कुछ सुन ही नहीं रहे थे।
    "आह्ह. उईई माँ. फट गईई. फट गई. मरर. गईई. छोड़ दे जीजा." मैं चिल्ला रही थी पर सब बेकार।
    करीब दस मिनट की चुदाई में मैं झर झर कर पानी पानी हो चुकी थी। तभी दोनों ने अपने अपने लण्ड निकाल लिए। मुझे कुछ राहत महसूस हुई पर यह राहत बस एक पल की ही थी। दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली थी और अब जीजा का लण्ड मेरी चूत की गहराई नाप रहा था और विक्की का लण्ड मेरी गाण्ड की। दोनों फिर से मुझे बीच में दबाये मेरी चूत और गाण्ड को बजा रहे थे। ऐसा नहीं था कि मुझे मजा नहीं आ रहा था पर दर्द भी हो रहा था। आखिर यह मेरा पहला अनुभव था इस तरह का। इस दर्द में भी एक अजीब सा मजा था।
    कुछ देर बाद तो जैसे मेरी चूत और गाण्ड सुन्न पड़ गई थी।
    दोनों ने मुझे लगभग आधे घंटे तक रगड़ रगड़ कर चोदा और फिर पहले विक्की ने अपने गर्म गर्म वीर्य से मेरी गाण्ड भरी और फिर साथ ही साथ जीजा ने भी अपने कीमती वीर्य से मेरी चूत लबालब भर दी। मैं तो आज मस्ती और मजे के मारे मदहोश हो गई थी और थक कर बेड पर बेसुध हुई पड़ी थी, जीजा और विक्की दोनों का वीर्य मेरी चूत और गाण्ड में से बह रहा था।
    ऐसे ही पड़े पड़े ना जाने कब मुझे नींद आ गई। रात को करीब दो तीन बजे उन्होंने मुझे फिर से उठा लिया और एक बार फिर से मेरी चूत और गाण्ड भर दी।

    Code:
    
    
    अगले तीन दिन दोनों ने मेरी गाण्ड और चूत का भुरता बना कर रख दिया। मुझे भी अब वापिस जयपुर अपने घर आना था क्योंकि पति देव का दो तीन बार फोन आ चुका था।
    जीजा बोला- चलो मैं तुम्हें जयपुर छोड़ देता हूँ।
    हम तीनों घर से जयपुर के लिए चल दिए पर जीजा ने रास्ते में ही एक होटल में गाड़ी रोक दी और एक बार फिर से मैं दोनों के बीच सेंडविच बन गई और दोनों ने फिर से एक बार मेरी चूत और गाण्ड एक साथ बजाई।
    रात को हम सब जयपुर मेरे घर पहुँचे। घर पहुँच कर पता लगा कि पति देव टूअर पर गए हैं, अगले दिन आयेंगे।
    फिर आगे क्या हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं.
    उसके बाद से मुझे हमेशा तमन्ना रहती कि दो लण्ड हो जो मेरी चूत और गाण्ड को एक साथ बजायें ! पर मुझे यह मौका बहुत कम मिला
     
  2. 007

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    //8coins.ru मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही फड़क उठी

    इन सबकी ही मेहरबानी थी कि अब मेरी नजर हमेशा मोटे लण्ड की तलाश में रहती थी। अगर गलती से किसी पतले लण्ड वाले पर नजर चली भी जाती तो वो नामर्द लगता था मुझे।
    यह कहानी तब की है जब मैं अपने मायके जोधपुर गई हुई थी। मेरा जीजा और उसके मामा का लड़का विक्की भी उस दिन जोधपुर में आये हुए थे। मुझे जोधपुर जाने से पहले उनके आने का पता नहीं था।
    जोधपुर पहुँच कर जैसे ही अपने घर पहुँची तो दरवाजे पर ही जीजा के दर्शन हो गए। जीजा को देखते ही मेरी तो बांछें खिल उठी थी। जीजा का हाल भी कुछ कुछ ऐसा ही था।
    तभी मेरी माँ आ गई और मैं उसके साथ अंदर चली गई। अंदर अपनी माँ से बात करने पर पता लगा कि जीजा के मामा के लड़के का जोधपुर में इंटरव्यू है और वो तीन दिन यहाँ रुकेंगे।
    तीन दिन का नाम सुनकर तो मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। वैसे भी जीजा से चुदवाए बहुत दिन हो गए थे। पर घर में सभी लोगों के रहते मौका कैसे मिलेगा चुदवाने का। बस यही बात मेरे दिमाग में घूम रही थी।
    शाम के समय जीजा से मेरी बात हुई। जीजा भी मुझे चोदने को बेताब था। जीजा ने मुझे मौका मिलते ही बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। मेरा हाथ भी सीधा जीजा के लण्ड पर जाकर रुका। फनफनाता मोटा लण्ड पैंट से बाहर आने को फड़फड़ा रहा था।
    "शालू रानी. जल्दी से कोई जुगाड़ लगा.. बहुत दिन हो गए तेरी चूत का मजा लिए !"
    "मेरी मुनिया भी फड़क रही है जीजा तुम्हारा लण्ड लेने को. देखो तो जरा." कहते हुए मैंने जीजा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया।
    जीजा ने साड़ी के ऊपर से ही चूत को दबाया तो चूत एकदम से गीली हो उठी। जीजा के हाथ में जादू था। आग भड़क उठी थी।
    जीजा ने कुछ जुगाड़ करने का भरोसा दिलाया और फिर विक्की के साथ कहीं चला गया।
    जीजा शाम को वापिस आया तो उसने मुझे नींद की गोलियाँ दी और घर वालों के खाने में मिलाने को कहा पर मैं इस बात से डर गई।मुझे यह ठीक नहीं लग रहा था। घर पर सिर्फ मेरी माँ और पिता जी ही थे। माँ बाप को ऐसे धोखा देना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। जीजा गोलियाँ लेकर वापिस चला गया।
    मैंने माँ के साथ मिलकर रात के खाने का प्रबन्ध किया और फिर जीजा जब वापिस आया तो सबने खाना खाया। खाना खाने के बाद सबने जीजा की लाई हुई रबड़ी खाई।
    खाना खाने के कुछ ही देर बाद पिता जी नींद आने की बात कहकर सोने चले गए। मैं और माँ अंदर बर्तन धोने लगे तो माँ ने भी नींद आने की बात कही तो मेरे कान खड़े हो गए। जीजा ने शायद रबड़ी में नींद की दवाई मिला दी थी, पर रबड़ी तो सभी ने खाई थी।
    खैर दस मिनट के बाद माँ भी सोने चली गई। मैंने विक्की और जीजा के सोने के लिए बिस्तर सही किया। जब वो लेट गए तो मैं भी अंदर कमरे में जाकर लेट गई। अभी कुछ ही देर हुई थी की जीजा मेरे कमरे में अंदर आ गए और मेरे पास लेट गए। मैंने विक्की के बारे में पूछा तो जीजा बोले कि वो सो गया है।
    विक्की के सोने की बात सुनते ही मैं जीजा से लिपट गई। जीजा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे बदन को सहलाने लगे।होंठ चूसते चूसते जीजा मेरी मस्ती के मारे सख्त हुई चूचियों को मसलने लगा। चूचियों पर जीजा के हाथ पड़ते ही चूत में गुदगुदी सी भर गई और मैं जीजा से लिपटती चली गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
    करीब दस मिनट तक होंठ चुसाई और चूची मसलवाने के बाद मैं अब लण्ड लेने के लिए बेचैन होने लगी थी तो जीजा भी अब चोदने को तैयार था।
    कपड़ों का वजन जीजा पहले ही कम कर चुका था। दो नंगे बदन अब एक दूसरे में समां जाने को तैयार थे। जीजा अपना लण्ड चुसवाना चाहता था पर मैंने उसको पहले एक चुदाई करने को कहा।
    "मेरी जान, कम से कम अपनी जीभ से लण्ड गीला तो कर दो." जीजा ने कहा तो मैंने लण्ड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मोटा अकड़ कर खड़ा लण्ड चूसने में मज़ा तो आ रहा था पर चूत ज्यादा मचल रही थी उसको अपने अंदर लेने के लिए। जीजा ने मेरी भावनाओं को समझा और लण्ड का सुपारा चूत के मुहाने पर लगा दिया। गर्म गर्म लण्ड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत धन्य हो गई और उसके खुशी के आँसू टपक पड़े और वो पानी पानी हो गई और मेरे मुँह से आह निकल गई।
    जीजा जो कि शुरू से ही बेदर्दी था उसने मेरी आह सुनी तो पूरा जोर लगा कर एक धक्का लगा दिया और पूरा लण्ड एक ही बार में मेरी चूत की गहराई में उतार दिया। लण्ड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया और मेरी चीख निकल गई।
    वैसे तो मैं पहले भी जीजा का लण्ड बहुत बार ले चुकी थी पर जीजा बहुत हरामी था, जब तक चीख ना निकले उसे मजा ही नहीं आता था। लण्ड पूरा घुसते ही जीजा ने बिना दया किये ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए।
    मेरी चूत ज्यादा देर नहीं टिक पाई और पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही पानी पानी हो गई।
    जीजा जो कि गाण्ड का दीवाना था चुदाई करते करते उंगली से मेरी गाण्ड कुरेद रहा था। मुझे पता था जीजा गाण्ड भी जरूर मारेगा।
    "जीजा. तुमने तो मेरी गाण्ड की भी आदत बिगाड़ दी है. अब तो यह खुद ही लण्ड लेने को मचलती रहती है।"
    "तो आज इसकी भी तसल्ली कर देते हैं." कहते हुए जीजा ने पूरी उंगली गाण्ड में उतार दी।
    "शालू. दो लंडों का मज़ा लेने का मूड है?" जीजा ने अचानक पूछा तो मैं अवाक् सी जीजा की तरफ देखने लगी।
    "तुम्हारा मतलब क्या है जीजा.?" वैसे तो मैं जीजा की बात समझ गई थी पर फिर भी अनजान बनते हुए मैंने पूछा।
    "कहो तो तुम्हारी चूत और गाण्ड दोनों में एक साथ लण्ड जा सकता है.!"
    "पर कैसे?"
    "कैसे क्या. अगर तुम हाँ करो तो मैं विक्की को बुला लेता हूँ. फिर एक लण्ड चूत में और एक गाण्ड में. बस तुम हाँ करो..!"
    दो लन्डों की बात सुनकर मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही फड़क उठी थी। मैंने ब्ल्यू फिल्मों में ये सब देखा था और मेरा दिल भी जीजा की बात सुनकर दो लण्ड लेने को करने लगा था। पर एकदम से कैसे हाँ कर देती।
    "ना जीजा. मुझे डर लगता है. तुम अकेले ही मेरी गाण्ड फाड़ देते हो. और अगर तुम दो हो गए तो मैं तो मर ही जाऊँगी।"
    "मेरी जान. निहाल हो जाओगी. और फिर हमेशा दो दो लण्ड ही माँगोगी. एक बार करवा कर तो देखो."
    "पर जीजा. विक्की क्या सोचेगा?"
    मेरी बात सुन कर जीजा समझ गया कि मैं भी दो लण्ड लेना चाहती हूँ।
    "मेरी जान तुम फिकर ना करो. विक्की तो कब से तुम्हें चोदने को तड़प रहा है।"
    "तो फिर बुला लो. देखी जायेगी जो होगा !"
    मेरी बात सुनते ही जीजा मेरे ऊपर से उठा और लुंगी लपेट कर विक्की को बुलाने चला गया। मैं बेड पर नंगी पड़ी उनका इंतज़ार करने लगी। मैंने आज से पहले कभी दो लण्ड एक साथ देखे भी नहीं थे और आज चुदने का सोच कर ही मेरे दिल की धड़कन राजधानी एक्सप्रेस हो गई थी।
    करीब पाँच मिनट के बाद पहले जीजा और फिर पीछे पीछे विक्की कमरे में दाखिल हुआ। मैंने अपने ऊपर एक चादर ओढ़ ली थी। विक्की सिर्फ अंडरवियर में था। मुझे चोदने का सोच कर ही उसका लण्ड शवाब पर था और अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब लग रहा था। अंडरवियर में कैद लण्ड शानदार लग रहा था।
    मैं समझ चुकी थी कि आज गाण्ड तो फटना तय है पर मजा भी बहुत आने वाला है।
    कमरे में आते ही जीजा ने अपनी लुंगी खोल कर साइड में फेंक दी और फिर आगे बढ़ कर मेरी चादर खींच ली। मुझे विक्की के सामने ऐसे नंगे पड़े रहने में शर्म आ रही थी। मैंने चादर दोबारा अपने ऊपर लेने की कोशिश की तो इस बार विक्की ने चादर खींच ली।
    अगले ही पल विक्की ने भी अपना अंडरवियर उतार दिया।
    7-8 इंच लंबा और मस्त मोटा लण्ड था विक्की का। जीजा के लण्ड से किसी भी तरह से कम नहीं लग रहा था। दो दो लण्ड मेरी चूत और गाण्ड का बाजा बजाने को तैयार खड़े थे जिन्हें देख कर मेरी चूत और गाण्ड भी गुदगुदा रही थी।
    मैंने मन ही मन खुल कर मजा लेने का फैसला किया और फिर आगे बढ़ कर दोनों के लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिए और सहलाने लगी।
    विक्की का जवान लण्ड बहुत गर्म था और मेरे हाथों में फड़क रहा था। कुछ देर सहलाने के बाद मैंने पहले जीजा का लण्ड अपने मुँह में लिया और फिर विक्की का। उसके बाद तो मैं मदहोश हो गई और मस्त होकर दोनों के लण्ड बारी बारी से चूसने लगी। दोनों मस्त होकर आहें भर रहे थे और मैं लण्ड को लोलीपॉप बनाकर चूस रही थी।
    विक्की जीजा से भी ज्यादा मस्त हो रहा था। उसने मुझे बेड पर धक्का देकर लेटा दिया और मेरी टाँगें ऊपर करके मेरी चूत को चाटने लगा। अब आहें निकलने की बारी मेरी थी। मैं जीजा का लण्ड चूस रही थी और विक्की मेरी चूत चाट रहा था। मैं तो मस्ती के मारे अपने होश में ही नहीं थी। तभी मुझे अपनी चूत पर कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ तो देखा कि विक्की ने अपने मोटे लण्ड का गर्म गर्म सुपारा मेरी चूत पर टिका दिया था।
    अगले ही पल विक्की ने एक जोरदार धक्का लगाया तो उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में उतरता चला गया और जाकर जोर से बच्चेदानी से जा टकराया।
    "राज. तुम्हारी साली तो बहुत गर्म है भाई. आज तो तुमने मेरी लाइफ बना दी." विक्की बड़बड़ाते हुए मुझे चोदने लगा।
    विक्की मेरी टाँगें पकड़ कर जोर जोर से मुझे चोद रहा था। कुछ देर बाद जीजा ने विक्की को इशारा किया तो उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और नीचे से चोदने लगा। मैं समझ गई थी कि अब जीजा गाण्ड फाड़ेगा पर मैं इसके लिए तैयार थी। जीजा ने थोड़ा सा थूक मेरी गाण्ड पर लगाया और फिर अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर सेट कर दिया। विक्की उसका पूरा सहयोग कर रहा था। उसने मेरी गाण्ड को मजबूती से पकड़ रखा था। जीजा मेरी गाण्ड पर अपना सुपाड़ा रगड़ता रहा और फिर एक करारा धक्का लगा कर अपने मोटे लण्ड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में फिट कर दिया।
    मैं दर्द के मारे कसमसाई पर दोनों ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था।
    दर्द मेरे चेहरे पर नजर आने लगा था पर मैं इसके लिए पहले से ही तैयार थी। मैंने गाण्ड थोड़ी ढीली की तो जीजा ने दो तीन धक्के लगातार लगा कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में उतार दिया। मेरे दोनों छेद भर गए थे। चूत में विक्की का लण्ड और गाण्ड में जीजा का लण्ड। मेरा तो जैसे एक सपना सा पूरा हो गया था।
    उसके बाद तो दोनों ने मुझे सेंडविच बना लिया और दोनों तरफ से धक्के लगाने लगे। दोनों लय के साथ धक्के लगा रहे थे। मेरी गाण्ड और चूत दोनों भर सी गई थी। पहले दो मिनट तो दोनों ने धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर किये पर फिर तो जैसे दोनों वहशी बन गए और दोनों ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे।
    मेरी चीखें कमरे में गूंजने लगी पर वो दोनों बड़ी बेरहमी से मेरी चूत और गाण्ड फाड़ते रहे।
    मैं उनसे बार बार छोड़ने की विनती कर रही थी पर वो दोनों तो जैसे कुछ सुन ही नहीं रहे थे।
    "आह्ह. उईई माँ. फट गईई. फट गई. मरर. गईई. छोड़ दे जीजा." मैं चिल्ला रही थी पर सब बेकार।
    करीब दस मिनट की चुदाई में मैं झर झर कर पानी पानी हो चुकी थी। तभी दोनों ने अपने अपने लण्ड निकाल लिए। मुझे कुछ राहत महसूस हुई पर यह राहत बस एक पल की ही थी। दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली थी और अब जीजा का लण्ड मेरी चूत की गहराई नाप रहा था और विक्की का लण्ड मेरी गाण्ड की। दोनों फिर से मुझे बीच में दबाये मेरी चूत और गाण्ड को बजा रहे थे। ऐसा नहीं था कि मुझे मजा नहीं आ रहा था पर दर्द भी हो रहा था। आखिर यह मेरा पहला अनुभव था इस तरह का। इस दर्द में भी एक अजीब सा मजा था।
    कुछ देर बाद तो जैसे मेरी चूत और गाण्ड सुन्न पड़ गई थी।
    दोनों ने मुझे लगभग आधे घंटे तक रगड़ रगड़ कर चोदा और फिर पहले विक्की ने अपने गर्म गर्म वीर्य से मेरी गाण्ड भरी और फिर साथ ही साथ जीजा ने भी अपने कीमती वीर्य से मेरी चूत लबालब भर दी। मैं तो आज मस्ती और मजे के मारे मदहोश हो गई थी और थक कर बेड पर बेसुध हुई पड़ी थी, जीजा और विक्की दोनों का वीर्य मेरी चूत और गाण्ड में से बह रहा था।
    ऐसे ही पड़े पड़े ना जाने कब मुझे नींद आ गई। रात को करीब दो तीन बजे उन्होंने मुझे फिर से उठा लिया और एक बार फिर से मेरी चूत और गाण्ड भर दी।

    Code:
    
    
    अगले तीन दिन दोनों ने मेरी गाण्ड और चूत का भुरता बना कर रख दिया। मुझे भी अब वापिस जयपुर अपने घर आना था क्योंकि पति देव का दो तीन बार फोन आ चुका था।
    जीजा बोला- चलो मैं तुम्हें जयपुर छोड़ देता हूँ।
    हम तीनों घर से जयपुर के लिए चल दिए पर जीजा ने रास्ते में ही एक होटल में गाड़ी रोक दी और एक बार फिर से मैं दोनों के बीच सेंडविच बन गई और दोनों ने फिर से एक बार मेरी चूत और गाण्ड एक साथ बजाई।
    रात को हम सब जयपुर मेरे घर पहुँचे। घर पहुँच कर पता लगा कि पति देव टूअर पर गए हैं, अगले दिन आयेंगे।
    फिर आगे क्या हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं.
    उसके बाद से मुझे हमेशा तमन्ना रहती कि दो लण्ड हो जो मेरी चूत और गाण्ड को एक साथ बजायें ! पर मुझे यह मौका बहुत कम मिला
     
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