हम दो सहेलिया और हमारे दो पति

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jan 3, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //8coins.ru हम दो सहेलिया और हमारे दो पति

    मैं और ज्योत्सना बचपन की सहेलियां है. हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े. और अब मेरी और ज्योत्सना की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी. मेरा घर और उसका घर पास में था. ज्योत्सना का पति बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक था. मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. ज्योत्सना भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी. जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे.

    उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं ज्योत्सना के घर चली जाती थी. ज्योत्सना आज कुछ सेक्सी मूड में थी.
    मैंने ज्योत्सना से कहा - "आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार."
    "हाँ हाँ क्यों नहीं."

    हम सोफे पर बैठ गए. ज्योत्सना मुझसे बोली- "सुन एक बात कहूं.चुता तो नहीं मानेगी."
    "कहो तो सही.."
    "देख चुता लगे तो सॉरी.ठीक है ना."
    "अरे कहो तो सही."
    "कहना नहीं..करना है."
    "तो करो..बताओ.." मैं हंस पड़ी.
    उसने कहा - "रीता.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है."
    "तो इसमे क्या है.. आ किस करले.."
    "तो पास आ जा.."

    "अरे कर ले ना." मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है
    ज्योत्सना ने पास आकार मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया. इतने में ज्योत्सना का हाथ मेरे स्तनों पर आ गया और वो मेरे स्तनों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. "ये क्या कर रही है ज्योत्सना..."

    "रीता मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है.तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी..."
    "अरे तो तुम्हारे पति.नहीं करते क्या.."
    "कभी कभी करते है... अभी तो ७-८ दिन हो गए हैं... पर रीता मैं तुमसे प्यार करती हूँ..मूझे ग़लत मत समझना.."

    अपनी सहेली से प्यार करने लगी

    उसने मेरे स्तनों को दबाना चालू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं तो कब से यही चाह रही थी. पर दोस्ती इसकी इज़ज्ज़त नहीं देती थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शर्म को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नरम नरम चुतड पकड़ लिए. ज्योत्सना सिसक उठी. बोली -"मसल दे मेरे चुतडों को आज.रीता.मसल दे."

    मैंने ज्योत्सना का पजामा और टॉप उतार दिया. अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली, "नहीं रीता.तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह... मेरे बूब्स मसल दे... मेरी चुत को घिस डाल.उसे चूस ले. सब कर..ले "
    मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना चालू कर दिया. पर मुझसे रहा नही गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे. आप ये कहानी अन्तर्वासना- स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है l

    अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों ६९ की पोसिशन में आ गए. उसने मेरी चुत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी चुत के दाने को जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चुत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना चालू कर दिया. और मेरी चुत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चुत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी. मेरी चुत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था. हम दोनों की हालत चुती हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी.

    उसी समय मोबाइल बज उठा. ज्योत्सना होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल उठा लिया.
    वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- "अरे वो बाहर खड़े हैं.. जल्दी उठ रीता.कपड़े पहन."
    "जल्दी कैसे आ गए..???????"

    हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए. नीचे साहिल खड़ा था. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.
    अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया. मैं भी मुस्करा दी.
    "सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है.. मम्मी बहुत बीमार हैं."
    उसकी मम्मी शहर में १० किलोमीटर दूर रहती थी. मैं ज्योत्सना से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब १ घंटे बाद कार में जाते हुए देखा.

    शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी. मैंने देखा कि साहिल कार में घर की तरफ़ जा रहा था.
    मैंने घड़ी देखी तो ४ बजे थे. मेरे पति ७ बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित ज्योत्सना के घर की तरफ़ चल दी. साहिल घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो साहिल बाहर आया.

    "मम्मी कैसी हैं ?.."
    "ठीक हैं, ४ -५ दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ.."
    "तो खाना कौन बनाएगा. आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा.."
    वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला - "अच्छा क्या क्या खिलाओगी.."

    मैंने भी शरारत से कहा- "जो आप कहें... नारंगी खाओगे.जीजू.." उसकी नजर तुरन्त मेरे स्तनों पर गयी. मेरी नारंगियों के उभारों को उसकी नजरें नापने लगी.
    "हाँ अगर तुम खिलाओगी तो.. तुम क्या पसंद करोगी.." साहिल ने तीर मारा
    "हाँ. मुझे केला अच्छा लगता है." मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया.
    "पर..आज तो केला नहीं है."
    "है तो. तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है." मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लंड को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था. "अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो.." साहिल मुस्कराया

    "अच्छा मैं चलती हूँ.जीजू. केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?." मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- "केला नहीं लोगी क्या.. मोटा केला है.."
    मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- "तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं केला कैसे ले लूँ.." मैंने तिरछी नजरों का वार किया.
    उसने पीछे से आ कर - धीरे से मेरी चुंचियां पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. "ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं "

    चुदाई का पहला पार्ट

    "साहिल.. क्या कर रहे हो."
    "बस रीता...तुम्हारी नारंगी. इतनी कड़ी नारंगी. कच्ची है क्या."
    उसका लंड मेरे चुतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लंड हाथ पीछे करके पकड़ लिया.
    "इतना बड़ा केला... हाय रे.जीजू "
    " रीता. नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज..हैं.. मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा. मैंने मुड कर साहिल की ओर देखा. उसकी आंखों में वासना के डोरे नजर आ रहे थे. मैं भी वासना के समुन्दर में डूब रही थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा. मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे.

    साहिल ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चुत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चुत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी. उसके दूसरे हाथ ने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी।

    उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चुतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चुतड़ों की दरार में उसका लण्ड घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका लंड अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था. उसने अपने लण्ड को वहां पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लंड का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड की सुपारी छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ी थी. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चुतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी.

    "आह .. रीता ... बड़ी चिकनी है ... क्या चीज़ हो तुम. .."
    "साहिल .. कितना मोटा है .... अब जल्दी करो ."
    "हाय .. इतने दिन तक तुमने तड़पाया ... पहले क्यों नहीं आयी .."

    "मेरे राजा ..अब गांड चोद दो .. मत कहो कुछ .."
    "ये लो मेरी रीता ... क्या चिकने चुतड हैं ... "
    "हाँ मेरे राजा .मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी .. तुम समझते ही नहीं थे ... हाय मर गयी ."
    उसने अपना पूरा लण्ड मेरी गांड की गहरायी में पहुँचा दिया.

    "राजा मेरे ... अब तो मेहरबानी कर ना ..."
    "बस अब ..कुछ ना बोलो . अब मजा आ रहा है .. हाय . रीता .. मस्त हो तुम तो .."
    साहिल के धक्के बढ़ते जा रहे थे ... मुझे असीम आनंद आने लगा था. वो गांड मारता रहा . मैं गांड चुदाती रही. उसके धक्के और बढ़ने लगे. उसका लण्ड मेरी गांड की दीवारों से रगड़ खा रहा था. छेद उसके लण्ड के हिसाब से थोड़ा छोटा ही था .इसलिए ज्यादा रगड़ खा रहा था. मेरी गांड चुदती रही. मैं आनंद के मारे जोर जोर से सिस्कारियां भर रही थी.
    अब साहिल ने धीरे से लण्ड छेद से बाहर खींच लिया. और मुझे चिपका लिया मेरे हाथ ऊपर कर दिये. पीछे से उसने मेरी छातियाँ कस कर पकड़ ली और मसलने लगा.

    "रीता . अब मैं कहीं झड़ ना जाऊं . एक बार लण्ड को चुत का सामना करवा दो ..."
    मैं हंस पड़ी - "आज मैं इसी लिए तो आई थी .. मुझे पता था कि ज्योत्सना नहीं है .. तुम अकेले ही हो .और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से ."
    दोनों ही हंस पड़े .. हम दोनों बिस्तर पर आ गए .. मैंने कहा .."साहिल . मैं तुम्हें पहले चोदूंगी ... प्लीज़ . तुम लेट जाओ .. मुझे चोदने दो ."

    " चाहे मैं चोदूं या तुम . चुदेगी तो रीता ही ना .. आ जाओ ." कह कर साहिल हंसने लगा.
    वो बिस्तर पर सीधे लेट गया. उसके लण्ड कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चुत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चुत से चिपका दिया. पर साहिल को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चुतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया. सुपारी चुत को चीरते हुए अन्दर घुस गयी. मैं आनंद से सिसक उठी.

    "हाय रे .. घुसा दिया अन्दर .. मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा ."
    कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चुत लण्ड पर पटकनी चालू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियां भर रहे थे.

    "हाय मेरे राजा ... मजा आ रहा है ... हाय चुत और लंड भी क्या चीज़ है ... हाय रे ."
    "रीता ... लगा . जोर से लगा .. और चोद. .. निकाल दे अपने जीजू के लण्ड का रस .."
    मैंने अपनी गति बढ़ा दी. चुतड़ों को हिला हिला कर उसका लण्ड झेल रही थी. उसका लण्ड मेरे चुत के चिकने पानी से भर गया था.
    "हाँ ..मेरे राजा ... ये लो .. और लो ."

    पर साहिल को ये मंजूर नहीं था . उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया। वो अब मेरे ऊपर था. उसका लण्ड बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लण्ड चुत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चुत की जड़ तक घुसा डाला. मुझे लगा कि सुपारी मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गयी है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी. अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली.

    साहिल ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने चालू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चुतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना चालू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही .. चुदती रही ...उसकी रफ्तार बढती रही ... मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा . और मैं झड़ जाऊंगी .मैंने धक्के मारने बंद कर दिए ॥ और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी . मैं चरम सीमा पर पहुच चुकी थी ... जैसे जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा .रज निकलने लगा .मैं चुतने लगी . मैं झड़ने लगी. .. रोकने की कोशिश की पर .. नहीं . अब कुछ नहीं हो सकता था ... मैं सिस्कारियां भरते हुए पूरी झड़ गयी ... मैं ढीली पड़ गयी .. अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे. लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं . कुछ ही पलों में .. सुहानी बरसात चालू हो गयी.

    उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था .. और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया. उसका वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था ... साहिल मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ .. मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी. मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था.
    रीता के पति राहुल अभी तक घर नहीं आए थे। रीता ने अपना सामान रसोई में रखा और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। उसे रह रह कर साहिल से चुदाई की याद आ रही थी। लगभग ७ बजे राहुल आया। काम भी पूरा हो चुका था. आप ये कहानी अन्तर्वासना- स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है l

    राहुल ने आते ही पूछा - "ज्योत्सना चली गयी क्या."
    "ज्योत्सना की बड़ी चिंता है. कुछ गड़बड़ है क्या ?"
    "नही है तो नही. पर तुम गड़बड़ करा दो न."
    "तुम्ही डरते हो.. वो तो बेचारी तुम पर मरती है."

    "फिर उसे आने दो.. इस बार तो पटा ही लूँगा उसे.."
    "ज्योत्सना तुमसे मिलकर गयी थी क्या ?"
    "नही.ये बात नही है.उसका फ़ोन आया था."
    "हाँ वो दिन को चली गयी थी.."

    "अब तो साहिल अकेला ही होगा.."
    "हाँ अकेला ही है.."
    "फिर तो आज हम दोनों की जमेगी. " राहुल ने अपनी व्हिस्की की बोतल उठा ली और कार में रख ली. दोनों साहिल के घर आ गए.
    राहुल और रीता घर में घुसते ही चौंक गए. ज्योत्सना वहां पहले से खड़ी थी.

    "अरे तुम तो घर गयी थी ना.?" राहुल ने पूछा।
    "हाँ पर भइया आ गए थे.. वो ही मुझे अभी छोड़ कर गए हैं.."
    "तुम रात का खाना हमारे यहाँ खाना.. बना लिया है."
    साहिल भी बाथरूम से आ गया था.

    चुदाई का दूसरा पार्ट

    करीब रात के ८.३० बज रहे थे. ज्योत्सना बड़े प्यार से राहुल को निहार रही थी. रीता ने उसे हमेशा की तरह फिर पकड़ लिया. रीता ने उसे कहा - "बड़ा प्यार आ रहा है.जीजू पर.."
    "चुप रह. वो तो हैं प्यारे से." ज्योत्सना हंस कर बोली
    "क्यों मेरे जीजू प्यारे नहीं हैं क्या."
    "तो तू भी लाइन मार ले ना.."
    "नहीं रे.. अब लाइन नहीं..कुछ और ही.."

    "चुप.चुप. कुछ भी बोलने लगती है.." राहुल और साहिल दोनों ही बैटन का मजे ले रहे थे. राहुल ने मजाक किया -
    "साहिल. ज्योत्सना चाहे तो मुझ पर लाइन मार सकती है.."
    "और मैं.रीता पर.." साहिल ने रीता को आँख मारते हुए कहा.
    "अच्छा चलो. तुम रीता पर लाइन मरो और मैं ज्योत्सना पर.आप क्या कहती हैं. ज्योत्सना जी... " राहुल ने अंधेरे में तीर छोड़ा.
    "तुम लोग बहुत प्यारे मजाक करते हो.. तो चलो लाइन मरो.." ज्योत्सना हंस पड़ी.

    "आज एक्सचेंज करते हैं... मंजूर है ?..साहिल. अब अपनी दोस्त भी तो पक्की हो जाए." राहुल ने कहा
    "हाय रे. यानि रीता साहिल के पास और मैं राहुल के पास." ज्योत्सना ने आह भरते हुए कहा.
    व"तो मंजूर है. क्यो रीता... तुम कहो." साहिल बोला. राहुल को पता था कि अभी थोडी देर पहले ही साहिल के साथ रीता की चुदाई हुयी थी. साहिल ने राहुल को फ़ोन पर ही बता दिया था कि रीता तो ख़ुद चुदवाने आ गयी थी. रीता ने जानबूझ कर शरमाने का नाटक किया.

    "हाँ राहुल.. मजा आ जाएगा.. क्यों ज्योत्सना..."
    "तुम्हे साहिल चोदेगा और मैं ज्योत्सना को.. तो साहिल हो जायें चालू." राहुल ने बिना शरमाये समझा दिया.
    राहुल ने ज्योत्सना की तरफ़ देखा. ज्योत्सना अपना चेहरा शर्म से छुपा लिया. राहुल बाहें फैला कर खड़ा हो गया. ज्योत्सना धीरे धीरे राहुल के निकट आयी और उसकी बाँहों में सिमट गयी. रीता तो पहले ही तैयार थी, उसने मौका देखा. वो जाकर साहिल से चिपक गयी. ज्योत्सना ने अपना चेहरा निकट लाते हुए कहा "राहुल ये अचानक कैसे हो गया.. मुझे जल्दी से प्यार कर लो.कहीं साहिल या रीता ने इनकार कर दिया तो.."

    "नहीं ज्योत्सना.. सब कुछ पहले से हमने सोच रखा था.रीता तो आज चुद चुकी है साहिल से.. बस आज के दिन ऐसा होगा ये नहीं पता था ..."
    "क्या... हाय.. मुझे पता होता तो मैं.पहले ही."
    राहुल ने देखा साहिल रीता की चुंचियां दबा रहा था. रीता ने साहिल का लंड पकड़ रखा था. ज्योत्सना भी देख कर शरमा गयी.
    "राहुल हाय ये देखो तो..."
    "उन्हें अब चुदाई करने दो.."

    ज्योत्सना ने अपने होंट राहुल की तरफ़ बढ़ा दिए. राहुल ने उसके होंट अपने होटों से मिला दिए.और एक दूसरे को चूमने लगे. दोनों के शरीर में उत्तेजना भरने लगी. ज्योत्सना को राहुल का मोटा लंड अपनी चुत के आस पास रगड़ता हुआ महसूस होने लगा. दोनों के बदन गरम होने लगे. राहुल का लंड अब खड़ा होने लगा था. उनके हाथ एक दूसरे के शरीर को टटोलने लगे. राहुल ने ज्योत्सना की चूचियां अपने हाथों में भर ली. और धीरे धीरे सहलाने लगा. ज्योत्सना ने उसके चुतडों को अपनी और खींच लिया. अब राहुल का लंड उसकी चुत में गड़ने लगा. राहुल की नजर रीता पर गयी. उनकी चुदाई में तेजी थी. वो पहले से खुले हुए थे. रीता की चुत में साहिल का लंड घुस चुका था. रीता उस से लिपटी जा रही थी. ज्योत्सना उन्हें देख कर आह भरने लगी.

    राहुल ने ज्योत्सना का तंग पजामा नीचे सरका दिया. ज्योत्सना ने इशारा पा लिया. उसने तुंरत ही अपना पजामा और टॉप उतार फेंका. राहुल ने भी अपने कपड़े उतार दिए. ज्योत्सना ने साहिल और रीता को देखा तो राहुल से लिपट गयी. उन दोनों की चुदाई देख कर ज्योत्सना तड़प उठी. अब दोनों ही नंगे खड़े थे. ज्योत्सना ने राहुल को अपनी और खींचा और राहुल का लंड पकड़ लिया. राहुल ने ज्योत्सना का नंगा बदन दबाना चालू कर दिया. दोनों मदहोशी में डूबने लगे.

    वो अब बिस्तर पर आ गए और और एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. अब रीता और साहिल की सिस्कारियां बढती जा रही थी, जो राहुल और ज्योत्सना के शरीर में आग भरने का काम कर रही थी. ज्योत्सना ने अपनी टाँगें ऊपर उठा ली. राहुल उन के बीच में समां गया. अपने लंड को उसने ज्योत्सना की चुत पर टिका दिया. चुत पानी छोड़ रही थी.चिकनी हो गयी थी... लंड फिसल कर अन्दर घुसता चला गया.. ज्योत्सना के मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. ज्योत्सना की आँखें आनंद के मारे बंद होने लगी. उसका लंड गहराईयों में उतरने लगा.

    अचानक राहुल को लगा की उसकी गांड में लंड का स्पर्श हो रहा है. उसे पता चल गया कि रीता और साहिल चुदाई पूरी कर चुके हैं. अब साहिल ने अपना लंड फिर से तैयार कर लिया है. अब वो राहुल के पीछे खड़ा हो गया था. राहुल ने उस पर ध्यान नहीं दिया. उसे पता था कि साहिल अब उसकी गांड मारेगा.. साहिल राहुल के चुतड पकड़ कर उसे चौडा कर अपना लंड घुसाने की कोशिश करने लगा. राहुल को अब पीछे भी मजा मिल रहा था.

    साहिल ने राहुल की गांड में थूक लगाया और जोर लगा कर लंड गांड में घुसा दिया. इस से राहुल के लंड में और अधिक उत्तेजना भरने लगी. उसने ज्योत्सना की चुत में धक्के तेज कर दिए. इस से साहिल को गांड मारने में थोडी मुश्किल आने लगी थी. रीता ज्योत्सना की चुंचियां मसलने लगी. राहुल और ज्योत्सना दोनों ही मदहोश हुए जा रही थी. दोनों को डबल मजा मिल रहा था.

    "हाय राजा. जोर से.. चोद डाल.. हा.." अब ज्योत्सना भी दिल की भड़ास मुंह से निकलने लगी. उसके चुतड नीचे से इंजन की तरह चल रहे थे.. राहुल भी बेकाबू होता जा रहा था."ज्योत्सना.. हाय.. मजा आ गया.. ये ले.येस.ये. और.ले.."
    "मेरी रीता... मसल डाल मेरी चुंचियां... जोर से..अ आ अह ह्ह्ह ह्ह्ह हह.."उधर साहिल राहुल की गांड चोद रहा था. राहुल को भी गांड मराने में मजा आता था.

    ज्योत्सना को लग रहा था कि अब वो झड़ने वाली है.. उसकी कमर तेज़ी से चलने लगी. रीता ने भी महसूस किया कि अब ज्योत्सना ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली है. रीता ने उसके चूचुक खींचने और घुमाने चालू कर दिए। ज्योत्सना का मुंह खुलने लगा.आहें बढ़ने लगी। अचानक ही उसने रीता का हाथ हटा दिया और राहुल को खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया," मैं गई मेरे राज़ा.. गई आआह.. " उसने अपने होंठ भींच लिए.

    उधर साहिल ने अपना लण्ड राहुल की गाण्ड से निकाल लिया और रीता के हाथ में दे दिया. रीता ने उसके लंड को पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया. साहिल ने रीता के पास लाकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया.और झड़ने लगा. और रस रीता के मुंह में भरने लगा. रीता रस को स्वाद ले कर पीने लगी. आप ये कहानी अन्तर्वासना- स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है l

    उधर राहुल का लंड खड़ा ही था... पर रीता को पता था उसे कैसे ठंडा करना है.. उसने तुंरत ही राहुल की गांड में अपनी उंगली डाल दी.. और उसके लंड ज्योत्सना की चुत में से बाहर निकाल कर, गीले लंड की मुठ मारने लगी. गांड में अंगुली तेजी से घुमाने लगी.. तभी उसके लंड से रस उछल पड़ा. रीता दूध निकलने की तरह उसके लंड से रस निकलने लगी. राहुल अब घुटनों के सहारे बैठ गया था और गहरी साँसें भर रहा था. उधर साहिल भी जाकर लेट गया. लगा कि वो दोनों थक गए थे.
    ज्योत्सना ने रीता को देखा और दोनों हंस पड़ी. दोनों गले से लिपट गयी और एक दूसरे को प्यार करने लगी.

    "हाय मेरा जीजू तेरे जीजू से ज्यादा बढ़िया चोदता है " ज्योत्सना बोली.
    "नही रे. मेरा जीजू ज्यादा अच्छी चुदाई करता है.." रीता ने भी तारीफ की.
    "आज तो हम दोनों की दोस्ती.. और पक्की हो गयी.." ज्योत्सना ने कहा.
    "पहले हम दो दोस्त थी..अब चार हो गए हैं... अब जी भर कर चुदाई कर सकते हैं ना.."
    ज्योत्सना ने राहुल को प्यार किया... और रीता ने साहिल को चूम लिया.
    अब सभी तैयार हो कर डिनर के लिए रवाना हो गए.






     
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