ट्रेन में दीदी के सास के साथ चुदाई के मजे लिए

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Jun 26, 2017.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //8coins.ru हेल्लो दोस्तों, मैं बबलू चौधरी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम का बहुत बड़ा प्रशंशक हूँ। कुछ सालों पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे इस वेबसाइट के बारे में बताया था, तब से मैं रोज यहाँ की मस्त मस्त कहानियां पढता हूँ और मजे लेता हूँ। मैं अपने दूसरे दोस्तों को भी इसे पढने को कहता हूँ। पर दोस्तों, आज मैं नॉन वेज स्टोरी पर स्टोरी पढ़ने नही, स्टोरी सुनाने हाजिर हुआ हूँ। आशा करता हूँ की यह कहानी सभी पाठकों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी सच्ची कहानी है।

    मेरी दीदी की शादी बनारस में हुई थी। कुछ दिनों बाद अपनी दीदी के घर गया था। दोस्तों मेरी दीदी बहुत अच्छी थी। मुझे बहुत प्यार करती थी। जब भी मैं उनके घर जाता था मेरे लिए तरह तरह के पकवान बनाती थी और सारा बनारस घुमाती थी। और जब मैं आने लगता था तो दीदी मुझे २ हजार रूपए देती थी और कपड़े सिलवाती थी। कुछ दिनों बाद गुड़िया [नाग पंचमी] का त्योहार आने वाला था। इसलिए मेरी माँ ने मुझे दीदी के घर जाने को कहा था और कुछ सामान दिया था। मेरी माँ हर साल नाग पंचमी में राशन मेरी दीदी को भेजती थी। इसमें चावल के २ ४ बोरे, दाल, पापड़, आम के अचार और तरह तरह की चीजे हुआ करती थी जो हम हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार लड़की के घर भेजते है। जब मैं दीदी के घर पंहुचा तो वो बहुत खुश हुई और मुझे गले लगा लिया। मैंने १ हफ्ता दीदी के घर ठहरा।

    "बबलू!! मेरी सास को तुम चारो धाम घुमा दो। इनका बड़ा दिल कर रहा है और तुम्हारे जीजा जी के पास वक़्त नही है!!" दीदी बोली

    "ठीक है दीदी!!" मैंने कहा और टिकट बुक करा लिया। जीजा ने मुझे ac फर्स्ट क्लास का टिकट बुक कराने को कहा था इसलिए मैंने टिकट ले लिया था। दोस्तों मैं आपको बताना चाहूँगा की मेरी सास उम्र में तो ५० साल के आपपास है पर देखने में बड़ी सुंदर और सेक्सी माल लगती है। जिस तरह से वो रोज सजधज कर तैयार हो जाती है और जिस तरह से वो रोज मेकप करती है उसे देख मुझे हल्का हल्का शक होता था की मेरी दीदी की सास अल्टर है और किसी मर्द से फंसी हुई है और चुदवा लेती है। मेरा शक यकीन में बदल गया जब मेरी चारो धाम की यात्रा शुरू हुई। दीदी और जीजा जी हम दोनों को छोड़ने रेलवे स्टेशन आये थे। कुछ देर में हमारी ट्रेन चल पड़ी। ac फर्स्ट क्लास में हमारा डिब्बा था। अंदर बहुत ठंडा था और बहुत सुकून मिल रहा था। दीदी की सास ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और वो अपनी सीट पर बैठ गयी और मैं ठीक उनके सामने वाली सीट पर बैठ गया। धीरे धीरे दीदी की सास अपने लटके झटके दिखाने लगी। उनके पास एक बड़ा सा फोन था जिसमे में किसी मर्द से चैट कर रही थी। फिर मुझसे बात करने लगी।

    "बबलू बेटा! अब तो तुम २५ साल के हो चुके हो। कोई लड़की वडकी पटाई की नही!!" वो मुझसे पूछने लगी

    "जी नही मम्मी जी!!" मैंने शर्म करते हुए कहा

    "बेटा कभी तुमने सेक्स किया है??? क्या कभी किसी जवान लड़की को ठोका है??" वो बोली

    दोस्तों जिस तरह से वो इकदम खुल्लम खुल्ला बात कर रही थी, मैं तो बहुत शर्म कर रहा था। पता नही एक औरत होने के बावजूद को कैसे इस तरह बात कर रही थी।

    "मम्मी जी ठोकने से क्या मतलब है???" मैंने पूछा

    "अरे-बेटा तू तो बिलकुल गाय है। मेरे कहने के मतलब है की क्या तूने किसी जवान लड़की की रसीली चूत मारी है????" दीदी की सास बोली

    ये सुनते ही मेरा दिमाग खराब हो गया था। ये औरत कितनी बेशर्म है की कैसे चुदाई वाली बाते खुल्लम खुल्ला कर रही है, मैं सोचने लगा।

    "नही मम्मी जी, मैंने आजतक किसी लड़की की बुर नही चोदी है। कोई मिली ही नही!!" मैंने कहा

    दोस्तों इस तरह मैं अपनी दीदी की सास से खुलकर बात करने लगा। धीरे धीरे मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर २ घंटे बाद हम दोनों को नींद आ गयी और मैं अपनी सीट पर लेट गया और सो गया। मेरी दीदी की सास भी अपनी सीट पर लेट गयी और सो गयी। अब ये बात तो साफ थी की वो किसी मर्द से फंसी है और उससे चुदवाती रहती है। ट्रेन तेज रफ्तार से दौड़ रही थी। ac की ठंडी हवा में हम दोनों को मस्त नींद आ रही थी। २ घंटे बाद मेरी आँखें खुली तो मैं दंग रह गया। दीदी की सास सो रही थी और उनकी साड़ी उपर को उठी हुई थी और हाथ सीधा चूत में घुसा हुआ था। मैं अपनी दीदी की सास की चूत के दर्शन कर रहा था। सायद वो अपनी चूत में ऊँगली कर करके सो गयी और हाथ चूत में ही लगा रह दिया। उनका मोबाइस बगल में पड़ा हुआ था। मैं खोलकर चेक करने लगा तो पता चला की उनके कई आशिक थे।

    वाट्सअप पर दीदी की सास कई मर्दों से गरमा गर्म चुदाई वाली बात कर रही थी और मजा ले रही थी। दोस्तों उनकी साड़ी उपर को उठी हुई थी और वो मेरे सामने नंगी दोनों टाँगे फैलाकर सो रही थी। जैसे कोई चुदासी कुतिया किसी कुत्ते से कह रही हो की प्लीस मुझे रगड़कर चोद डालो। मैं करीब आधे घंटे तक दीदी की सास के नंगे नंगे जिस्म को ताड़ता रहा और मजा लेता रहा। ट्रेन तेज रफ्तार से पटरी पर दौड़े जा रही थी। फिर कुछ देर बाद मैंने अपना आपा खो दिया और दीदी की सास के पास चला गया और उनकी गोरी गोरी टांगो को चूमने लगा।

    वो सोती रही और मेरे बारे में नही जान पाई। मैंने उसके पैर चूमने लगा। दोस्तों अब ये बात साफ थी की वो अपने आशिकों के लिए इतना मेकप करती थी। उनको रोज नये नये लंड खाना पसंद था। उसके मोबाइल में उनके कई आशिकों की फोटो मैंने खुद देखी थी जो मुझे चीख चीख कर बता रही थी की दीदी की सास एक सॉलिड मॉल थी और नये नये लंड खाना उनको ख़ास रूप से पसंद था। मैंने उसके गोरे गोरे पैरों को चूमने लगा। उनकी नंगी चूत देखकर मैं बेकाबू हो गया था। अब मुझे उनको जल्दी से बस चोद लेना था। मैं उसकी सफ़ेद और गोरी जांघो के बीच को कामुकता से हाथ से छूने और सहलाने लगा। फिर होठो से चूमने लगा। वो सो ही रही थी और उनको पता नही चल पा रहा था की मैं उसके साथ क्या कर रहा हूँ।

    दोस्तों मेरी दीदी की सास क्या मस्त आइटम थी। इकदम सॉलिड चोदने पेलने लायक सामान थी। मैं उनको गोरी गोरी जांघो, घुटनों, टांगो और टखनों को अपने होठो से चूम रहा था। फिर मैंने धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा और उसकी सफ़ेद संगमर्मर सी दिखने वाली जाँघों को मैं चूमने लगा और दांत से काटने लगा। फिर मैं चूत पर आ गया और मुंह लगाकर चूत पीने लगा। दीदी की सास ने अपनी झांटे अच्छे से बना रखी थी और एक भी बाल चूत पर नही था। उसकी बुर बहुत खूबसूरत थी। मैंने मुंह लगाकर उसकी बुर पी रहा था। वो सोती रही और नही जान पाई की मैं उसके साथ क्या कर रहा था। मम्मी जी [दीदी की सास] की बुर बड़ी मस्त थी और मैं मुंह लगाकर पीने लगा। उनकी चूत अच्छे से चुदी हुई थी। शायद उनके आशिकों ने चोद चोदकर उनका ऐसा हाल कर दिया हो। कुछ देर बाद मैंने अपनी पेंट निकाल दी और अपना लंड पकड़ के मैंने दीदी की सास की चूत पर लगा दिया और हल्का धक्का दिया तो मेरा ७" का लौड़ा तुरंत अंदर चला गया। मैंने उनको चोदने लगा। कुछ देर में उनकी आँख खुल गयी।

    "अरे बबलू बेटा!!" वो विस्मय से बोली

    इससे पहले वो कुछ कहती मैंने झुक गया और उनके होठो को किस करने लगा। जो वो कहना चाहती थी मैंने उनको नही बोलने दिया और जल्दी जल्दी उनके होठ पीने लगा। और नीचे से गमागम उनको चोदने लगा। कुछ देर में वो मस्त हो गयी और चुप हो गयी। अपनी आँखें बंद करके वो मुझसे चुदवाने लगी और अपने हाथों से मेरी नंगी पीठ सहलाने लगी जैसे मुझे शाबासी दे रही हों। अब तो मेरा मनोबल और बढ़ गया और मैं पका पक उनको चोदने लगा। दोस्तों कुछ दी देर में हम दोनों को खूब मजा मिलने लगा। एक तो ac डिब्बे की ठंडी ठंडी हवा और उपर से दीदी की सास की मस्त गुलाबी चूत। मैं मन में बहुत खुश हो रहा था की चलो उनको चारो धाम घुमाने ले आया। कम से कम उसकी मस्त गुलाबी चूत मारने को तो मिल गयी। दोस्तों, मैंने अपना बायाँ पैर जमीन पर टिका दिया था जबकि दांया पैर सीट पर था। मैं कमर घुमा घुमाकर दीदी की सास की बजा रहा था।

    उनकी बुर मेरा लौड़ा मजे से खा रही थी। कुछ देर बाद वो अपनी गांड उपर उठाने लगी।"..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." वो तेज तेज चिल्ला रही थी। मुझे उसकी गर्म आवाजे और भी जादा मधुर लग रही थी। मैंने तो बस उनको जल्दी जल्दी खा रहा था। मैंने उसकी साड़ी को हाथ से उपर कर दिया था और उनको बजा रहा था। ट्रेन पटरियों पर सरपट सरपट दौड़ी जा रही थी। कुछ देर बाद मुझे लगा की मेरा माल गिर जाएगा। तब मैंने चालाकी की और जल्दी से लौड़ा बाहर निकाल लिया। फिर मैं दीदी की सास को किस करने लगा और उसके गोरे चिकने गालों पर चुम्मी लेने लगा। दोस्तों अगर मैं अपना मोटा लौड़ा उनके भोसड़े से नही निकालता तो मेरा माल छूट जाता और मैं उनको दुबारा नही चोद पाता। पर अब मैं उनको कुछ देर बाद फिर ठोकूंगा।

    "मम्मी जी. सच सच आप बताना की आप अल्टर है की नही????" मैंने पूछा

    "हाँ बेटे बबलू!! मैं बहुत बड़ी अल्टर औरत हूँ!!" दीदी की सास बोली

    "और आप अभी तक कितने मर्दों का लंड खा चुकी है????" मैंने पूछा

    "यही कोई १५ २० मर्दों का मैं लंड खा चुकी हूँ!!" दीदी की सास बोली

    मैं मन ही मन ये सोचकर बहुत खुश था की वो २० मर्दों से चुद चुकी थी। चलो इस अल्टर माल को चोदकर आज मैंने भी गंगा नहा ली। इस रंडी की चोदकर आज मैं भी तृप्त हो गया।

    "बेटा बबलू!! तू तो बड़ी मस्त चूत मारता है। तेरा लौड़ा भी कितना बड़ा और मोटा है!!" दीदी की सास बोली

    "हाँ मम्मी जी बस उपर वाले का आशीर्वाद है!!" मैंने कहा फिर उसके बाद मैंने उनका ब्लाउस खोल दिया और उनकी साड़ी निकाल दी। ब्रा भी खोल दी। अब मेरी दीदी की अल्टर और चुदकक्ड सास पूरी तरह से नंगी हो गयी थी।

    "मम्मी जी!! मेरा लौड़ा मुंह में लोगी???" मैंने बड़े प्यार से पूछा

    "हाँ हाँ क्यों नही बेटा। मुझे लंड चूसना तो बहुत पसंद है!! ये मेरा फेवरेट शौक है!!" वो बोली।

    उसके बाद मैं सीट पर लेट गया और वो मेरे पास ही बैठ गयी और मुझ पर झुककर वो मेरा लौड़ा चूसने लगी। मुझे मजा मिल रहा था। दोस्तों मेरा लौड़ा बहुत मोटा था इसलिए जल्दी दीदी की सास के मुंह में नही जा रहा था। फिर मैंने धक्के देकर अपना लौड़ा उनके मुंह में डाल दिया। वो चूसने लगी और हाथ से पकड़कर मेरे लंड को फेटने लगी। मैं पागल हो रहा था। "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" मैं आवाज निकालने लगा। कुछ देर में तो दीदी की सास किसी छिनाल की तरह मेरा लंड जल्दी जल्दी चूसने लगी जैसे उनको कितना मजा मिल रहा हो। वो मेरे लंड को जल्दी जल्दी फेट रही थी। पर मैंने अपने लौड़े के माल को नही निकलने लगा और मजे से काफी देर तक चुसवाता रहा।

    मेरे लंड का सुपाड़ा तो बहुत ही खूबसूरत था। लाल लाल और इकदम गुलाबी दिखता था। दीदी की सास ख़ास तौर से मेरे सुपाडे को चूस रही थी। मैं उनके मस्त मस्त ३६" के मम्मो को हाथ से सहला रहा था और मजे ले रहा था। उनकी निपल्स तो बहुत खूबसूरत थी और बड़ी नुकीली नुकीली थी जो मुझे बहुत आकर्षित कर रही थी। दीदी की सास ने आधे घंटे तक मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसके दूध पीने लगा। हम दोनों लेटे नही, बल्कि बैठ गये। मैंने उनको बाहों में भर लिया और उसके नंगे संगमरमर जैसे जिस्म से खेलने लगा। आज इन चार धाम की यात्रा पर आकर मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने तो दीदी की सास को अभी एक बार कसके चोद लिया था। मेरी चार धाम यात्रा तो वैसे ही पूरी हो गयी थी। बड़ी देर तक मैंने उनको अपनी गोद में बैठाए रखा और उनके दूध पिता रहा। उनके मस्त मस्त होठ पीता रहा।

    "मम्मी जी.. अगर मुझे पता होता की आप अल्टर माल है तो मैं आपको घर में ही चोद लेता!!" मैंने कहा

    "बेटा बबलू! तुम तो जानते ही हो की घर में सब लोग रहते है। इसलिए मैं घर पर बहुत शरीफ औरत बनकर रहती हूँ। पर असलियत में मैं हवस की पुजारिन हूँ। मैं घर के बाहर छिनारपन वाला काम करती हूँ क्यूंकि मुझे सेक्स और चुदाई की बहुत तलब लगती है" दीदी की सास बोली

    "मम्मी जी अब जब भी मैं आपके घर आऊंगा, आपके कमरे में रात में चुपके से आया करूंगा और आपको मस्त तरह से बजाऊंगा!! और आपनी रसीली चूत लूँगा!!" मैंने कहा

    "ठीक है बबलू बेटे!! तुम मेरी बुर चोद लेना!!" मम्मी जी बोली।

    फिर मैं अपने हाथ से उनकी चूचियों को मसलने लगा और काली काली निपल्स को हाथ से ऐठने लगा। दीदी की सास पागल होने लगी। मैं बड़ी देर तक अपने अंगूठे और ऊँगली से उनकी काली निपल को घुमाया और ऐठा। वो मस्त हो गयी। फिर मैंने उनको सीट पर कुतिया बना दिया और वो अपने दोनों हाथ और घुटनों को मोड़कर कुतिया बन गयी। मैंने पीछे से मुंह लगाकर उनकी बुर चाटने लगा और मजा लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना ७" लौड़ा उनकी चूत में डाल दिया और उनको घपाघप चोदने लगा। वो घोड़ी बनी हुई थी और बहुत सेक्सी लग रही थी। मम्मी जी के बड़े बड़े आम गुरुत्वाकर्षण बल ने नीचे की तरफ झूल रहे थे जैसे आम के पेड़ से आम झूलते है बिलकुल यही लग रहा था। मैंने उनकी कमर को दोनों हाथो से पकड़ लिया और दनादन उनको बजाने लगा और चोदने लगा। ट्रेन पटरी पर दौड़ती रही। चार धाम की यात्रा में दीदी की सास की मैंने २० बार ठुकाई की और मजा लिया। मैंने १ घंटे उनको कुतिया बनाकर पीछे से चोदा और माल उनके भोसड़े में ही गिरा दिया। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।

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