मैडम ने बोला मुझे कार सिखा दो..

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by 007, Apr 27, 2016.

  1. 007

    007 Administrator Staff Member

    //8coins.ru मैडम ने बोला मुझे कार सिखा दो..

    नमस्ते, पहले तो आपको बधाई हो, आपकी साईट पर Hindi Sexy Kahaniya बहुत ही अच्छी और कामुक है| आशा है ऐसा ही लेवल बना रहे| अब में अपनी कहानी पर आता हूँ| यह उस समय की घटना है जब मैं १२वीं क्लास में था। इस Hindi Sexy Kahani में हीरोइन मेरी इंग्लिश की मैडम है| मेरी इंग्लिश काफ़ी कमज़ोर थी। मैंने ईंग्लिश पर ज्यादा ध्यान देने की सोची। मैं अपनी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले अपनी ईंग्लिश मैडम से मिला।


    उनका नाम सुजाता था। वोह एक पंजाबी औरत थीं। उनकी उम्र ३२ - ३३ साल के करीब होगी। पंजाबी औरतों की तरह वोह भी गोरे बदन की काफी भरी-भरी औरत थीं। ऊँचाई लगभग ५'२" होगी पर उनकी ऊँची एड़ी के सैंडलों के कारण हमेशा ५'६ - ५'७ की लगती थीं। पतली कमर, ३६ के साईज़ की मस्त चूचीयाँ और ३८ की मस्त डोलती भारी गाँड।


    "गुड आफ़टरनून मैडम!"

    "गुड आफ़टरनून रोहित!"

    "मैडम, आई नीड सम गाईडेंस!"

    "कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ।"

    "मैडम आपको तो पता है कि मेरे ईंग्लिश में अच्छे मार्क्स नहीं आये।"

    "हाँ मुझे पता है। तभी तो मैं कहती हूँ कि तुम्हें कड़ी मेहनत कारने की दरकार है।"

    "हाँ मैडम। मैं नहीं चाहता कि बोर्ड परिक्षा में भी मेरे ऐसे ही मार्क्स आयें।"

    "तो आखिर तुम अंत में सही लाइन पर आ ही गये।"

    "हाँ मैडम। मुझे पता है कि मुझे कड़ी मेहनत की दरकार है और मैं कुछ भी करने को तैयार भी हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ. और मेरे बेसिक्स भी ठीक नहीं हैं। तो मैडम आप मुझे गाईड करें कि मैं कहाँ से और कैसे शुरू करूँ।"

    "ठीक है रोहित। मैं तुम्हारी टीचर हूँ और यह मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हें सही दिशा में गाईड करूँ। तुम एक काम करो। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और एक हफ्ते बाद मुझे रिंग करो।"

    "ओके. थैंक्स मैडम" फिर मैंने मैडम का फोन नम्बर और ऐड्रस ले लिया। एक हफ़्ते बाद मैंने मैडम को फोन किया।

    "हैलो, क्या सुजाता मैडम से बात कर सकता हूँ?"

    "बोल रही हूँ"

    "मैडम, मैं रोहित बोल रहा हूँ. मैडम आपने कहा था कि एक हफ़्ते बाद फोन कर लेना"

    "हाँ याद है। फोन पर तो तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर पाना मुश्किल है.. तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ। तभी तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर लेंगे. ठीक है?"

    "ओके मैडम.बाय।"

    "बाय।"

    फिर अगले दिन मैं शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मैंने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।

    "हैलो मैडम!"

    "हैलो रोहित. आओ. अन्दर आओ. बैठो। एड्रस ढूँढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?"

    "थोड़ी बहुत परेशानी तो हुई क्योंकि आपकी कॉलोनी मेरे लिये नई है।"

    "चलो. धीरे-धीरे इस कॉलोनी में पुराने हो जाओगे। खैर. क्या लोगे, टी कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?"

    "नथिंग मैडम। कुछ नहीं।"

    "शरमाओ मत.. तुम्हें कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा।"

    "ओके, कॉफी!"

    "बस अभी लाती हूँ!"

    फिर मैडम कॉफी ले आयीं

    "यह लो रोहित, कॉफी लो!"

    "थैंक्स!"

    "बिस्कुट भी तो लो."

    "नहीं मैडम, इसकी क्या ज़रूरत है.!"

    "रोहित! तुम बहुत शाई लड़के हो. खैर हमें क्या बात करनी है? "

    "मैडम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश में कैसे मार्क्स आते हैं।"

    "हुम्म.. मेरे खयाल से तुम्हारे ११वीं क्लास में ५० से ज्यादा मार्क्स नहीं आये।"

    "येस मैडम.. और हाइएस्ट मार्क्स ९५ तक आते हैं. मैडम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी ९०+ आयें।"

    "बिल्कुल आ सकते हैं। लेकिन उसके लिये तुम्हें काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा. क्या तुम करोगे?"

    "येस मैडम, मैं हार्डवर्क करूँगा. पर मेरे बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हैं और मेरी ग्रामर बहुत वीक है।"

    "रोहित तुम्हें सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉँग बनाने चाहिए। जिसके बेसिक्स स्ट्रॉँग नहीं उसे कुछ भी नहीं आता।"


    "मैडम तो बेसिक्स स्ट्राँग कैसे होंगे।"

    "उम्म. मैं तुम्हें बेसिक्स स्ट्राँग करने में हेल्प करूँगी।"

    "येस मैडम. आप मुझे कुछ दिनों के लिये कोचिंग दे दिजिए।"

    "तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।"

    "ओके मैडम।"

    "कॉफी तो पियो. ठंडी हो रही है।"

    "येस मैडम। मैडम आपकी फैमिली में कौन-कौन है?"

    "मैं, मेरे हसबैंड और एक बेटी और एक बेटा।"

    "मैडम. कहाँ हैं सब. कोई दिख नहीं रहा।"

    "बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं। एकचुअली मैं भी वहाँ से कल ही आयी हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं. और हसबैंड २ हफ़्ते के लिये आफिस के काम से आउट आफ स्टेशन गये हैं।"

    "बच्चे कब तक आयेंगे?"

    "वो भी दो हफ़्ते बाद आयेंगे. यही तो दिक्कत है. अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती।"

    "क्यों मैडम?"

    "मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है. रिक्शॉ से जाने में बहुत टाइम लगता है. और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।"

    "मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है.। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।"

    "नहीं ऐसी बात नहीं है. दैट्स नाईस आफ़ यू.. रोहित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?"

    "येस मैडम।"

    "तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो. मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं. और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है. हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं"

    "येस मैडम मॉयप्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।"

    "कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?"

    "तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।"

    "तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।"

    "ओके मैडम. पर किस टाईम?"

    "तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही. तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी. पर रोहित. कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या. एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी. इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।"

    "येस मैडम. शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।"

    "ठीक है. तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।"

    "पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।"

    "दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है. मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है. बॉय द वे. तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?"

    "बिल्कुल नहीं. तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।"

    "ओके रोहित.बाय"
    मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छेसे तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।

    "मैडम. पहले तो मैं आपको गेयर डालना सिखाता हूँ।"

    मैं कुछ देर तक उनको गेयर, एक्सलरेटर, क्लच, ब्रेक वगैरह के बारे में बताता रहा।

    "चलिए मैडम. अब आप चलाइए।"

    "मुझे डर लग रहा है!"

    "कैसा डर?"

    "कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो?"

    "उसके लिये मैं साथ हूँ ना"

    फिर मैडम ड्राइवर सीट पर बैठ गयीं और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया। फिर मैडम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैडम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी। मैडम घबरा गयीं।

    मैंने कहा, "मैडम एक्सलरेटर से पैर हटाइये!"

    मैडम ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी।

    "मैंने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी!"

    "कोई बात नहीं मैडम. पहली बार ऐसा होता है।"

    "नहीं. मैं कार सीख ही नहीं सकती. मुझ से नहीं चलेगी"

    "चलेगी. चलिए अब स्टार्ट कीजिये और फिर ट्राई करिये । पर इस बार एक्सलरेटर आराम से छोड़ियेगा।"

    "नहीं मुझसे नहीं होगा!"

    "मैडम. शुरू-शुरू में गलतियाँ होती हैं. कोई बात नहीं!"

    "नहीं मुझे डर लगता है!"

    "अच्छा. एक काम करते हैं. मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ. फिर तो आपको डर नहीं लगेगा!"

    "लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?"

    "आप मेरी गोद में बैठ जाना. मैं स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गेयर कंट्रोल करना. मेरे डैडी ने भी मुझे ऐसे ही ड्राइविंग सिखायी थी।"

    "लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?"


    "मैडम इस वक्त यहाँ कोई नहीं आयेगा. और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर फ़िल्म लगी है जिससे अंदर का कुछ भी बाहर से दिखाई नहीं देता। सो डोंट वरी, नो वन कैन सी व्हॉट इज़ गोइंग आन इनसाइड।"

    "चलो ठीक है!"

    फिर मैं ड्राइवर सीट पर बैठा और मैडम मेरी गोद में। जैसे ही मैडम मेरी गोद में बैठी, मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था। मैंने कार स्टार्ट करी।

    "रैडी मैडम?"

    "हाँ. मुझे सिर्फ़ गेयर ही सम्भालने हैं ना?"

    "येस मैडम। आज के दिन आप सिर्फ़ गेयर ही सीखो"

    कार चलनी शुरू हुई। क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और मैडम मेरी गोद में, इसलिए मेरी बाहें मैडम की चूचियों की साईड से छू रही थी और मैडम की चूचियाँ थी भी काफ़ी बड़ी। वोह थोड़ा अनकम्फर्टेबल फ़ील कर रही थीं और इसलिए वो मेरी जाँघों पे न बैठ के मेरे घुटनों के पास बैठी थी। जैसे ही मैं कार को टर्न करता तो मैडम की पूरी चूचियाँ मेरी बाहों को छूती थी। मैडम गेयर सही बदल रही थीं।

    "क्यों रोहित. ठीक कर रही हूँ ना?"

    "परफैक्ट मैडम! अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजिए!"

    "ओके!"

    क्योंकि मैडम मेरी गोद में काफ़ी आगे होकर बैठी थीं इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्रॉब्लम हो रही थी।

    "मैडम. आप थोड़ी पीछे खिसक जाईये. तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पायेगा।"

    अब मैडम मेरी जाँघों पे बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिये।

    "मैडम! थोड़ा और पीछे हो जाईये!"


    मेरी परफेक्ट मैडम..

    "और कितना पीछे होना पड़ेगा?"

    "जितना हो सकती हों"

    "ठीक है।" अब मैडम पूरी तरह से मेरे लौड़े पर बैठी थी। मैंनेअपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये और स्टियरिंग कंट्रोल करना सिखाने लगा। जब भी कार टर्न होती तो मैडम के चुत्तड़ मेरे लौड़े में धँस जाते। मैडम की चूचियाँ इतनी बड़ी थी कि वो मेरे हाथों को छू रही थी। मैं जान बूझ कर उनकी चूचियों को टच करता रहा।

    "मैडम अब एक्सलरेटर भी आप संभालिये!"

    "कहीं कार फिर से आउट आफ़ कंट्रोल ना हो जाये.!"

    "मैडम अब तो मैं बैठा हूँ ना"

    मैडम ने फिरसे पूरा एक्सलरेटर दबा दिया तो कार ने एक दम स्पीड पकड़ ली। इस पर मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार एक दम से रुक गयी। मैडम को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। इस पर मैंने मैडम की चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मैडम को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया। कार रुक गयी थी और मैडम की चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

    मैडम बोली, "मैंने कहा था ना कि मैं फिर कुछ गलती करूँगी"

    "कोई बात नहीं। कम से कम गेयर तो बदलना सीख लिया।" मैडम की चूचियाँ अभी भी मेरे हाथ में थीं।

    "शायद मुझे स्टियरिंग संभालना कभी नहीं आयेगा"

    "एक बार और ट्राई कर लेते हैं!"

    "ठीक है!"

    मुझे एहसास दिलाने के लिये कि मेरे हाथ उनकी चूचियों पर हैं, मैडम ने चूचियों को हल्का सा झटका दिया तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिये। मैंने कार फिर से स्टार्ट करी। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये और मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये।

    "मैडम एक्सलरेटर मैं ही संभालुँगा. आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालिये!"

    "यही मैं कहने वाली थी!"

    कुछ देर तक मैडम को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैं बोला, "मैडम अब मैं स्टियरिंग से हाथ उठा रहा हूँ. आप अकेले ही संभालिये।"

    "ओके.अब मुझे थोड़ा कॉनफिडैंस आ रहा है. लेकिन तुम अपने हाथ रैडी रखना कहीं कार फिर से आउट आफ कंट्रोल हो जाये।"

    "मैडम मेरे हाथ हमेशा रैडी रहते हैं।"

    "रोहित मुझे कस के पकड़ना. कहीं ब्रेक मारने पर मैं स्टियरिंग में ना घुस जाऊँ!"

    "येस मैडम मैं कस के पकड़ता हूँ।"

    मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम की चूचियों पर रख दिये। मैं तो मैडम से डाँट की उम्मीद कर रहा था लेकिन मैडम ने कुछ ना कहा। मैंने तब मैडम की चूचियों को दबा दिया तो उनके के मुँह से आह निकल गयी।

    "रोहित. मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही काफ़ी है। चलो अब घर चलते हैं!"

    "ओके मैडम।" मैडम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैडम के घर चल दिये।

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